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'Kho Gaye Hum Kahan' Review अनन्या पांडे का बेस्ट परफॉमेंस, गली बॉय फेम सिद्धांत चतुर्वेदी और आदर्श का भी बेहतरीन अभिनय- मेलेनियल्स और जेन जी से सीधे कनेक्ट

Film: खो गए हम कहाँ 
Cast: Ananya Panday, Siddhant Chaturvedi, Adarsh Gourav
Director: Arjun Varain Singh
OTT Platform: Netflix
Rating: 3.5  Moons 

बॉलीवुड की मोस्ट अवेटेड फिल्म 'खो गए हम कहां'र रिलीज हो चुका है। सोशल मीडिया पर इसका बज बना हुआ है। फिल्म में अनन्या पांडे, आदर्श गौरव और सिद्धांत चतुर्वेदी लीड रोल में न हैं। कहानी बयां करता है उन 3 दोस्तों की जो अपनी लाइफ जीना चाहते हैं, पर अपनी टर्म्स पर। ब्रेकअप होता है, दिल टूटता है, पर दोस्ती नहीं टूटती। 

फिल्म में अनन्या पांडे 'अहाना' का किरदार निभाती हैं। सिद्धांत चतुर्वेदी 'इमाद' बने हैं और आदर्श गौरव 'नील' के रोल में नजर आ रहे हैं। अब बात करते हैंफिल्म की तो कहानी मुंबई बैकड्रॉप में नजर आती है। कहानी 3 दोस्तों की दोस्ती के ईर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म सोशल मीडिया को सेलिब्रेट करती नजर आती है। साथ ही किस तरह ये तीन दोस्त अपनी पर्सनल लाइफ में परेशान होते हैं और परिवार के साथ बॉन्डिंग बनाने की कोशिश करते हैं, यह दर्शाती है। 

इसमें कल्कि केकलां लीड रोल में हैं। यूथ से जुड़ा इसमें फुल ड्रामा दिखाया गया है। फिल्म मेलेनियल्स और जेन जी के लोग देख सकते हैं। जोया अख्तर और रीमा कागती ने इसे सात में लिखा है और न्यूकमर अर्जुन सिंह ने इसे निर्देशित किया है।

क्या है कहानी 

ये फिल्म तीन युवा कलाकारों के साथ जोया अख्तर के सहायक रहे अर्जुन वरैन सिंह ने बनाई है। उनकी पढ़ाई लिखाई मेट्रो संस्कृति में हुई है, लेकिन, इस संस्कृति पर मौजूदा दौर की डिजिटल क्रांति भी कितना खतरनाक असर डाल रही है, इसकी तरफ ध्यान देने के लिए अर्जुन की बतौर नवोदित निर्देशक जितनी तारीफ की जाए कम है। नए निर्देशक की पहली फिल्म होने के नाते फिल्म ‘खो गए हम कहां’ एक नई संभावना जगाती है कि हिंदी सिनेमा में अब भी समाज से समागम करते रहने की आस बाकी है।

हानी भी ऐसी जो बीती सदी की फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ की सबसे मशहूर लाइन, ‘एक लड़का और एक लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते’, को अपने किरदारों के पारदर्शी चरित्र चित्रण के जरिये तार तार करती चलती है। यहां एक लड़का और लड़की न सिर्फ दोस्त हैं बल्कि एक ही फ्लैट में रहते हैं और सिर्फ दोस्त ही बने रहते हैं। तीसरा सिरा इसका एक मध्यमवर्गीय युवक है। तीनों साथ साथ बोर्डिंग स्कूल में पढ़े और साथ साथ ही जिंदगी में आगे बढ़ने की कोशिशें कर रहे हैं। नील को अपना जिम खोलना है। अहाना नौकरी छोड़कर इस जिम का बिजनेस संभालना चाहती है। और, इमाद के पास इतना पैसा है कि वह इनके इस नए स्टार्टअप में निवेश कर सकता है। इस कारोबारी कहानी के समानांतर तीनों की तीन अलग अलग कहानियां चल रही हैं।

बचपन में इमाद ने जो झेला, वह उसके दिमाग में अब भी ग्रंथि बनकर कहीं फंसा हुआ है। वह दूसरों को हंसाने में अपनी खुशी तलाशता है। साथ ही डेटिंग एप पर रोज नई लड़की भी पसंद करता रहता है। फिर उससे बड़ी उम्र की एक लड़की उससे टकराती है (यहां आपको ‘दिल चाहता है’ याद आ सकती है)। दोनों एक दूसरे को लेकर गंभीर भी हुआ चाहते हैं, लेकिन दोनों की अब तक की आदतें उनके संवाद की सबसे बड़ी अड़चन बनकर सामने आती हैं। नील को लगता है कि जिस जिम में वह काम कर रहा है, वह जिम उसका भी है। लेकिन, जिम का मालिक एक दिन उसे जता देता है कि वह सिर्फ वहां का एक ‘स्टाफ’ है। अहाना का अपना अलग जीवन संतुलन बिगड़ा हुआ है। उसका बॉयफ्रेंड उससे आगे निकल चुका है। उसके जीवन में नए लोग आ चुके हैं, लेकिन वह सोशल मीडिया पर उसे ‘स्टाक’ कर रही है। नकली आईडी बनाकर अपने करीबियों पर नजर रखना, उनकी खुशियों में अपने गम के कारण तलाशना और गुस्सा जताने के लिए सोशल मीडिया पर गुमनाम ट्रोल्स बनकर अपने ही करीबियों को परेशान करना, ये सब फिल्म ‘खो गए हम कहां’ की क्षेपक कथाएं हैं।

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