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बीबीसी की 2022 की 100 सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल 4 है भारतीय भी, प्रियंका चोपड़ा को भी मिली है जगह 

अभिनेत्री-फिल्म निर्माता प्रियंका चोपड़ा जोनास, वैमानिकी इंजीनियर सिरिशा बांदला, बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका गीतांजलि श्री और सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहा जावाले इस साल ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) की ‘100 प्रभावशाली महिलाओं’ की सूची में शामिल की गईं चार भारतीय हैं।

इस सालाना सूची में जमीनी स्तर से आने वाली स्वयंसेवकों से लेकर वैश्विक नेताओं तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं की उपलब्धियों पर जोर दिया जाता है और प्रसारणकर्ता इसका इस्तेमाल साक्षात्कार की श्रृंखलाओं, डॉक्यूमेंट्री और फीचर फिल्म के जरिए दुनियाभर में महिलाओं के अनुभव पर ध्यान केंद्रित करने के लिए करता है।

इस साल पहली बार बीबीसी ने पूर्व में इस सूची में शामिल रहीं ‘100 महिलाओं’ से उन महिलाओं को नामित करने के लिए कहा, जिन्हें वे 2022 की इस सूची में शामिल करने के योग्य मानती हैं।प्रियंका चोपड़ा के हवाले से कहा गया है, ‘‘मीटू आंदोलन और एक साथ आ रही, एक-दूसरे की रक्षा कर रही तथा एक-दूसरे के साथ खड़ी महिलाओं की सामूहिक आवाज- एक साथ आने में कुछ बहुत शक्तिशाली है।’’

सूची में उन्हें बॉलीवुड के सबसे बड़े फिल्मी सितारों में से एक बताया गया जिनके नाम पर 60 से अधिक फिल्में हैं। बीबीसी ने कहा, ‘‘उन्होंने अपनी खुद की प्रोडक्शन कंपनी बनायी, भारत में फिल्में बना रही हैं। प्रियंका चोपड़ा यूनिसेफ की सद्भावना दूत भी हैं, बच्चों के अधिकारों और लड़कियों की शिक्षा के लिए प्रचार कर रही हैं।’’

सिरिशा बांदला ऐतिहासिक 2021 यूनिटी 22 मिशन के हिस्से के रूप में वर्जिन गैलेक्टिक की पहली पूरी तरह से चालक दल वाली सब-ऑर्बिटल स्पेसफ्लाइट में अंतरिक्ष के छोर तक हो आईं, जिससे वह अंतरिक्ष में जाने वाली भारत में जन्मी दूसरी महिला बन गयीं।

कम उम्र से ही अंतरिक्ष में रूची रखने वाली बांदला अमेरिका वैमानिकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने गयी थीं। उपन्यासकार और लेखिका गीतांजलि श्री ने अपने उपन्यास ‘रेत समाधि’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ द सैंड’ के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली हिंदी लेखिका बनकर इस साल इतिहास रच दिया था। इस किताब के फ्रेंच अनुवाद को एमिली गुमेट प्राइज के लिए भी चयनित किया गया था।

इस सूची में चौथी भारतीय, घरेलू हिंसा की पीड़िता से सामाजिक कार्यकर्ता बनी स्नेहा जावाले हैं। बीबीसी में उनके हवाले से कहा गया, ‘‘पिछले 10 वर्ष में आग और तेजाब से झुलसने वाली महिलाओं के प्रति समाज की सोच बदली है। मैं खुद को किसी मिस वर्ल्ड या मिस यूनिवर्स से कम नहीं समझती हूं। मैं कहती हूं कि मैं सुंदर हूं तो हूं।’’

सूची के अनुसार, जब स्नेहा जावाले के माता-पिता और दहेज की मांग को पूरा नहीं कर पाए तो उनके पति ने उन पर केरोसिन छिड़क कर आग लगा दी। उनके परिवार ने पुलिस में मामला दर्ज नहीं कराया। जब उनके पति उनके बेटे को लेकर चले गये तो उन्होंने अपना जीवन फिर से जीने की ठानी। इसके लिए उन्होंने टैरो कार्ड रीडर और स्क्रिप्ट राइटर का काम चुना- यह ऐसे काम थे, जिनमें लोगों को उनका चेहरा देखने की ज़रूरत नहीं थी।

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