एक वकील कि ज़िन्दगी पर बनी है मनोज बाजपेयी कि फिल्म बंदा, जिसका ट्रेलर रिलीज़ कर दिया गया है। लेकिन ट्रेलर रेज़ के साथ विवाद हो गया है। सच्ची घटनाओं से प्रेरित, डायरेक्ट-टू-डिजिटल ओरिजिनल फिल्म 'सिर्फ एक बंदा काफी है' अपूर्व सिंह कार्की द्वारा निर्देशित एक कोर्टरूम ड्रामा है। 'बंदा' दीपक किंगरानी द्वारा लिखा गया है। यह एक साधारण व्यक्ति की कहानी है, जो एक उच्च न्यायालय का वकील है, जिसने अकेले ही POCSO अधिनियम के तहत एक नाबालिग के बलात्कार के लिए एक असाधारण मामला लड़ा। फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने के बाद आसाराम बापू ट्रस्ट ने फिल्म के मेकर्स को नोटिस जारी किया है। ट्रस्ट के वकील ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि फिल्म की रिलीज और प्रमोशन को कैसे भी करके रोक दिया जाए। वकील का कहना है कि ये फिल्म उनके मुवक्किल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रही है।
फिल्म कि कहानी ऐसी है कि मनोज बाजपेयी वकील का किरदार निभा रहे हैं जो एक स्वयंभू गॉडमैन के खिलाफ केस लड़ने वाला है, जिस पर एक नाबालिक बच्ची के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगा हुआ है। फिल्म की जानकारी सामने आने के बाद लोगों ने इस पर कयास लगाना शुरू कर दी हैं और यह कहा जा रहा है कि यह आसाराम बापू पर बनाई गई फिल्म है क्योंकि मनोज बाजपेयी के कैरेक्टर का नाम पीसी सोलंकी है, जो आसाराम के खिलाफ केस लड़ने वाले रियल वकील का नाम भी है।
फिल्म का आसाराम बापू से कनेक्शन होने की बातों की चर्चा है इसके विवाद की वजह बन गया है और आसाराम चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से फिल्म मेकर्स को लीगल नोटिस भेज दिया गया है। कोर्ट से यह मांग की गई है कि फिल्म के प्रमोशन और रिलीज को रोक दिया जाए। आसाराम के वकीलों का कहना है कि यह आपत्तिजनक फिल्म है और उनके मुवक्किल के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी भी कर रही है, जिससे उनके भक्तों की भावनाएं आहत हुई हैं।
इस पूरे मामले में फिल्म के प्रोड्यूसर आसिफ शेख ने ईटाइम्स से बात करते हुए कहा, 'हां हमें नोटिस मिला है। अब इस मामले में अगला कदम क्या होगा वो हमारे लॉयर्स तय करेंगे। हमने पीसी सोलंकी पर बायोपिक बनाई है और इसके लिए हमने उनसे राइट्स भी खरीद लिए हैं।अब, अगर कोई आकर कह रहा है कि ये फिल्म उस पर आधारित है तो इसमें हम लोग कुछ नहीं कर सकते। हम किसी की सोच को नहीं रोक सकते। जब फिल्म रिलीज होगी तो सच अपने आप बता देगी।' जानकारी के लिए बता दें कि फिल्म 23 मई को OTT प्लेटफॉर्म ZEE 5 पर रिलीज होगी।
ऐसी रही केस की पैरवी...
- गौरतलब है कि आसाराम की तरफ से देश के नामचीन और दिग्गज वकीलों ने केस की पैरवी की। इन वकीलों में बीजेपी सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, रामजेठमलानी और केटीएस तुलसी जैसे दिग्गज शामिल थे।
- इन वकीलों के सामने पीसी सोलंकी ने बड़ी सूझबूझ के साथ पीड़िता का पक्ष रखा और बिना डरे केस को अंजाम तक पहुंचाया।
केस नहीं छोड़ा तो मिली जान से मारने की धमकी
- सोलंकी ने बताया कि इस केस से हटने के लिए उन्हें तरह-तरह के लालच दिए गए लेकिन जब उन्होंने केस नहीं छोड़ा तो उन्हें जान से मारने की भी धमकी दी गई। इस बीच वे बिना परेशान हुए केस लड़ते रहे।
-- उन्होंने बताया, केस की पैरवी को लेकर उन्हें कई बार दिल्ली जाना पड़ता था। वह दिल्ली में होटल की बजाय धर्मशाला में रुकते और मेट्रो से आते-जाते थे।
- सोलंकी के मुताबिक केस लंबा खींचे इसके लिए बचाव पक्ष की तरफ से कई तरह के हथकंडे भी अपनाए गए। हर दिन कोर्ट में उनके सामने नया चैलेंज होता।
- पूरे मामले में उन्होंने पीड़िता के हौसले की तारीफ करते हुए कहा कि पीड़िता का साहस ही था जो हमें न्याय मिला।
बिना फीस लिए लड़ी इंसाफ की लड़ाई
- सोलंकी ने बताया, वह जनवरी 2014 में इस केस से जुड़ें थे। तब से वे लगातार केस की पैरवी कर रहे थे। केस जीतने को लेकर उन्होंने कहा कि जब कोर्ट ने आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई तब उन्हें सेटिस्फेक्शन मिला।
- इस केस के लिए सोलंकी ने कोई फीस नहीं ली और अपने खर्चे पर ही वे दिल्ली और अन्य जगहों पर भी जाते थे।