संजय दत्त अपनी मां नरगिस दत्त से बेहद प्यार करते थे और यही वजह है कि उनके जाने के बाद संजय दत्त पूरी तरह टूट चुके थे. हालांकि संजय दत्त अपनी मां के मरने पर नहीं, बल्कि किसी और वजह से तीन सालों बाद रोए थे और यह वजह और कोई नहीं उनकी मां की आखिरी इच्छा थी. हाल ही में उन पर छपी एक नयी किताब में इस पूरे वाकये का जिक्र किया गया है.
यासिर उस्मान द्वारा लिखी गई संजय दत्त की कहानी में उन्होंने दुखद घटना बताई है. जैसा कि सभी जानते हैं नरगिस दत्त 1981 में 3 मई को कैंसर की वजह से गुजर गई थी. उनकी मौत के कुछ ही दिनों बाद संजय दत्त की फिल्म रॉकी रिलीज होने वाली थी. संजय दत्त उनकी मां के मरने पर नहीं रोए, बल्कि 3 साल गुजर जाने के बाद भी संजय के घाव नहीं भरे थे. उस दौरान संजय एक रिहैब सेंटर में भर्ती कराए गए थे.
उस समय सुनील दत्त ने उन्हें नरगिस दत्त द्वारा टेप की गई आख़िरी टेप उन्हें भेजी, जबकि उन टेप में नरगिस ने क्या रिकॉर्ड किया था यह उन्हें भी नहीं पता था. जब संजय ने वह टेप प्ले किया, तो उन्हें अपना बचपन, उनकी मां की आवाज सब कुछ याद आ गया, जो वे कई सालों से महसूस नहीं कर सके थे.
हालांकि नरगिस दत्त की आवाज बेहद कमजोर थी, लेकिन फिर भी उन्होंने अपने बेटे संजय दत्त को एक सलाह दी थी, 'किसी भी चीज से सबसे ज्यादा अपने अंदर की इंसानियत को जिंदा रखना। अपने चरित्र को बनाए रखना, कभी दिखावा नहीं करना, हमेशा लोगों के साथ नम्र रूप से पेश आना और बड़ों का आदर करना। यही चीजें तुम्हें आगे लेकर जाएंगी और यह तुम्हें तुम्हारे काम में अच्छा करने का साहस देंगी.'
यह सुनने के बाद संजय दत्त लगातार चार दिनों तक रोए थे. जैसा कि संजय दत्त ने बताया था कि वह 3 सालों तक बिना रोए अपने उस घाव को संभाले हुए थे, जो उनकी मां के मरने पर उन्हें मिला था, लेकिन वह आखिरकार भर गया था. नरगिस दत्त की यही आवाज़ संजय दत्त में बदलाव लाती गई और आखिरकार संजय ने अपने करियर को संभाल लिया.