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पाकिस्तान से सुरक्षित लौटने वाली उजमा अहमद की ज़िन्दगी पर बनेगी बायोपिक, जॉन अब्राहम बनेंगे उच्चायुक्त अधिकारी जेपी सिंह 

भारतीय महिला उजमा अहमद को पाकिस्तान की सरजमी से हिंदुस्तान वापस लाने में मदद करने वाले भारतीय राजदूत की कहानी अब बड़े पर्दे पर आने के लिए तैयार है। कथित रूप से उजमा को पाकिस्तान में उसकी इच्छा के खिलाफ जबरन शादी करने के लिए मजबूर किया गया था। समीर दीक्षित, जतिश शर्मा, गिरीश जौहर और केवल गर्ग की अगुवाई वाली मूवी स्टूडियोज इस्लामाबाद में भारत के पूर्व उप उच्चायुक्त जे।पी। सिंह की वास्तविक जीवन की कहानी पर फिल्म बना रही है, जिन्होंने 2017 में उजमा की घर वापसी में मदद की थी।

फिल्म के पटकथा लेखक रितेश शाह हैं जो ‘कहानी’, ‘पिंक’, ‘एयरलिफ्ट’ और ‘रेड’ की पटकथा लिख चुके हैं। फिल्म के निर्माताओं ने फरवरी में सिंह से मुलाकात की। फिल्म में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पर आधारित किरदार भी नजर आएगा जिन्होंने उजमा को बचाने में मदद की थी।

फिल्म का निर्देशन नाम शबाना जैसी बड़े बैनर की फिल्म डायरेक्ट कर चुके निर्देशक शिवम नायर अब उजमा अहमद पर फिल्म बनाने जा रहे हैं। उजमा अहमद का नाम तब सुर्खियों में आया था जब उन्हें पाकिस्तान से भारत लाने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और सरकार को सामने आना पड़ा। दरअसल, इसी साल मई में उजमा ने पाकिस्तान की एक अदालत से कहा था कि खैबर पख्तूनवा प्रांत में रहने वाले एक पाकिस्तानी नागरिक ने उन्हें गन प्वाइंट पर शादी करने को मजबूर किया।

दिल्ली की रहने वाली 20 साल उजमा के मुताबिक, ताहिर और वो मलेशिया में मिले थे और वहीं उनमें प्यार हो गया। उजमा का कहना था कि पाकिस्तान जाने से पहले उन्हें ये बात नहीं मालूम थी कि ताहिर शादी-शुदा है और उसके चार बच्चे भी हैं।

उजमा की गुहार के बाद विदेश मंत्रालय तुरंत हरकत में आया और उजमा की सुरक्षित वतन वापसी तय की। अब ‘नाम शबाना’ के डायरेक्टर शिवम नायर ने उजमा की इसी जद्दोजहद और दिलचस्पी से भरी जिंदगी के वाकये पर फिल्म बनाने का इरादा बनाया है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ दिन पहले उजमा से मिल चुके शिवम का कहना है कि, शिवम नायर, फिल्म डायरेक्टर ने कहा की ये एक कहानी है जो आज के समय में बताई जानी चाहिए। मलेशिया से पाकिस्तान की यात्रा और अंत में इतनी मुश्किलों के बाद भारत वापस आना काफी प्रेरणादायक और साहसी है।

फिल्म के प्रोड्यूसर जीतेश वर्मा का कहना है कि उजमा पाकिस्तान के एक ऐसे हिस्से में थीं जिसे तालिबान कंट्रोल करता है। ऐसे में उनके वहां से ठीकठाक भारत लौट आना किस्मत की बात है। हर लड़की जो ऐसी जगह पर हो, इतनी किस्मत वाली नहीं होती। वहीं उजमा ने खुद की जिंदगी पर फिल्म बनाने के लिए हरी झंडी दे दी है। इतना ही नहीं उन्हें लगता है कि उनकी जिंदगी पर फिल्म बनना एक सपने जैसा है।

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