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मुझे जीते जी नरक में धकेल दिया गया था, मैं भूखी थी मुझे जो दिया...' Rhea Chakraborty जेल में गुज़ारे पल को याद कर कांप उठीं-  सुनाई जेल की दर्दनाक दास्तान

बॉलीवुड एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती को सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद जेल में दिन बिताने पड़े थे। उन्होंने इस पर चुप्पी तोड़ते हुए बताया कि 28 दिन उनकी जिंदगी के सबसे बुरे दिन थे। पहली बार एक्ट्रेस ने जेल में गुज़ारे अपने पलों पर चुप्पी तोड़ी है। सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती पर कई गंभीर आरोप लगाए गए। दिवंगत एक्टर के परिवार वालों ने सुशांत की मौत का जिम्मेदार रिया को बताया। उन्हें उन दिनों पुलिस पूछताछ से गुजरना पड़ा और फिर 28 दिन मुंबई की भायखला जेल में बिताए। बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। रिया के लिए ये उनकी जिंदगी के सबसे मुश्किल भरे दिन थे। उन्होंने हाल ही में जेल में बिताए दिनों पर खुलकर बात की और बताया कि वहां से उन्होंने क्या सीख ली।

रिहा ने ने चेतन भगत के चैट शो, डीप टॉक विद चेतन भगत पर इस बारे में बातचीत की। एक्ट्रेस ने बताया, “कोविड नियमों के कारण मुझे 14 दिनों के लिए अकेला रखा गया था। मुझसे पूछा गया कि क्या मैं लंच करूंगी। मैं इतनी भूखी और थकी हुई थी कि मुझे जो भी दिया गया, मैंने खा लिया।'

रिया ने बताया कैसा था जेल का खाना और पानी
जब एक्ट्रेस पूछा की जेल के खाने में क्या था तो उन्होंने बताया कि, 'रोटी और शिमला मिर्च की सब्जी थी। शिमला मिर्च में पानी तैर रहा था। हालांकि तब मुझे इससे फर्क नहीं पड़ा। आगे एक्ट्रेस ने बताया कि घर से 5 हजार रुपये का मनी ऑर्डर मिलता था और आपको उसी में मैनेज करना होता है। मैनें उन पैसों से जेल में पानी खरीदा था, जो जेल के नल वाले पानी से अच्छा होता है। मेरे 2500 रुपये उसी में चले जाते थे।'

आपको सुबह 6 बजे नाश्ता, 11 बजे दोपहर का भोजन और दोपहर 2 बजे रात का खाना मिलता है, क्योंकि यह ब्रिटिश तरीके से चलता है। वे सुबह 6 बजे गेट खोलते हैं और शाम 5 बजे आपको अंदर बंद कर देते हैं। तब तक आप स्नान कर सकते हैं, लाइब्रेरी जा सकते हैं, आदि। ज्यादातर लोग अपना रात का खाना बचाकर रखते हैं और शाम 7-8 बजे खाते हैं।

इस इंटरव्यू में जब एक्ट्रेस ने जेल के टॉयलेट की सुविधा के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि, "जेल में रहने के बारे में सबसे कठिन हिस्सों में से एक है।  जहां पर आप सोते हो, उसके बगल में ही होता है। मेंटल ट्रॉमा इतना कठिन होता है कि फिजिकल ट्रॉमा भी उसके सामने फीका पड़ने लगता है। तब सोचते हैं कि 'गंदा बाथरूम तो मैनेज कर लूंगी'।'

जेल में महिलाओं से मिली सीख
वह आगे कहती हैं, 'मैं एक अंडर ट्रायल जेल में थी जिसका मतलब होता है कि यहां सजा पाए कैदी नहीं हैं और दुर्भाग्य से वहां की सभी महिलाएं अभी भी निर्दोष थीं क्योंकि वे दोषी साबित नहीं हुई थीं। उन्हें देखकर और उनसे बातचीत करके मुझे एक अनोखे तरह के प्यार और बुरी परिस्थितियों के बाद भी खुश रहने का अनुभव हुआ। उन्हें छोटी-छोटी चीजों में खुशी मिलती थी। जब उन्हें खुशी मिलती तो वह उसे लपक लेतीं। उन्हें मालूम है कि एक पल को कैसे एंजॉय करना है और वे सबसे खुश लोगों में से हैं जिनसे मैं मिली हूं।'

जिंदगी का सबसे बुरा दौर
रिया आगे कहती हैं, 'बेशक, यह निराशाजनक है लेकिन वे जानते हैं कि उस खुशी को कब और कैसे पाना है। संडे को समोसे जैसी छोटी चीज से खुश हो जाती हैं। किसी के डांस करने से यह खुशी मिल सकती है। यह केवल देखने का नजरिया है कि आप इसे कैसे देखते हैं।' वह कहती हैं, हां उस प्वॉइंट पर मेरी  दगी नरक से भी  दतर थी लेकिन स्वर्ग और नरक आपके दिमाग में एक  विकल्प है जिसे आप चुन सकते हैं। हर बार स्वर्ग को चुनना कठिन होता है लेकिन लड़ाई दिमाग की है और अगर आपके दिल में ताकत और इच्छा है तो आप निश्चित रूप से दिमाग से लड़ेंगे और जीतेंगे।' 

वर्कफ्रंट की बात करें तो सुशांत केस के बाद रिया लंबे समय तक लाइमलाइट से दूर रहीं। फिर उन्होंने रियलिटी शो 'एमटीवी रोडीज कर्म या कांड' से वापसी की है। 
 

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