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PeepingMoon Exclusive: दिल्ली क्राइम बनाने वाले रिची मेहता अब हाथियों के अवैध शिकार पर बनाएंगे सीरीज़, इंटरनेशनल एम्‍मी अवार्ड जीत चुकी है पहली सीरीज़  

पिछले साल मार्च में नेटफ्लिक्‍स पर एक सीरीज आई थी- डेल्‍ही क्राइम, जो इस साल एक बार फिर बेस्‍ट ड्रामा सीरीज का इंटरनेशनल एम्‍मी अवॉर्ड पाकर चर्चा में आ गई। सीरीज़ के का निर्देशन रिची मेहता ने किया था। रिची मेहता भारतीय मूल के विदेशी हैं. मूलत: कनाडा में रहते हैं, जिन्‍होंने ये सीरीज लिखी और इसका निर्देशन किया। 48 वां अंतर्राष्ट्रीय एमी अवार्ड में  नेटफ्लिक्स (Netflix) के दिल्ली क्राइम (Delhi Crime) ने बेस्ट ड्रामा सीरीज (Best Drama Series) का पुरस्कार जीता था। रिची मेहता (Richie Mehta) की डायरेक्ट सीरीज में, शेफाली शाह (Shefali Shah) एक पुलिस डिप्टी कमिश्नर की भूमिका निभाती है, जिसे 2012 के दिल्ली निर्भया गैंग रेप (Nirbhaya Rape Case) और हत्या के अपराधियों को खोजने का काम सौंपा जाता है। दिल्ली क्राइम-सीजन 1, सात किस्तों वाली इस क्राइम ड्रामा वेब सिरीज ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी थी। 

Peepingmoon.com को एक्सक्लूसिव जानकारी मिली है की दिल्ली क्राइम-सीजन 1 बनाने वाले रिची मेहता अब हाथियों की अवैध शिकार और उनके दांतों की तस्करी को लेकर एक मेगा सीरीज़ बनाने जा रहे हैं। इस सीरीज़ को फिलहाल नाम Poacher Diaries दिया गया है। और इसमें मालयम स्टार रौशन मैथू और दिब्येंदु भट्टाचार्य मुख्य भूमिका में होंगे। सीरीज़ की शूटिंग फिलहाल दिल्ली में चल रही है और अगले इसे रिलीज़ करने की योजना है।   

सूत्रों की मानें तो ये रिची मेहता का ड्रीम प्रोजेक्ट है। और इस सीरीज़ में रिची हाथियों की अवैध शिकार और उनके दांतों की तस्करी में शामिल गैंग और उनके मॉडस ऑपरेंडी को दिखाने वाले हैं। ये सीरीज़ हाथियों के शिकारियों के ख़िलाफ़ रिचर्ड के संघर्ष पर बन रही है। फिल्म एक एक्शन-एडवेंचर थ्रिलर है। इसमें हीरो हाथियों के अवैध शिकार का खुलासा करता है. साथ ही इसे रोकने की लड़ाई लड़ता है। 

पीपिंग मून को मिली जानकारी के मुताबिक़ इस सब्जेक्ट के लिए रिची ने काफी रिसर्च किया है। जब उन्हें ये पता चला की भारत में भी दांतों aur तस्करी के लिए शिकारियों द्वारा हर साल 100 हाथियों की हत्या कर दी जाती है। अभी वर्तमान में पूरे देश में 28 हजार हाथियों की संख्या है। इनके हत्या के पीछे हाथियों के दांत की तस्करी भी एक बहुत बड़ा कारण हैं। अब तक 600 हांथियों की जान तस्करों ने ली हैं। ये तस्कर हाथियों को मारकर उनके दांतों की तस्करी करते हैं । हाथी के दांतो की तस्करी विदेशों तक होती है और इनकी कीमत लाखों में होती है।

आज के दौर में कई प्रकार की आकर्षक ज्वैलरी हाथी के दांतों से तैयार की जाती है जिनकी कीमत हजारों में होती है। हाथी का एक दांत लगभग एक लाख रूपये से ऊपर का बिकता है। दांत के कारण हाथियों का अवैध शिकार किया जाता है तथा उनकी संख्या तेज़ी से गिरने के कारण वह जंगल में संकटग्रस्त हो गये हैं। यही कारण है कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हाथीदांत के व्यापार पर रोक लगा दी गई है।

कनाडा में जन्में और वहीं पले-बढ़े रिची एक लेखक भी हैं और अमाल (2007), सिद्धार्थ (2013) और आई विल फालो यू डाउन (2014) जैसी फिल्में बना चुके हैं। उनकी पहली सिरीज साल 2012 दिल्ली गैंग रेप मामले में अभियुक्तों की धर-पकड़ और एकदम शुरूआती पुलिसिया जांच सहित कई अन्य बातों का चित्रण करती है। वारदात की पहली पुलिस कॉल से लेकर मुजरिमों के पकड़े जाने तक के वाकियों को संभावित एवं वास्तविक लोकेशंस पर यथार्थवादी ढंग से प्रस्तुत किया गया है। इसलिए यह कहीं कहीं  डाक्यूमेंटरी फिल्म का अहसास भी देती है। हालांकि यह सिरीज घटना से जुड़े पुलिस दस्तावेजों-जांच पर आधारित बताई जाती है, लेकिन इसमें असल किरदारों के नामों को बदल दिया गया है। 

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