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'ऐ मेरे वतन के लोगों...' लिखने वाले राष्ट्र कवि प्रदीप के जन्मदिन पर ही दुनिया को अलविदा कह गयीं लता मंगेशकर, इस गाने ने अलग पहचान दिलाई थी

भारत-चीन युद्ध के दौरान गीतकार प्रदीप ने गीत लिखा था- ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी और इस गाने को लता मंगेशकर ने गाया था। इस गीत को लिखने वाले कवि प्रदीप जयंती भी 6 फरवरी को मनाया जाता है। लेकिन जो बात सबसे ज़्यादा दिल तोड़ती है वो ये राष्ट्र कवि प्रदीप की जयंती है और इस दिन लता मंगेशकर का निधन हो गया।  ऐ मेरे वतन के लोगों..., आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं... 'हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकालकर...' और 'दे दी हमें आज़ादी...' जैसे अनेक गीत रचकर देशभक्ति की भावना को जन-जन में भर देने वाले राष्ट्र कवि प्रदीप की आज (6 फरवरी) जयंती है और यह दिन स्वर कोकिला लता मंगेशकर की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाया करेगा।  

लेकिन बहुत कम लोग ये जानते हैं की लता दीदी ने ऐ मेरे वतन के लोगों गाने से इंकार कर दिया था। फिर खुद कवि प्रदीप ने ही उनसे निवेदन किया था कि वे इस गाने को गाएं। जब लता दीदी ने ये गाना गया जिसने भी सुना उसकी आँखें नम हो गयी थी। खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आंखों में आंसू थे। लता दीदी का गया हुआ ये गीत का यह अमर गीत सदा के लिए अमर हो गया।  

भारत-चीन युद्ध के दौरान गीतकार प्रदीप ने गीत लिखा था- ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी और इस गाने को लता मंगेशकर ने गाया था। इस गीत को लिखने वाले कवि प्रदीप जयंती भी 6 फरवरी को मनाया जाता है। लेकिन जो बात सबसे ज़्यादा दिल तोड़ती है वो ये राष्ट्र कवि प्रदीप की जयंती है और इस दिन लता मंगेशकर का निधन हो गया।  ऐ मेरे वतन के लोगों..., आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं... 'हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकालकर...' और 'दे दी हमें आज़ादी...' जैसे अनेक गीत रचकर देशभक्ति की भावना को जन-जन में भर देने वाले राष्ट्र कवि प्रदीप की आज (6 फरवरी) जयंती है और यह दिन स्वर कोकिला लता मंगेशकर की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाया करेगा।  

लेकिन बहुत कम लोग ये जानते हैं की लता दीदी ने ऐ मेरे वतन के लोगों गाने से इंकार कर दिया था। फिर खुद कवि प्रदीप ने ही उनसे निवेदन किया था कि वे इस गाने को गाएं। जब लता दीदी ने ये गाना गया जिसने भी सुना उसकी आँखें नम हो गयी थी। खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आंखों में आंसू थे। लता दीदी का गया हुआ ये गीत का यह अमर गीत सदा के लिए अमर हो गया।  

जब नेहरू की आंखें हुईं नम 

प्रदीप ने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों की श्रद्धांजलि में 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत लिखा था। लता मंगेशकर द्वारा गाए इस गीत का तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में 26 जनवरी 1963 को दिल्ली के रामलीला मैदान में सीधा प्रसारण किया गया। गीत सुनकर जवाहरलाल नेहरू की आंखें नम हो गई थीं। कवि प्रदीप ने इस गीत का राजस्व युद्ध विधवा कोष में जमा करने की अपील की।  मुंबई उच्च न्यायालय ने 25 अगस्त 2005 को संगीत कंपनी एचएमवी को इस कोष में अग्रिम रूप से 10 लाख जमा करने का आदेश दिया। पांच दशक के अपने पेशे में कवि प्रदीप ने 71 फिल्मों के लिए 1700 गीत लिखे। भारत सरकार ने उन्हें सन 1997-98 में दादा साहब फाल्के सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया।
 

प्रदीप ने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों की श्रद्धांजलि में 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत लिखा था। लता मंगेशकर द्वारा गाए इस गीत का तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में 26 जनवरी 1963 को दिल्ली के रामलीला मैदान में सीधा प्रसारण किया गया। गीत सुनकर जवाहरलाल नेहरू की आंखें नम हो गई थीं। कवि प्रदीप ने इस गीत का राजस्व युद्ध विधवा कोष में जमा करने की अपील की।  मुंबई उच्च न्यायालय ने 25 अगस्त 2005 को संगीत कंपनी एचएमवी को इस कोष में अग्रिम रूप से 10 लाख जमा करने का आदेश दिया। पांच दशक के अपने पेशे में कवि प्रदीप ने 71 फिल्मों के लिए 1700 गीत लिखे। भारत सरकार ने उन्हें सन 1997-98 में दादा साहब फाल्के सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया।
 

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