बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन की आने वाली फिल्म झुंड का टीज़र सामने आ गया है। फिल्म इस साल 4 मार्च को रिलीज हो रही है। हालांकि इस फिल्म को पिछले साल ही रिलीज होना था लेकिन कोरोनावायरस के कारण यह संभव न हो सका। आज जो टीज़र रिलीज़ हुआ है उसमे बिग बी अमिताभ की झलक भी देखने को मिली है। अमिताभ अपने 'झुंड' के साथ दमदार नजर आ रहे हैं।
टी-सीरीज ने अपने यूट्यूब चैनल पर टीजर को रिलीज किया है। इसे काफी पसंद किया जा रहा है। फिल्म की प्रतीक्षा कर रहे फैंस इसको लेकर कॉमेंट भी करते दिख रहे हैं। 'झुंड' मूवी अगले माह में रिलीज होने वाली है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, 04 मार्च, 2022 को मूवी थियेटर में रिलीज होगी। हालांकि, कोरोना संक्रमण के कारण कई फिल्मों की रिलीज डेट कई बार टाली भी जा चुकी है। मगर फिलहाल स्थिति सही बताई जा रही है। इसलिए निर्माताओं की ओर से रिलीज डेट की घोषणा की गई है।
असल ज़िन्दगी पर आधारित है फिल्म
झुंड फिल्म का निर्देशन फिल्ममेकर नागराज मंजुले कर रहे हैं. मंजुले को उनकी राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मराठी फिल्म सैराट के निर्देशन के लिए जाना जाता है। इस फिल्म की कहानी जो काल्पनिक नहीं है। बल्कि असल ज़िंदगी पर आधारित है। इस फिल्म की कहानी नागपुर के विजय बारसे के जीवन से प्रेरित है। विजय बारसे एक रिटायर्ड स्पोर्ट्स टीचर हैं और एक सामाजिक संगठन ‘स्लम सॉकर’ के फाउंडर हैं।
विजय बारसे एक ऐसा नाम है जिसे भारतीय खेल के इतिहास से कभी नहीं भुलाया जा सकता है। साल 1945 में नागपुर में जन्मे विजय ने अपने एनजीओ स्लम सॉकर के माध्यम से हजारों गरीब और दबे हुए तबके के बच्चों के जीवन को संवारा है।
उनके एनजीओ ने न सिर्फ फुटबॉल को लोक्रपिय किया बल्कि स्लम एरियाज में अपराध दर को कम करने का काम भी किया है। विजय नागपुर के मशहूर हिसलोप कॉलेज में स्पोर्ट्स टीचर थे। उनका कहना है कि एक बार वह कॉलेज से लौट रहे थे कि रास्ते में बारिश होने लगी। और उन्हें एक पेड़ के नीचे रुकना पड़ा। पेड़ के नीचे खड़े हुए उन्होंने देखा कि पास की बस्ती के कुछ बच्चे एक प्लास्टिक की टूटी बाल्टी को फुटबॉल बनाकर खेल रहे हैं। उन्हें यह देखकर बहुत ही अच्छा लगा और दूसरे दिन उन्होंने उन बच्चों को एक फूटबाल ले जाकर दे दी। सत्यमेव जयते टीवी शो के एक एपिसोड में विजय ने बताया था कि उन्होंने महसूस किया कि जब तक वे बच्चे फुटबॉल खेलते हैं तब तक वे किसी भी तरह के गलत काम से दूर रहते हैं। और बच्चों की खेल पर पकड़ बनने से उनके आगे बढ़ने के भी मौके हैं। इसलिए उन्होंने ठान लिया कि वह इस तरह के बच्चों को आपराधिक दुनिया से निकालकर स्पोर्ट्स में आगे बढ़ाएंगे।
इन गरीब तबकों के बच्चों को फुटबॉल से जोड़ने के लिए विजय ने कई अनोखे तरीके अपनाये। उनके एक छात्र अखिलेश पॉल आज फुटबॉल कोच हैं। अखिलेश ने अपने एक साक्षत्कार में बताया था कि वह भी बस्ती में पीला-बढ़े हैं और अपराध की दुनिया में लिप्त थे। जहां से उन्हें बाहर निकाला फुटबॉल और विजय बारसे ने। अखिलेश और उनके दोस्तों को विजय ने फुटबॉल खेलने के लिए कहा तो उन्होंने पूछा कि इसके बदले पैसे मिलेंगे। अखिलेश का कहना है कि लगभग 15-20 दिन तक विजय ने उन्हें और उनके साथियों को फुटबॉल खेलने के लिए हर दिन पैसे दिए थे। और इसके बाद विजय ने पैसे देने से मना कर दिया। लेकिन तब तक अखिलेश और उनके दोस्तों को फुटबॉल से प्यार हो चुका था। अब उन्हें फुटबॉल खेलने के लिए किसी पैसे की जरूरत नहीं थी बल्कि यह उनका पैशन बन गया। और इसी पैशन ने अखिलेश को अपराधों की दुनिया से निकलकर अपना एक नाम बनाने में मदद की।
इंटरनेशनल लेवल पर पहुंचे बस्ती के बच्चे:
साल 2001 में विजय ने अपनी पत्नी रंजना और बेटे अभिजीत के साथ क्रीड़ा विकास शांति नागपुर की शुरुआत की। यह स्लम सॉकर की मूल संस्था है। आज इस एनजीओ के जरिए वह हजारों बच्चों को स्पोर्ट्स से जोड़ चुके हैं। फिलहाल, उनका एनजीओ मुक-बधिर बच्चों को भी स्पोर्ट्स से जोड़ने का काम कर रहा है।
उनके एनजीओ के जरिये बहुत से बच्चे आज इंटरनेशनल लेवल पर खेल रहे हैं। स्लम सॉकर कई बार अपनी टीम ‘होमलेस वर्ल्ड कप फाउंडेशन’ द्वारा आयोजित किए जाने वाले ‘होमलेस वर्ल्ड कप’ में अपनी टीम भेज चुका है। कभी छोटे-मोटे काम करके अपना गुजारा करने वाले बच्चे आज अच्छी ज़िन्दगी जी रहे हैं। और इस सबका श्रेय जाता है विजय बारसे और उनकी अलग सोच को। विजय के इसी सफर को अमिताभ बच्चन अभिनीत झुंड नाम की एक फिल्म में रूपांतरित किया गया है। हमेश उम्मीद है कि बड़े परदे पर इस कहानी को देखकर हमारे देश के बहुत से बच्चों और युवाओं को प्रेरणा मिलेगी।