फिल्ममेकर ओनिर की अगली फिल्म 'वी आर' को रक्षा मंत्रालय ने मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया है। फिल्म एक गे सैन्य अधिकारी पर आधारित है। यह समलैंगिक किरदार मेजर जे. सुरेश (सेवानिवृत्त) से प्रेरित है। जिन्होंने गे होने की वजह से सेना में अपना पद छोड़ दिया था। फिल्मकार ने बताया की उनकी की अगली फिल्म की थी, जो सेना के एक मेजर के जीवन के वास्तविक संघर्षों से प्रेरित थी, जिन्हें समलैंगिक होने की वजह से साल 2010 में सेना से अपने पद से हटना पड़ा था। ओनीर के मुताबिक उनकी ये फिल्म उनकी पिछली राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म ‘आई एम’ का सीक्वल होती। बता दें कि ‘आई एम’ में सिंगल मदरहुड, समलैंगिकता और अन्य सामाजिक मुद्दों को उठाया गया था।
इस मामले पर ओनीर ने ट्वीट कर बताया कि भारतीय सेना में समलैंगिकता अभी भी गैरकानूनी है। ‘माई ब्रदर निखिल’ का निर्देशन कर चुके ओनीर ने कहा, ‘हमें समाज के रूप में समान व्यवहार को लेकर अभी लंबा रास्ता तय करना है।’
75 years of independence, more than three years since he Supreme Court of india had decriminalised homosexuality but as a society we are a long way from being treated as equals . While 56 countries across the world accepts #lgbtqi in the army ,it is still illegal the indian army. https://t.co/YboPeAUnqK
— অনির Onir اونیر ओनिर he/him (@IamOnir) January 21, 2022
ओनीर ने लिखा, ‘मेरा हमारी सेना के प्रति गहरा सम्मान और प्रेम है। उम्मीद है कि सेना सेक्सुअलिटी की वजह से देश की सेवा करने वाले किसी शख्स के साथ भेदभाव न करे। '
जानकारी के मुताबिक, ओनीर को 19 जनवरी को सेना के रणनीतिक संचार इकाई के अतिरिक्त महानिदेशक लेफ्टिनेंट कर्नल सचिन उज्जवल की ओर से एक ईमेल मिला था, जिसमें कहा गया, ’16 दिसंबर 2021 को ईमेल के जरिये मिली फिल्म की स्क्रिप्ट का विस्तार से विश्लेषण किया गया. यह बताते हुए खेद है कि स्क्रिप्ट को रक्षा मंत्रालय (सेना) से मंजूरी नहीं मिली है।’
जुलाई 2020 में बताया गया था कि रक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को पत्र लिखकर प्रोडक्शन हाउसों से सेना या इसकी विषयवस्तु पर आधारित फिल्म, डॉक्यूमेंट्री या वेब सीरीज का प्रसारण करने से पहले मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेने का अनुरोध किया था।
‘सीबीएफसी से उन घटनाओं पर लगाम लगाने को कहा गया, जिनसे सुरक्षाबलों की छवि खराब होती हैं और जवानों एवं पूर्व सैन्यकर्मियों की भावनाएं आहत होती हैं.’