आज जुबान पर किसान शब्द आता है, तो जेहन में एक ही ख्याल आता है कर्ज, कर्ज में डुबे किसान और आत्महत्या. आज देश भर में खासतौर पर महाराष्ट्र में किसानों की ऐसी हालत हो गई है वो ख़ुदकुशी करने पर मजबूर है. महाराष्ट्र में किसानों ने कर्ज माफ़ी जैसे अन्य मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ कई बार मोर्चा भी खोला है, लेकिन हर बार इसके बदले में सरकार की तरफ से कुछ मिला भी है तो वो है आश्वासन. हाल ही में मुंबई में किसानों ने मोर्चा निकाला सरकार से मांगे पूरी करने की मांग की थी. इस बार भी उन्हें सरकार की तरफ से मांगों को जल्द ही पूरा करने का आश्वासन दिया गया. सरकार किसानों की मांग को भले ही पूरा न कर सकी हो, लेकिन हम एक ऐसी अभिनेत्री के बारे में आपको बताने जा रहे है, जिसने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर एक गांव के किसानों की जिंदगी बदल दी है. अब इस गांव के किसान आत्महत्या नहीं करते है.
दोस्तों से ली मदद और बदल दिया गांव का हाल
राजश्री देशपांडे ने 2009 में सिनेमा और कला के क्षेत्र में अपना करियर बनाना शुरू किया. इस दौरान उन्हें सामाजिक कार्य करने का ख्याल उनके मन में आया. इसी समय उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करने और मित्रों के जरिये सामाजिक गतिविधियों में शामिल होना शुरू कर दिया. साल 2015 में जब राजश्री महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में पांधीरी नामक एक छोटे से गांव का दौरा किया, तो गांव वालों के परेशानियों को दूर करने का सुझाव दिया और उसे पूरा करने का उनसे वादा भी किया. ग्रामीणों ने उनके सुझावों को हल्के में लिया और कहा कि बहुत से लोग आते हैं और कई सुझाव देते हैं. लेकिन कोई भी उनके लिए काम नहीं करता है. इसके बाद से 2000 की आबादी वाले इस गांव में राजश्री ने काम करना शुरू किया.
उन्होंने फिल्म उद्योग में अपने दोस्तों से मदद ली और कुछ पैसे जमाकर गांव में काम करना शुरू कर दिया. उसके दोस्त मकरंद ने उसे एक पोकलैंड मशीन मुहैया कराकर मदद की और गांव में बारिश के पानी को जमा करने के लिए उन्होंने काम किया. आज पूरे गांव को पूरे साल तक पानी मुहैया रहता है. इसके बाद उन्होंने गांव में शौचालय बनवाने और ग्रामीणों को उसका इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया. राजश्री ने इस काम के लिए भी सब्सिडी लेने के लिए हर ग्रामीण की कागजी कार्यवाही पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया. बीते वर्षों में गांवों के लिए काम करने के बाद राजश्री ने महसूस किया कि गांवों को उनकी जरूरत है. इस तरह उसने अपने गैर सरकारी संगठन नभांगन का हाल ही में पंजीकरण कराया है.
खुद किसान के परिवार से रखती है ताल्लुक
राजश्री देशपांडे खुद एक किसान के परिवार से ताल्लुक रखती है. यहाँ तक उनके पिता ने भी खेती की है. लेकिन खेती में हो रहे नुक्सान की वजह से उन्होंने नौ एकड़ की ज़मीन बेचकर नौकरी के लिए औरंगाबाद में बस गए। राज श्री ने बताया की वो किसानों के दर्द को समझती है. राज श्री ने बताया की उनके माता पिता ने अपने बच्चों को पाल पोसकर बड़ा करने और उन्हें पढ़ने लिखने में बड़ी मेहनत की है.