NCB ने हाई-प्रोफाइल मुंबई क्रूज ड्रग्स मामले में बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को ‘क्लीन चिट’ दे दी थी। आर्यन खान को पिछले साल मुंबई में एक क्रूज पर छापेमारी के दौरान एनसीबी ने कई अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया था और ड्रग्स बरामद करने का दावा किया था। कई सप्ताह तक जेल में बंद रहने के बाद आर्यन खान को कोर्ट से जमानत मिली थी। उसी समय जांच में सामने आया था की आर्यन खान केस को गलत तरीके से हैंडल किया गया और साज़िशन उसे फंसाया गया था। अब एनसीबी ( NCB) विजिलेंस जांच टीम के रिपोर्ट कई और बड़े खुलासे हुए हैं।
जांच रिपोर्ट में इस केस में कई अनियमितताएं पाईं। आर्यन खान केस की जांच करने वाले सात अधिकारियों के खिलाफ अनियमितताएं पाई गई हैं। एनसीबी विजलेंस की स्पेशल इंक्वायरी टीम ने दिल्ली मुख्यालय को अपनी रिपोर्ट भेजी है। इन सात अधिकारियों के खिलाफ डिपार्टमेंटल कार्रवाई करने की सिफारिश इस रिपोर्ट में की गई है। विजिलेंस टीम ने तीन महीने पहले अपनी रिपोर्ट एनसीबी (NCB) को सौंपी थी। यह जांच रिपोर्ट 3 हजार पन्नों की है। कुल 65 लोगों का बयान इसमें दर्ज किया गया। सभी बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई है। विजिलेंस टीम ने पाया कि आर्यन केस में 'सलेक्टिव ट्रीटमेंट' दिया गया। आर्यन अपने बयान के दौरान बहुत ही फॉर्मल था। इस केस से जुड़े अधिकारियों ने पिछले डेढ़ साल में जितने केस पर काम किया था, सभी की जांच की गई। इनमें से कुछ केस की जांच में अनियमितताएं पाई गईं। एनसीबी अधिकारियों के लिए मीडिया पॉलिसी बनाने की नोटिंग भी इस रिपोर्ट में दी गई है।
किरण गोस्वामी और आर्यन खान की जिस सेल्फी की वजह से यह पूरा मामला सामने आया था, उस सेल्फी से जुड़े सवाल भी विजिलेंस टीम ने आर्यन खान से पूछे थे। सेल्फी का इस्तेमाल एक्सटॉर्शन के मकसद के लिए किया गया। फिरौती की पहली किश्त 25 लाख रुपये और समीर वानखेड़े के बीच सीधा संबंध होने का कोई डायरेक्ट सबूत जांच टीम को नहीं मिला। इस केस से जुड़े सात एनसीबी अधिकारियों पर लगे एक्सटॉर्शन के आरोपों की जांच भी विस्तार से की गई। जांच के दौरान 2-3 केस में अनियमितताएं पाई गईं। अन्य आरोपों के सबूत नहीं मिल पाए। एनसीबी के सात अधिकारियों पर अनियमितता के जरिए की गई कथित उगाही से संपत्ती बनाने के आरोपों की भी जांच की गई। जिन 65 गवाहों के बयान दर्ज किए गए उन सभी गवाहों को अपने बयान दर्ज करवाने के दौरान पूरी आजादी दी गई। अपने बयान के दौरान एक गवाह ने फिरौती के रूप में 25 लाख रुपये देने की बात से इनकार किया।
इस केस की शुरुआत में दिल्ली एनसीबी के वरिष्ठ अधिकारियों को भी मिसलीड किया गया। एनसीबी के मुंबई के एक वरिष्ठ अधिकारी का कंडंक्ट सर्विस रूल के अनुरुप नहीं था। सर्विंग अधिकारी की ओर से मीडिया में की गई बयानबाजी उचित नहीं थी। इस संदर्भ में सभी अधिकारियों के लिए पॉलिसी बने। जिन सात अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट सौंपी गई है, उनमें से फिलहाल एनसीबी में तैनात कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, उनमें समीर वानखेड़े का तबादला अन्य विभाग में हुआ है, उन पर भी क्या कार्रवाई करनी है, इस पर संबंधित विभाग जल्द फैसला लेगा।
विजिलेंस विभाग के अधिकारी का कहना था, "इस केस की शुरुआत में हमने जो भी कहा, जो हमें यहां के अधिकारियों ने बताया था, लेकिन जांच के दौरान सच सामने आने लगा। आर्यन को निर्दोष कहने का फैसला बहुत ही साहसिक था, क्योंकि पहले हमारे ही विभाग ने आर्यन के खिलाफ सबूत होने की बात कही थी। हमें पता था की आर्यन को निर्दोष कहने पर हमारी आलोचना भी होगी, लेकिन हम सच सामने लाने के लिए तैयार थे।"