यूनिसेफ (यूनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रेन्स फंड) की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल लगभग 2.6 मिलियन बच्चे एक महीने के होने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. दुख की बात यह है कि इनमें से लगभग 1 मिलियन बच्चे अपने जन्म से ठीक एक महीने बाद उसी तारीख को मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं जिस दिन वो पैदा हुए थे. इसका मतलब है कि इस समय जब आप यह खबर पढ़ रहे हैं, वहीं एक मां अपने बच्चे की ज़िंदगी ख़त्म होने का शोक मना रही है. लेकिन इनमें से कई बच्चों की जानें बचाई जा सकती हैं अगर मां और बच्चे को एक सस्ती और अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैय्या कराई जाएं, साफ़ पानी उपलब्ध कराया जाए और अच्छा खाना दिया जाए.
यूनिसेफ ने बीते मंगलवार को इस समस्या पर काम करने और इसके समाधान तलाशने के उद्देश्य से एक ग्लोबल कैंपेन शुरू किया है जिसे नाम दिया गया है 'एव्री चाइल्ड अलाइव'. इसके तहत यूनिसेफ आह्वाहन करता है तमाम सरकारों, उद्योगपतियों, स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों, समुदायों और सभी परिवारों का जो इन नवजात शिशुओं को जीने का एक मौका देने में मदद करें. 'एव्री चाइल्ड अलाइव' चैलेंज के चलते द टाइम्स ऑफ इंडिया ने आमंत्रित किया यूनिसेफ प्रवक्ता और बॉलीवुड सुपरस्टार करीना कपूर खान को कि वो हमारे नवजात शिशुओं की ज़िंदगियां बचाने की ज़रुरत को देखते हुए एक शक्तिशाली एडिट पेज आर्टिकल लिखें. करीना, जिनका बेटा तैमूर अली खान अभी महज 14 महीने का ही है, ने इस काम को बहुत संवेदनशीलता के साथ लिया और अपने लेख में लिखा, 'अगर हम सच में कोशिश करें तो यह काम वाकई बिलकुल भी पेचीदा या मुश्किल नहीं है.'
अपने लेख की शुरुआत करते हुए करीना ने लिखा, 'हर मां जब अपने नवजात बच्चे के साथ शुरुआती दिन बिताती है तो उससे कई बेशकीमती यादों का खज़ाना तैयार होता है, जो ज़िंदगी भर याद रहती हैं क्यूंकि यह दौर एक महिला के लिए न सिर्फ कठिन होता है बल्कि इस दौरान उसे अपनी पूर्णता का भी अहसास होता है.' अपने निजी अनुभव से उन्होंने लिखा, "मुझे कई लम्बे दिन और लम्बी रातें याद हैं जिनमें मैं ज़्यादा सो नहीं पाती थी. कई दिन बहुत निराशा से भरे होते थे क्यूंकि मैं मैंने अपने रोते बच्चे को शांत करने के लिए अनन्य रूप से कोशिश करती थी. लेकिन कई दिन मुझे परमानंद का अहसाह होता था क्यूंकि मैं उस नयी ज़िंदगी का आनंद ले रही होती थी जिसे मैं इस दुनिया में लाने के काबिल बनी."
करीना लिखती हैं, "मैं यह जानकार भौंचक्की रह गयी कि कितनी जल्दी साउथ एशिया में नवजात बच्चे अपना दम तोड़ देते हैं. हम सभी जानते हैं कि नवजात शिशु बहुत नाज़ुक होते हैं और उनके साथ कुछ भी बुरा हो सकता है. लेकिन अपने जीवन का एक महीना पूरा करने से भी पहले रोज़ाना 2,800 नवजात बच्चों का दम तोड़ देना किसी को भी हिलाकर रख देगा. ज़रा सोचिये कि 9 महीने तक एक जान को अपनी कोख में पालना, उसे सींचना, उसे इस दुनिया में लेकर आना और फिर एक महीने से भी पहले अपने सामने उसे दम तोड़ते देखा कितना तकलीफदेह है."
बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपनी बोल्ड और बेहतरीन परफॉर्मेंसेज के लिए जानी जाने वाली करीना ने तीन सुझाव भी दिए जिन्हें अपनाने से एक मां और उसके साथ-साथ पूरा समाज इस समस्या से उबरने के लिए तैयारी शुरू कर सकता है-
1 - बच्चे के पैदा होने के पहले घंटे के भीतर ही उसे स्तनपान कराएं. मां का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम है, इसलिए बच्चे को अच्छे से स्तनपान कराएं.
2 - जन्म सेवकों (बर्थ अटेंडेंट्स) पर भरोसा करें. बच्चे के जन्म के समय किसी जन्म सेवक का साथ होना अनिवार्य है. जन्म सेवकों को पूरा अनुभव होता है कि एक गर्भवती महिला के साथ साथ उसके नवजात शिशु का ध्यान कैसे रखा जाए. बिना जन्म सेवक की सहायता के कोई भी महिला अपने बच्चे जो जन्म न दे. यह बहुत खतरनाक साबित हो सकता है.
3 - लिंग भेदभाव की भावना को मन से उखाड़ फेंकें. जितना ध्यान आप अपने बेटों का रखते हैं, उतना ही अपनी बेटियों का भी रखें.