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Women’s Day Special ExtraordiNARI: नारी वही है जो धैर्य के साथ पूरी हिम्मत से हर हालत का मुक़ाबला करता है। आज की औरत बिल्कुल भी कमज़ोर नहीं है। वो सही और ग़लत का फ़ैसला करने में ख़ुद सक्षम है।

सवाल -बात अपने शुरुआती दिनों से करते हैं, कैसे आपने ऐक्ट्रेस बनने का इरादा किया ? अपनी पटना से मुंबई तक के इस सफ़र की कहानी बताएँ।

जवाब - स्कूल के दिनों से ही मैंने काम करना शुरू कर दिया था। स्टूडेंट रहते हुए मैंने काम करना शुरू कर दिया था, मैं और मेरा भाई दोनो McDonalds में काम करते थे। एक दिन मुझे मधु सरकार ने मुझे देखा और उन्होंने अपने विज्ञापन के लिए ऑफ़र किया। मैंने अपना पहला प्रोजेक्ट किया था लिबर्टी के लिए एड किया। उस एड के बाद ही मुझे दिबाकर बनर्जी ने एक एड ऑफ़र किया फिर मैं वो करने लगी। इस तरह से ऐक्टिंग और मॉडलिंग करियर की शुरुआत हुआ। बाद में मैंने बच्चन साहब के साथ काम किया और इसी तरह आगे बढ़ती चली गई।

सवाल -आप स्पोर्ट्स वूमेन भी रह चुकी हैं, बास्केटबॉल और तायक्वोंडो भी आपने काफ़ी ऊपर स्तर तक खेला है फिर अचानक शोबिज़ की तरफ़ रुझान कैसे हुआ ?

जवाब -ऐसा नहीं सब अचानक हुआ स्कूल में भी मैं थिएटर करती थी, मैं कथक डांसर हुँ बहुत सारे प्ले किया है। एक तरह से कहें तो बचपन से ही मैं ऐक्टिंग के लिए ट्रेंड हो रही थी। स्पोर्ट्स में इंडिया में लड़कियों के liya करियर बनाना आसान नहीं है वो भी बास्केटबॉल और तायक्वोंडो जैसे खेल में। बहुत मेहनत की कोशिश किया की स्पोर्ट्स में कुछ कर सकूँ लेकिन मेरे ट्रेनर ने स्पोर्ट्स टीचर ने यही कहा की पढ़ते रहो खेलने से करियर नहीं बन सकता है। जॉब भी नहीं मिल सकता है देखो पी टी उषा को इतना करने के बाद भी आज वो क्लर्क हैं। यही मिलता है स्पोर्ट्स में लड़कियों को, सानिया मिर्ज़ा और साइना विरले है।

सवाल -अब आप हॉलीवुड में पहल कर चुकी हैं वो भी एक अनूठे एक्शन अवतार में Never Back Down: Revolt में , कैसे हुआ ये सब ?

जवाब - देखिए ऐक्शन आना और करना दोनो में बहुत अंतर है। आपको उसके लिए भी मेहनत करनी पड़ती है। फ़िल्म में जो फ़ाइट मास्टर हैं उनके साथ लंदन में ट्रेनिंग की तब जाकर इस लेवल का ऐक्शन किया जो फ़िल्म में चाहिए था। जैसे जैसे ज़रूरत थी उस तरह का ऐक्शन पर्फ़ोर्म किया। ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ आपको ऐक्शन ही करना है उसके साथ आपको ऐक्टिंग भी करनी पड़ती है। तब जाकर आप परिपक्व तरीक़े से काम कर सकते हैं, आपको ऐक्टिंग-फ़ाइटिंग करनी पड़ती है। आपको रियल और ऐक्टिंग फ़ाइटिंग साथ में देना पड़ता है। आपको एक लेवल तक मेहनत करनी पड़ती है तब जाकर सब सही लगता है।

सवाल -आपने कैसे तैयार किया ख़ुद को इस रोल के लिए ? कितना मुश्किल होता है हॉलीवुड किसी के लिए, इंडियन सिनमा उनके सामने कमज़ोर लगा आपको। कौन कौन से प्रॉजेक्ट इस वक़्त चल रहा है आपकाज

जवाब -मैं कुछ प्राजेक्ट्स पर फ़िलहाल काम कर रही हुँ कुछ अभी बात भी चल रही है। एक हॉरर और एक ऐक्शन फ़िल्म है जिसकी मैं तैयारी कर रही हुँ। मुझे इस वक्त हॉलीवुड में काम करने का मज़ा आ रहा है। मैं बहुत नया भी सीख रही हुँ, हालाँकि मुझे अब तक वैसी स्क्रिप्ट नहीं मिली है जैसा मैं चाहती हुँ फिर भी जो काम है वो कर रही हुँ। मैं वैसे बैक्ग्राउंड से नहीं हुँ जहां आपको कोई पुश करे। अपने दम पर आपको साबित करना पड़ता है जो मैं इस वक्त कर रही हुँ। I deserve to work सिर्फ़ हॉलीवुड ही नहीं बॉलीवुड में भी, जहां भी काम रहेगा मैं करूँगा।

सवाल -आज भी सिनेमा में हीरोईन को सेकंड क्लास सिटिज़ेन की तरह ट्रीट किया जाता है और objectify करते हैं। इस पर आप क्या सोचती हैं । क्या पहले के मुक़ाबले आज कुछ बदला है ?

जवाब -मुझे लगता है बदलाव हो रहा है पहले के बनिस्बत अब बहुत कुछ बदला है। बहुत सारी फ़िल्में आ रहीं है जहां ऐक्ट्रेस पर्फ़ोर्म कर रहीं लोग उनके काम को पसंद कर रहे हैं। जितना मेल ऐक्टर्ज़ की इम्पॉर्टन्स हैं उतनी ही फ़ीमेल ऐक्ट्रेसेज़ को भी तरजीह दी जा रही है।

सवाल -पहले का बॉलीवुड और आज के बॉलीवुड कोई अंतर दिखा, मतलब क्या कुछ बदला या आज भी इस इंडस्ट्री में मर्दों की ही चलती है सब कुछ उनके इर्द गिर्द रखा जाता है वो कंट्रोल करते हैं ? 

जवाब -कई ऐसे सब्जेक्ट बन रहे हैं जो फ़ीमेल ऑरीएंटेड है और वो बहुत अच्छा कर रहीं हैं। चंडीगढ़ करे आशिक़ी, मिमी, गंगुबाई और मणिकर्णिका जैसी फ़िल्में है जिसमें लड़कियों ने अच्छा काम किया है। ऑडीयन्स भी बहुत पसंद कर रही है, आज ऐक्ट्रेस भी बराबरी का काम करती हैं। अब ऐक्ट्रेस के लिए सिर्फ़ गाना डांस नहीं वो काम करके दिखती है।

सवाल -आप बिहार और अपनी मातृभाषा से जुड़ी रहीं हैं उसको हर मंच पर बढ़ावा भी देती हैं, आपने मैथली भाषा में फ़िल्म में भी प्रोड्यूस किया है आगे भी ऐसी कुछ प्लानिंग है।

जवाब -मैं कई सारी रीजनल फ़िल्में कर रहीं हुँ। ख़ुद मैं ऐसी भाषाओं की फ़िल्में को प्रोड्यूस कर रही हुँ। मैं पैसे बनाने के लिए इस तरह की फ़िल्में नहीं बना रही हुँ। अपने कल्चर को अपनी भाषा को अपने लोगों को बचाने के लिए आगे भी इस तरह की फ़िल्में बनाती रहूँगी।

सवाल -कई लोगों ने आपके साथ काम करने से मना कर दिया थी आप साइडलाईन भी कर दी गयीं, आप भेद भाव का शिकार भी हुईं। कितना मुश्किल था ये सब संभालना

जवाब -जो बहुत कोर ग्रुप होता उनके साथ काम करने को नहीं मिलता है। आज बहुत ऐसे मेकर्स हैं जो नए लोगों के साथ भी काम करते हैं उन्हें मौक़ा देते है। ये सब हर जगह होता है लेकिन कुल मिलाकर अच्छा काम हो सबको मौक़ा मिलना चाहिए। जो अंदर के लोग हैं उन्हें भी ख़ुद को साबित करना पड़ता है। एक वक्त तक उनको भी मौक़ा मिलता है। आज वही चलेगा जो ख़ुद को साबित करेगा। नहीं तो वक्त के साथ आपको लोग भूल जाते हैं ये सबके लिए लागू होता है। आज जो इंसाइडेर है वो भी कभी बाहरी थे।

सवाल -आज बिहार जैसे उभरते राज्य की लड़कियों के लिए आप उनकी आदर्श है, आज महिला दिवस है ऐसे में इन चाहने वाली लड़कियों को क्या मार्गदर्शन देना चाहेंगी आप ?

जवाब -ये बहुत मुश्किल रास्ता है,अगर आपको लगता है की आप कर सकते तो कोशिश करो। मेहनत ही आपको आगे ले जाएगा। मुश्किलें आएँगी आपको पूरी ताक़त से उसका मुक़ाबला करना है। बस आगे बढ़ते जाओ कामयाबी ज़रूर मिलेगी।

सवाल -आप की नज़र में आपकी extraordinary नारी कौन है? 
जवाब - मेरी नज़र extraordinary नारी वही है जो धैर्य के साथ पूरी हिम्मत से हर हालत का मुक़ाबला करता है। ये कोई भी हो सकता है आज की औरत बिल्कुल भी कमज़ोर नहीं है। वो सही और ग़लत का फ़ैसला करने में ख़ुद सक्षम है।

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