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Republic Day Special : बॉलीवुड की वो फिल्म जो आपकी रग-रग में भर देगी देशभक्ति का रंग, शहीद से उरी तक जगाती हैं देशभक्ति का जज्बा

बॉलीवुड में जंग-ए-आजादी की याद दिलाने वाली ऐसी कई देशभक्ति फिल्में बनी हैं, जो हमारी आजादी के संघर्ष की गाथा को बखूबी बयान करती हैं और देशभक्ति का जज्बा जगाती हैं. यह फिल्में उस दर्द को हम सबके सामने लाईं जिसे शायद ही हम कभी महसूस कर पाते. 

 

आइए, इस स्पेशल पैकेज में आपको बताते हैं उन फिल्मों के बारे में, जो  आपके अंदर देशभक्ति की भावना जगाती हैं.

 

 

रंग दे बसंती

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आमिर खान (Aamir Khan) स्टारर फिल्म रंग दे बसंती (Rang De Basanti), 26 जनवरी 2006 को रिलीज़ हुई थी. इस फिल्म में आमिर खान के अलावा कुणाल कपूर, सिद्धार्थ, आर माधवन और सोहा अली खान मुख्य भूमिका में थे. इस फिल्म को युवा वर्गों ने खूब पसंद किया था. देश के प्रति त्याग, समर्पण, प्रेम की भावना से सजी इस फिल्म को आज भी याद किया जाता है.

राज़ी

फिल्म राजी (पोस्टर)

आलिया भट्ट की सुपरहिट फिल्म राज़ी में भी कूट कूट कर देश भक्ति को दिखाया गया है. आलिया के अलावा विक्की कौशल, सोनी राजदान, जयदीप अहलावत और रजित कपूर भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं. यह फिल्म हरिंदर सिक्का के उपन्यास ‘कॉलिंग सहमत’ पर आधारित है.

उरी

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उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक 2019 में रिलीज हुई, एक हिंदी फिल्म है. फिल्म की पृष्ठभूमि भारत द्वारा पाकिस्तान पर किया गया सर्जिकल स्ट्राइक है. इस फिल्म को देखकर दर्शकों के रोंगटे खड़े हो गए थे.

  

शहीद- 1965
'शहीद' भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित फिल्म थी. भगत सिंह के जीवन पर 1965 में बनी यह देशभक्ति की सर्वश्रेष्ठ फिल्म थी. जिसकी कहानी स्वयं भगत सिंह के साथी बटुकेश्वर दत्त ने लिखी थी. इस फिल्म में अमर शहीद राम प्रसाद 'बिस्मिल' के गीत थे. मनोज कुमार ने इस फिल्म में शहीद भगत सिंह का जीवन्त अभिनय किया था. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित यह अब तक की सर्वश्रेष्ठ प्रामाणिक फिल्म है.

आनंद मठ- 1952
1952 में आई फिल्म ‘आनंद मठ’ बंकिम चंद्र चटर्जी के नॉवल पर आधारित थी. फिल्म संन्यासी क्रांतिकारियों की आजादी की लड़ाई की कहानी थी जो 18वीं शताब्दी में अंग्रेजों के खिलाफ हुई थी. इस फिल्म में ‘वंदे मातरम’ गीत का भी इस्तेमाल किया गया था.
  

बॉर्डर- 1997
फिल्म 'बॉर्डर' 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध पर आधारित थी. इस फिल्म की कहानी एक सत्य घटना से प्रेरित थी. इस फिल्म में भारत-पाक युद्ध के समय लड़े गए लोंगेवाला युद्ध को विस्तार से समझाया गया है. फिल्म की कहानी 1971 मे हुए भारत-पाकिस्तान की लड़ाई से प्रेरित है, जहां राजस्थान में 120 भारतीय जवान सारी रात पाकिस्तान की टांक रेजिमेंट का सामना करते थे.

चिटगॉन्ग- 2012
2012 में आई फिल्म ‘चिटगॉन्ग’ 1930 के कम चर्चित वाक्या पर आधारित थी, जिसमें एक स्कूल मास्टर (मनोज वाजपेयी) की अनुवाई में स्कूल के बच्चे और जवान औरतें अंग्रेजी हुकूमत से भिड़ जाते हैं. इंडियन हिस्‍ट्री में पहली बार एक आर्मी स्कूल के लड़के और उनके टीचर ब्रिटिश आर्मी को मात दे देते हैं.  
  

गांधी- 1982
'गांधी' 1982 में बनी मोहनदास करमचंद गांधी के वास्तविक जीवन पर आधारित फिल्म थी. फ़िल्म का निर्देशन रिचर्ड एटनबरोघ द्वारा किया गया है और इसमें बेन किंग्सले गांधी की भूमिका में है. इस फिल्म के लिए दोनों को अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.  

हकीकत- 1964
1964 में आई फिल्म ‘हकीकत’ ऐसे सैनिकों की टुकड़ी की कहानी थी, जो लद्दाख में भारत-चीन युद्ध के दौरान सोचते हैं कि उनकी मौत निश्चित है लेकिन उनमें से कुछ सैनिकों को कैप्टन बहादुर सिंह (धर्मेंद्र) बचाने में सफल हुए थे.  
  

लक्ष्य- 2004
'लक्ष्य' 2004 में बनी हिन्दी भाषा की फरहान अख्तर द्वारा निर्देशित बॉलीवुड फिल्म थी. इसके अभिनेता ऋतिक रोशन, प्रीति जिंटा, अमिताभ बच्चन, ओम पुरी और बोमन ईरानी हैं. ऋतिक लेफ्टिनेंट करण शेरगिल (बाद में कार्यवाहक कप्तान) की भूमिका में हैं, जो अपनी टीम का नेतृत्व कर आतंकवादियों पर जीत पाते हैं. यह 1999 के कारगिल युद्ध के संघर्ष की ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित एक काल्पनिक कहानी थी.

द लेजेंड ऑफ भगत सिंह- 2002
2002 में राजकुमार संतोषी की फिल्म ‘द लेजेंड ऑफ भगत सिंह’ में अजय देवगन भगत सिंह का किरदार निभाते नजर आए. फिल्म भगत सिंह की जिंदगी पर आधारित थी जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी. ‘द लेजेंड ऑफ भगत सिंह’ हमें विस्तार मे यह बताता है कि कैसे भगत सिंह ने ब्रितिश राज के खिलाफ और भरतीय स्वतंत्रता के प्रति अपने विचार और रुचि को विकसित किया.
  

उपकार- 1967
1967 में आई फिल्म ‘उपकार’देशभक्ति से ओतप्रोत फिल्म है, जिसे  बनाने का उद्देश्य था ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा बुलंद करना. फिल्म की कहानी राधा (कामिनी कौशल) और उसके दो पुत्रों भारत (मनोज कुमार) व पूरन (प्रेम चोपड़ा) की कहानी है. राधा ग्रामीण महिला है जो अपने परिवार को खुशहाल देखना चाहती है. उसकी इच्छा अपने पुत्रों को पढ़ा-लिखा कर बड़ा आदमी बनाने की है. परन्तु वह दोनों की पढ़ाई का भार वहन नहीं कर पाती है.

मंगल पांडे: द राइजिंग- 2005
फिल्म ‘मंगल पांडे: द राइजिंग’ क्रांतिकारी मंगल पांडे की जिंदगी और उनके संघर्षों के इर्द-गिर्द घूमती है. मंगल पांडे को 1857 में ब्रिटिश ऑफीसरों पर हमले के लिए जाना जाता है और इसे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई का आगाज भी माना जाता है. फिल्म में दर्शाया गया विद्रोह 'भारतीय स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम, 'या' सिपाही विद्रोह के रूप में जाना जाता है.

 

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