बॉलीवुड एक्टर रितेश देशमुख और जेनलिया डिसूज़ा एक नए विवाद में फंस गए हैं। दोनों की कंपनी के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं। मामला उनकी कंपनी को दिए गए 116 करोड़ के लोन का मामला है। आरोप है की उनकी कंपनी को जो लातूर कॉपरेटिव बैंक से लोन दिया गया उसमे नियमों का उलंघन किया गया है। उनकी कंपनी के खिलाफ जांच के आदेश महाराष्ट्र सरकार के सहकारिता मंत्री अतुल सावे ने जांच के आदेश दिए हैं।
रितेश देशमुख और जेनेलिया डिसूजा के नेतृत्व वाली कंपनी देश एग्रो प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ लातूर जिल केंद्रीयर सहकारी बैंक द्वारा कॉन्ट्रोवर्शियल 116 करोड़ के लोन की जांच का आदेश दिया है। दोनों स्टार्स को अप्रैल 2021 में लातुर में एमआईडीसी प्लॉट अलॉट हुआ था और एलडीसीसीबी ने उन्हें लोन दिया था अक्टूबर 2021 और जुलाई 222 में 2 इंस्टॉलमेंट में। बैंक द्वारा फंडिंग को लेकर दावा है कि इसमें जरूरी नियमों को फॉलो नहीं किया है। अतुल सेव ने सहकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को कहा कि रितेश के भाई अमित देशमुख पिछली एमवीए सरकार में मंत्री थे जबकि छोटे भाई कांग्रेस विधायक धीरज देशमुख, एलडीसीसीबी के अध्यक्ष थे।
उन्होंने लेटर में लिखा कि लैंड अलॉटमेंट और बैंक की फंडिंग इंसलिए हई क्योंकि रितेश का पॉलटिकल कनेक्शन था। आपसे अनुरोध है कि अलॉटमेंट और फंडिंग की जांच कराएं और फिर जो जरूरी एक्शन हो वो लें। वैसे एच टी से बात करते हुए मंत्री ने बताया कि उनका अधिकार क्षेत्र केवल फंडिंग तक ही सीमित है।
उप जिला रजिस्ट्रार वित्त पोषण की जांच करेंगे कि क्या लोन के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित की गई थी और क्या इसमें कोई अवैधता शामिल थी। रिपोर्ट आने के बाद हम आगे की जाने वाली कार्रवाई पर विचार करेंगे।' विभाग को यह निर्देश भाजपा जिलाध्यक्ष गुरुनाथ मागे और उप जिलाध्यक्ष प्रदीप मोरे द्वारा दो सप्ताह पहले मंत्री को पत्र लिखने के बाद आया है। मागे ने कहा कि हमने बैंक के डायरेक्टर्स से अलॉटमेंट को कैंसल करने के लिए कहा है।
रितेश से जब इस बारे में बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ नहीं कहा। हालांकि पिछले महीने उनकी कंपनी का कहना था कि बीजेपी नेताओं द्वारा लगाए गए ये आरोप गलत हैं और एमआईडीसी ने लीज और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन द्वारा दिए गए लोन से प्लॉट अलॉट कए हैं।