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विनोद खन्ना और फिरोज खान दो ऐसे जिगरी दोस्त, जिनकी मौत की तारीख भी एक ही है

बॉलीवुड के बेहतरीन कलाकारों के नाम में शामिल फिरोज खान और विनोद खन्ना का निधन 27 अप्रैल को हुआ था. साल अलग था लेकिन तारीख एक ही थी. विनोद खन्ना को ब्लेडर कैंसर था. अपने अंतिम दिनों में विनोद खन्ना बहुत कमजोर हो गए थे.

फिरोज और विनोद दयावान, कुर्बानी, शंकी शम्भू जैसी फिल्मों में साथ दिखाई दिए थें. कुर्बानी विनोद और फिरोज की सुपरहिट फिल्म थीं. फिल्म में फिरोज खान ने निर्माता, निर्देशक और एक्टर तीनों की भूमिका में थें. 1968 में अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत करने वाले विनोद ने 140 से ज्यादा फिल्मों में काम किया हैं.

फिल्मों में नहीं बल्कि राजनीति में भी विनोद खन्ना ने ऊंचा मुकाम हासिल किया. जिस वक़्त उनकी मृत्यु हुई उस समय वो पंजाब के गुरुदासपुर लोकसभा सीट से बीजेपी के सांसद थे. विनोद खन्ना वाजपेयी की राजग सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बने थे. उनके काम को काफी सराहा गया था.

कहा जाता है कि फिल्मों आने से पहले विनोद की मां ने उनके सामने एक शर्त राखी. शर्त यह थी कि अगर दो साल के अंदर वह सफल नहीं हुए तो बिजनेस संभालना होगा. 191 में शादी और दो बेटे का पिता बनने के बाद विनोद ने संन्यास जीवन को अपना लिया और आचार्य रजनीश की शरण में चले गए. बॉलीवुड में वापसी के बाद उन्होंने दूसरी शादी कविता से की. उनकी पहली पत्नी का नाम गीतांजलि खन्ना था.

 

संयासी बनने के बाद वापस आने पर राजनीति में प्रवेश करने के साथ फिल्मों में भी काम का सिलसिला जारी रखा और उनकी फिल्म 'हाथ की सफाई' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था.

विनोद खन्ना को साल 1999 में फिल्मफेयर की ओर से लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड मिला. सच है कि अगर पुरस्कारों की बात करें, तो उनके काम को वैसी सराहना कभी नहीं मिली, जिसके वह हकदार थे, लेकिन उनके बिना किसी सुपरस्टार का स्टारडम वास्तव में सुपरस्टारडम बन पाता, इसमें संदेह है...

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