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Indian Police Force Review: 'सर्कस' के डिजास्टर के बावजूद रोहित शेट्टी ने नहीं सीखा सबक, कमज़ोर कहानी, कमज़ोर एक्टिंग और बोरियत से भरी है Indian Police Force 

रोहित शेट्टी भारतीय सिनेमा के उन फिल्म निर्माताओं में से एक हैं जो सेल्युलाइड पर पुलिस फ़ोर्स को बेहतरीन तरीके से दिखाने में कामयाब रहे। उनकी नई सीरीज़ Indian Police Force को लेकर उनके फैंस बेहद उत्साहित थे। रोहित शेट्टी की पहली ओटीटी रिलीज़ है। 'इंडियन पुलिस फोर्स' अमेजन प्राइम पर 18 तारीख को रिलीज हो चुकी है। अब लोग जानना चाहते हैं कि सिंहम, सिम्बा और सूर्यवंशी एक्शन थ्रिलर के बाद उनकी ये सीरीज़ कैसी है। तो बात पहले कहानी से शुरू करते हैं। 

Web Series: Indian Police Force

Cast: Sidharth Malhotra, Shilpa Shetty, Vivek Oberoi, Nikitin Dheer, Sharad Kelkar, Shweta Tiwari, Isha Talwar, Vaidehi Parshurami, Mrinal Kulkarni

Director: Rohit Shetty and Sushwanth Prakash

OTT: Amazon Prime Video

Rating: 2 Moons

Indian Police Force कहानी: 

उम्मीद के मुताबिक कहानी का हीरो कोई पुलिस अफसर ही होगा जो अन्याय के खिलाफ अपनी लड़ाई शुरू करता है। Indian Police Force कि 
कहानी देश के अलग-अलग शहरों में बम धमाके के पीछे के मास्टरमाइंड की 'हंटिंग' की कहानी है। कुछ लोग है जिनके निशाने पर हमारा देश है। वो एक के बाद एक कई धमाके कर हमारे देश को निशाना बना चुके हैं। आतंकियों ने दिल्ली, जयपुर, गोवा जैसी जगहों में सीरियल बम ब्लास्ट किये हैं। और इन्हें गुमनाम आतंकियों को पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस के सबसे बेहतरीन पुलिस ऑफिसर्स एक साथ आते हैं। कहानी देश में धर्म के नाम पर फैल रही नफरत और दंगों का दर्द दिखाने की भी है। टेरिरिस्ट्स को पकड़ने की ये जंग सिर्फ इंडिया ही नहीं, इंडिया के बाहर तक जाती है। 

इन धमाकों में शामिल लोगों को पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस गुजरात पुलिस से संपर्क करती है और यहाँ शिल्पा शेट्टी की इंट्री होती है। गुजरात पुलिस की स्पेशल सेल से एक ऑफिसर तारा शेट्टी (शिल्पा शेट्टी) आती हैं और एकदम 90s स्टाइल फिल्मों की तरह डायलॉगबाजी में आपको बताया जाता है कि तारा और विक्रम ट्रेनिंग में साथ थे। और बड़े बोरिंग स्टाइल में कहानी वहीँ आ जाती है जहाँ दो अफसर एक दूसरे को पसंद नहीं करते। तो सवाल ये है कि क्या ये टीम उसे रोक पाएगी? 

फिर अचानक से कहानी कबीर की पर्सनल लाइफ, कहानी के विलेन की लव स्टोरी और फिर बैक स्टोरी पर भी जाता है। पूरी कहानी में कहीं भी कुछ नया नहीं लगेगा सब 90 वाली कहनियों की तरह आपको बोर करेगी। लेकिन ये सबकुछ इतना रूटीन है कि आपको अंदाजा लगाने के लिए शो देखने की भी जरूरत नहीं है। वही पुराना घिसा पिता रोहित शेट्टी स्टाइल और ज़बरदस्ती का छलांग मारती कहानी आगे बढ़ती रहेगी। आतंकी भी वही पुराना वाला जिसने दंगो में अपनों को खोया है और बदले के लिए निकल गया है।

शो को जबरन देखने लायक बनाने के लिए VFX का हद से ज्यादा इस्तेमाल किया गया है। कहानी की कमियों को छुपाने के लिए वही पुराना स्टाइल धमाका और कार को उड़ाना। जो आपको साफ़ साफ़ नकली दिखाई देता है।

संदीप साकेत और अनुषा नंदकुमार ने कहानी पर ज़्यादा मेहनत करना मुनासिब नहीं समझा, पुरानी बोतल में पुरानी शराब परोसने की कोशिश की गई। 'इंडियन पुलिस फोर्स' में पुलिस वाले जिस तरह ऑपरेशन्स कर रहे हैं, उसमें किसी भी अपराधी से ज्यादा आम लोगों की जान जाने का खतरा है। रोहित शेट्टी के इस शो में पुलिस की फंक्शनल डिटेल्स पर ध्यान ही नहीं दिया गया है। ये तक ध्याना नहीं दिया गया देश की पुलिस का अपना दायरा होता है, अगर उसे देश के बाहर कोई ऑपरेशन करना है तो उसका भी एक तरीका होता है। रोहित शेट्टी यहाँ भी चूक गए दिल्ली पुलिस, अपराधी को पकड़ने बांग्लादेश पहुंची मिलती है, वो भी अंडरकवर ऑपरेशन में। लेकिन इनका कोवर्ट ऑपरेशन करने का तरीका थोड़ा कैजुअल है, जिसमें आधा ढाका तबाह हो चुका है।  

सीरीज में लीड रोल सिद्धार्थ मल्होत्रा ने निभाया है। कई जगह वो फ्लैट चेहरे के साथ दिखते हैं उन्हें देखकर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता कि वो एक्टिंग कर रहे हैं, बल्कि ऐसा लगता है कि वो सच में दुखी हैं। साथ देने के लिए शिल्पा शेट्टी और विवेक ओबेरॉय भी हैं, जो बिलकुल कमज़ोर दिखाई दे रहे हैं। नेगेटिव किरदार में मयंक टंडन ठीक लगे हैं। 

डायरेक्शन: रोहित की कॉमेडी फिल्म एक्शन पर भारी रही है। ये यहाँ भी दिखाई दे रही अपनी कमियों को रोहित ने आग और गाडी उड़ा कर छुपाने की कोशिश की है। आप जब आतंकियों को पकड़ने वाले कोवर्ट ऑपरेशन से जुड़े सीन्स देखेंगे तो आपको सिंहम और सूर्यवंशी की याद आती रहेगी। 

एक्शन: एक्शन रोहित शेट्टी वाला ही है। लेकिन थ्रिल नहीं पैदा होता। कुछ जगह सिद्धार्थ मल्होत्रा पर फिल्माए गए एक्शन सीन बेहतरीन लगते हैं, लेकिन उन्हें देखकर साफ पता चलता है कि उन्हें अट्रैक्टिव बनाने के लिए स्पीड को 1 से बढ़ाकर 1.25 कर दिया गया हो। हालांकि, गाड़ियों के टकराने और उड़ने के सीन अच्छे हैं, लेकिन नए नहीं हैं। 

कमियां: देश प्रेम का मैसेज देना बुरी बात नहीं है, लेकिन बार-बार एक जैसे तरीके से देना बोर करता है। पूरी सीरीज में ये इस्टैब्लिश करने के लिए कि कोई धर्म हिंसा को बढ़ावा नहीं देता, बार-बार एक जैसे डायलॉग घूम घूमकर आते रहते हैं। एक उदाहरण से समझते हैं- 'तुम्हारे जैसे लोगों की वजह से पूरी कौम बदनाम है'। ये डायलॉग कितनी ही जगह कितनी फिल्मों में आपने सुना ही होगा। इसके अलावा, कई जगह साफ पता चलता है कि सीरीज की शूटिंग किसी सेट पर की गई है।  सेट पर शूट होना तो लाजमी है लेकिन वो पता नहीं चलना चाहिए। कई जगह स्पेशल इफेक्ट और वीएफएक्स का कमजोर इस्तेमाल भी साफ पता चलता है। सीरीज के डायलॉग्स में भी समस्या है। वो पूरी तरह से फिल्मी लगते हैं। 

 

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