प्रियंका चोपड़ा ने दिल्ली के सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में पेंग्विन पब्लिकेशन के एक इवेंट का हिस्सा बनीं. पेंग्विन इस अभिनेत्री को अपने सालाना कार्यक्रम में भाषण देने के लिए बुलाया था. विषय था- 'ब्रेकिंग द ग्लास सीलिंग: चेज़िंग द ड्रीम'. गुलाबी रंग के लिबास में पहुंची प्रियंका चोपड़ा ने अपने करियर,स्ट्रगल और इंडस्ट्री के अनुभवों को साझा किया.
प्रियंका ने कहा, 'मेरे लिए कामयाबी के मायने चेक में जीरो और गाड़ी नहीं हैं. मेरे लिए कामयाबी का मतलब है कि मेरे प्रशंसकों के पास मुझे प्यार करने की वजह हो. मैं कुछ ऐसा करूं जिसे वो सराहें.' साल 2017 में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली टीवी अभिनेत्रियों के मामले में, फोर्ब्स की टॉप 10 लिस्ट में जगह बनाने वाली प्रियंका कहती हैं 'मुझे गर्व है कि मैं इस कदर मेहनत से काम करती हूं कि आज मैं पुरुष अभिनेताओं से कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हूं.'
प्रियंका का कहना है कि सिनेमा जगत के बारे में बातें ज्यादा होती हैं इसलिए लोग देखते भी सिर्फ़ वहीं हैं लेकिन औरतों के साथ बुरा व्यवहार हर जगह होता है. ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने बच्चों को क्या सिखा रहे हैं. असली मर्द वो है जो औरतों की इज्जत करता है न कि वो जो उनके साथ बुरा सुलूक करता है.
प्रियंका ने आगे ये भी कहा, 'मुझे भी परेशानियां हुई हैं. कई बार ऐसा हुआ है कि मुझे फिल्म से निकाल दिया गया है. मेरी जगह हीरो की गर्लफ्रेंड को रोल मिल गया. या ऐन मौके पर किसी की सिफारिश आ गई और मुझे हटा दिया गया. लेकिन मैंने समझौता कभी नहीं किया.'
अपनी मेहनत से टॉप सेलिब्रिटी बन चुकी प्रियंका ने बताया कि विदेशों में उनका सफर इतना आसान नहीं रहा. जब वह 16 साल की थीं तब उन्हें बाकी विदेशी स्टूडेंट्स की छेड़खानी का सामना करना पड़ता था. इस बात को लेकर वह खुद को बहुत असुरक्षित महसूस करती थीं. प्रियंका ने यह भी बताया कि हाई स्कूल में पढ़ने वाली वह अकेली लड़की थीं. स्टूडेंट्स उस दौरान उन्हें ब्राउनी और करी कहकर छेड़ा करते थे.