'श्री राजपूत करणी सेना' ने मंगलवार को कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' को प्रतिबंधित करने की मांग खारिज करने से उन्हें निराशा हुई है. संगठन की चित्तौड़गढ़ इकाई के अध्यक्ष ने दावा किया कि 'जौहर' करने के लिए पंजीकरण करा चुकीं 1900 से भी ज्यादा महिलाएं तैयार बैठी हैं.
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राजस्थान और मध्य प्रदेश की फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की याचिका खारिज करने का फैसला करने के बाद संगठन के अगुआ लोकेंद्र सिंह कल्वी ने कहा, 'मुझे यह जानकर दु:ख हुआ कि सर्वोच्च न्यायालय ने जन भावनाओं का सम्मान नहीं किया है.' उन्होंने कहा, 'अब हम जनता की अदालत में खड़े हैं और हमें विश्वास है कि फिल्म का पूर्ण बहिष्कार करने में वह हमारा समर्थन करेगी.'
उन्होंने कहा कि वे मात्र इतना चाहते थे कि नौ इतिहासकारों को फिल्म दिखाई जाए. फिल्मकारों ने मात्र तीन इतिहासकारों को फिल्म दिखाई थी. इस दौरान संगठन की चित्तौड़गढ़ इकाई के एक वरिष्ठ प्रवक्ता ने कहा कि रानी पद्मावती के शहर के लोग सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से निराश हैं.
उन्होंने कहा, 'हम चाहें तो हिसंक रास्ता अपनाकर लोगों और पर्यटकों को परेशान कर सकते हैं, लेकिन हमारी महिलाओं ने बिना किसी को परेशान किए 'जौहर' करने का निर्णय लिया है.'
उन्होंने दावा किया कि 'जौहर' के स्थान पर लकड़ियां जमा कर दी गई हैं और 'जौहर' के लिए 1908 महिलाओं ने पंजीकरण कराया है. प्रशासनिक अधिकारी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं या बात करने से बच रहे हैं. 'पद्मावत' गुरुवार को रिलीज हो रही है. करणी सेना का आरोप है कि भंसाली की फिल्म में इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है.