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बेहतरीन अभिनय से अटल बिहारी वाजपेयी की जिंदगी अपनी शानदार एक्टिंग करीब से दिखाते हैं पंकज त्रिपाठी, जीवंत सपने कि तरह फिल्म चलती रहती है 

 

देश की राजनीति में जो स्थान पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई का है, वह स्थान बहुत ही कम नेताओं को नसीब हुआ है। अटल जी राज धर्म का पालन करने वाले और सबको साथ लेकर चलने वाले नेता थे। यही कारण है कि उनके उनका कोई भी विरोधी नहीं हुआ। इसी कारण से उनको भारतीय राजनीति का आजाद शत्रु भी कहा जाता है। उन्हीं कि ज़िन्दगी पर बनी है फिल्म 'मैं अटल हूं'। फिल्म 'मैं अटल हूं' पूर्व दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जिंदगी को करीब से दिखाती है। पंकज त्रिपाठी ने इस फिल्म में शानदार काम किया है। 

मूवी रिव्यू
नाम: मैं अटल हूं
रेटिंग : 3.5 स्टार 
कलाकार : पंकज त्रिपाठी, पीयूष मिश्रा, एकता कौल, दयाशंकर पांडेय
निर्देशक :रवि जाधव
निर्माता :विनोद भानुशाली, संदीप सिंह
लेखक : रवि जाधव
रिलीज डेट :Jan 19, 2024

कहानी 
फिल्म 'मैं अटल हूं' ये अटल जी की जिंदगी की कहानी है। उनके बचपन से लेकर पीएम बनने तक का सफर लेकिन सिर्फ राजनीतिक सफर नहीं, निजी जीवन भी। एक इंसान के तौर पर,एक कवि के तौर पर, एक दोस्त के तौर पर कैसे थे अटल जी।  ये फिल्म इस कहानी को दिखाती है और अच्छे से दिखाती है। 'मैं अटल हूं' फिल्म की शुरुआत अटल बिहारी वाजपेयी के बचपन से होती है। बाल अटल की आंखों में हमेशा कुछ बड़ा करने की सपना है। वो किसी भी सूरत में उन सपनों को साकार करना चाहता है जो अपने सामर्थ्य से कर सकता है। बाल अटल इन्हीं सपनों को लेकर बड़ा होता है। जीवन की शुरुआत में ही अटल आरएसएस की शाखा से जुड़ जाते हैं।

इसके बाद उनका अगला पड़ाव जनसंघ होता है। जनसंघ से जुड़ने के बाद वे एक बड़े नेता के रूप में स्थापित हो जाते हैं। इसके बाद वे जनता पार्टी की सरकार में मंत्री बनने से लेकर खुद के दल भाजपा का गठन करते हैं। सत्ता के शीर्ष यानी प्रधानमंत्री के पद को सुशोभित करने के बाद उनकी राजनीतिक यात्रा में जो-जो रुकावटें आती हैं, फिल्म उसी को दर्शाती है। फिल्म में कारगिल वॉर और परमाणु परीक्षण जैसे साहसिक फैसले के पीछे की सोच भी दिखाई गई है।

'अटल' पंकज त्रिपाठी 

पंकज त्रिपाठी एक मंझे हुए नेता कि तरह अभिनेता हैं। जो अभिनय कि हर बारीकियों को अच्छे से समझते हैं और फिल्म 'मैं अटल हूँ' में ये साफ़ दिखाई भी देता है। पंकज त्रिपाठी इस फिल्म की जान हैं। उन्होंने कमाल का काम किया है। अपने अभिनय से पंकज ने अटल बिहारी वाजपेयी की ज़िन्दगी को फिर से जीवंत कर दिया है। अटल जी जैसी शख्सियत का किरदार निभाना काफी चुनौतीपूर्ण है। थोड़ा सा गड़बड़ हुई कि उनके चाहने वाले हल्ला कर देंगे। अटल जी का हर अंदाज पंकज त्रिपाठी ने सधे हुए तरीके से पेश किया है। उनकी कविताएं हों या उनका भाषण या फिर अटल जी के बोलने का अंदाज़। एक छोटी सी बच्ची जब लंच के लिए बुलाती है तो किस तरह से वो उसे पहले मना करते हैं और फिर हां। ये सीन कमाल का है। पंकज त्रिपाठी के अलावा पीयूष मिश्रा इम्प्रेस करते हैं। जो अटल जी के पिता के किरदार में हैं। इसके लिए सपोर्टिंग कास्ट ठीक ठाक है। 

डायरेक्शन 
राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार विजेता और कई मराठी फिल्मों के निर्देशक रवि जाधव द्वारा डायरेक्टेड यह फिल्‍म बड़ी महिनी से बिना किसी किसी ताम-झाम और शोशेबाजी के अटल बिहारी वाजपेयी के व्‍यक्तित्‍व के साथ जीवन सफर को सपाट अंदाज में दर्शाती है। रवि जाधव के साथ ऋषि विरमानी ने फिल्‍म की कहानी, स्‍क्रीनप्‍ले और डायलॉग्स लिखे हैं।

कहीं-कहीं संवाद बेहद चुटीले हैं। अटल के जीवन के अहम अध्‍यायों को शामिल करने के प्रयास में घटनाक्रम बहुत तेजी से भागते हैं। इस दौरान हम उन की आदर्शवादी छवि के पीछे के कारणों, संघ से जुड़ाव, देशप्रेम, दृढ़ता और कविता से लगाव से परिचित होते हैं।

 

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