आधा 2018 बीत चुका है.बॉलीवुड के लिहाज देखा जाए तो यह काफी हैपनिंग रहा.इस दौरान कई फिल्में रिलीज़ हुईं और 10 से ज्यादा फिल्में बॉक्सऑफिस पर हिट भी साबित हुईं.खास बात ये है कि इन बेहतरीन फिल्मों को उनके उच्चकोटि के कंटेंट के लिए काफी सराहा गया.ऑडियंस ने भी इन्हें प्यार दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और अच्छा सिनेमा देखने के लिए सिनेमाहाल तक दौड़े चले आए.इस लिस्ट में हम ऐसी ही चुनिन्दा फिल्मों पर नजर डालेंगे जो पिछले छह महीनों में रिलीज़ हुईं और दर्शकों के दिलों पर छाप छोड़ गईं.आइए नजर डालते हैं ऐसी ही फिल्मों पर...
जनवरी
मुक्काबाज: 12 जनवरी को रिलीज़ हुई इस फिल्म के डायरेक्टर अनुराग कश्यप थे जो कि अपनी ऑडियंस को निराश होने का कम ही मौका देते हैं.उनका सिनेमा डार्क होता है,साथ ही बिना स्टार पॉवर के वह रीयलिस्टिक फिल्में बनाने पर फोकस करते हैं. फिल्म में उत्तर प्रदेश में खेलों को लेकर सियासत का तानाबाना बुना गया, इस तानेबाने में फिल्म के एक्टर विनीत फंसते हैं. फिल्म में विनीत पहलवान का किरदार निभा रहे हैं जिसे ब्राहम्ण लड़की (जोया अफरोज) से प्यार हो जाता है लेकिन जैसे ही लड़की के चाचा (जिम्मी शेरगिल) को इस बात की खबर मिलती है वैसे ही वह विनीत को बर्बाद करने की सोचता है. बता दें, फिल्म में जिम्मी राज्य मुक्केबाजी संघ के अध्यक्ष का रोल निभा रहे हैं और इस तरह वह अपनी पोजिशन का इस्तेमाल कर के विनीद के करियर को बर्बाद करने का तय करते हैं.फिल्म को उसके देसी अंदाज के लिए जमकर सराहा गया.
पद्मावत: तमाम विवादों के बाद पद्मावत इस साल 25 जनवरी को रिलीज़ हो पाई थी.फिल्म में शाहिद कपूर ने राजा रावल सिंह,दीपिका पादुकोण ने रानी पद्मावती और रणवीर सिंह ने अलाउद्दीन खिलजी का जबरदस्त रोल निभाकर सबकी तारीफें बटोरी थीं.‘पद्मावत’ एक पीरियड वॉर फिल्म थी जो कि लीजेंड्री राजपूत क्वीन पद्मावती पर आधारित है और सूफी कवि मालिक मोहम्मद जायसी द्वारा 1540 में लिखी गई एक कविता से प्रेरित है. दिल्ली का सुल्तान अल्लाउदीन खिलजी रानी के हुस्न पर फिदा था, यह चित्रण भी रानी की गरिमा को ध्यान में रखते हुए ही कहानी में पिरोया गया है.फिल्म के फिल्मांकन को लेकर संजय लीला भंसाली को काफी सराहना मिली थी.
फरवरी
पैडमैन: 9 फरवरी को रिलीज़ हुई इस फिल्म में एक ऐसा मुद्दा उठाया गया जिसके बारे में भारतीय परिवारों में बात करना भी गुनाह माना जाता है.हम बात कर रहे हैं माहवारी यानी पीरियड्स की लेकिन फिल्म में इसी समस्या को उठाकर जागरूकता फैलाने की कोशिश की.फिल्म की कहानी ट्विंकल खन्ना की बेस्टसेलिंग नॉवेल ‘द लेजेंड ऑफ़ लक्ष्मी प्रसाद’ पर आधारित थी.आर बाल्की ने गांव से निकालकर इसे इक्कीसवी सदी की लव स्टोरी बना दिया था जिसकी कहानी में केवल सेनेटरी हाइजीन ही छाया रहता है.दो घंटे का कॉमेडी-ड्रामा अच्छा था.इश्यू भी रियल था.माहवारी हमारे देश में एक टैबू है.82 प्रतिशत महिलायें आज भी सेनेटरी पैड्स नहीं पहनती हैं.गांवों में पीरियड्स होने पर महिलाओं को गलत तरीके से ट्रीट किया जाता है.यह एक ऐसे व्यक्ति(अक्षय कुमार) की कहानी है जो कि अपनी वाइफ(राधिका आप्टे) को ही ऐसी परेशानी से जूझते हुए देखता है और कम दाम में पैड्स बनाता है.
लव पर स्क्वायर फुट:14 फरवरी को आई इस फिल्म में विक्की कौशल और अंगीरा धार ने मुख्य भूमिका निभाई थी जो कि एक स्वीट लव स्टोरी थी.फिल्म के डायरेक्टर आनंद तिवारी थे.फिल्म एक लाइट हार्टेड ड्रामा थी जो दर्शकों के दिल में जगह बना गई.
मार्च
रेड:16 मार्च को प्रदर्शित हुई इस फिल्म में अजय देवगन और इलियाना डीक्रूज ने मुख्य भूमिका निभाई थी.फिल्म की कहानी इंडियन रेवेन्यू सर्विस के ईमानदार ऑफिसर अमय पटनायक (अजय देवगन) की है. यह कहानी 1981 के लखनऊ, उत्तर प्रदेश की है. इस ईमानदार ऑफिसर को अपनी ईमानदारी के चलते पिछले सात सालों में इससे पहले 49 बार ट्रांसफर हो चुका है और इस बार उसका ट्रांसफर यूपी के लखनऊ में हुआ है. यहां उनकी मुलाकात होती है वहां के सांसद से जिसका नाम रामेश्वर सिंह है और उसे राजा जी (सौरभ शुक्ल) के नाम से भी जाना जाता है. ऑफिसर को वहां पहुंचते ही टैक्स चोरी और 420 करोड़ रुपये का काला धन होने की जानकारी मिलती है. इसके बाद रेड शुरू हो जाती है. फिल्म की कहानी आपको सीट से बांधे रखती है.
हिचकी: 23 मार्च को आई फिल्म से रानी मुखर्जी ने तकरीबन चार सालों बाद मर्दानी के बाद कमबैक किया.हिचकी एक लड़की की कहानी है, जो जिंदगी में हुए एक बहुत बड़े नुकसान को मौके में तब्दील करती है. लड़की को बार-बार हिचकी (टॉरेट सिंड्रोम) आती है. वह टीचर बनना चाहती हैं लेकिन उसे ये कहा जाता है कि टीचिंग में उसके लिए जॉब मिलना बहुत मुश्किल है. इसके बाद जब उसे एक मौका मिलता है तो किस तरह वह खुद को प्रूव करती है.
अप्रैल
ब्लैकमेल: इरफ़ान खान और कीर्ति कुल्हारी स्टारर यह फिल्म 6 अप्रैल को रिलीज़ हुई थी.फिल्म की कहानी देव (इरफान) और रीना (कीर्ति कुल्हाड़ी) से शुरू होती है. दोनों पति-पत्नी हैं, दोनों की शादी को कई साल हो गए हैं. देव एक विज्ञापन इंडस्ट्री में काम करता है, जिसकी वजह से उसे ऑफिस से घर जाने में बहुत देर भी लग जाया करती है, वहीं दूसरी तरफ रीना हाउसवाइफ है. एक दिन देव ऑफिस से घर पहुंचता है तो देखता है कि रीना अपने दोस्त रंजीत (अरुणोदय सिंह) के साथ हमबिस्तर है. वैसे रंजीत पहले से ही डॉली वर्मा( दिव्या दत्ता) के साथ ब्याह रचा चुका है, लेकिन अक्सर रीना से मिलने चला जाया करता है. देव जब रीना को रंजीत के साथ देखता है तो उसके दिमाग में तीन ख्याल आते हैं, पहला कि वह रीना को मार दे, दूसरा रंजीत कुमार को मार दे या तीसरा वह दोनों को ब्लैकमेल करे. आखिरकार देव ब्लैकमेल करने का रास्ता चुनता है और उस के दौरान कहानी में बहुत से उतार-चढ़ाव आते हैं. अभिनव देव के निर्देशन में बनी यह फिल्म आपको अंत तक बांधे रखती है.
अक्टूबर: 13 अप्रैल को रिलीज़ हुई इस फिल्म में वरुण धवन का बिलकुल अलग अंदाज नजर आया था.उन्होंने फिल्म में पहली बार सीरियस परफॉरमेंस देकर सबका दिल जीत लिया था.शूजीत सरकार की ये फिल्म बेहद खूबसूरत है. फिल्म की कहानी आपको आखिर तक बांधे रखेगी. जूही चतुर्वेदी की कहानी को शूजीत सरकार ने जिस सादगी और अंदाज से पेश किया, वो वाकई काबिले तारीफ है. फिल्म होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले डैन (वरुण धवन) की कहानी है.
मई
ओमेर्टा: यह फिल्म 4 मई को रिलीज़ हुई थी.इस फिल्म ने दुनियाभर के फिल्म फेस्टिवल्स में कई झंडे गाड़े हैं और हंसल मेहता की अधिकांश फिल्मों की तरह इस बार भी फिल्म में राजकुमार राव मौजूद रहे. ये पहला मौका था जब राजकुमार राव एक आतंकवादी का रोल निभा रहे हैं और यकीन मानिए उन्होंने पर्दे पर इस रोल को ज़िंदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.यह फिल्म मात्र 98 मिनट की है जो की हंसल मेहता की आज तक की सबसे छोटी फिल्म है. और यकीन मानिये राजकुमार राव ने एक बार फिर से बहुत ही उम्दा अभिनय किया है और ओमार के किरदार में पूरी तरह से लिप्त नजर आते हैं और कई ऐसे सीन हैं जहां राजकुमार राव आपको बिल्कुल अलग अवतार में दिखाई देते हैं.
102 नॉट आउट: यह भी 4 मई को रिलीज़ हुई थी जिसमें अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर ने बाप-बेटे का रोल निभाया था.102 साल के दत्तात्रय वखारिया (अमिताभ बच्चन) और उनके 75 साल के बेटे बाबूलाल (ऋषि कपूर) रहते हैं. बाप-बेटे खूब झगड़ते हैं लेकिन दोनों के बीच में बेहद प्यार भी होता है. फिल्म में थोड़ा और ड्रामा जोड़ते हैं, दत्तात्रय के घर में काम करने वाले मूर्ख नौकर धीरू (जिमित त्रिवेदी). एक दिन, दत्तात्रय एनाउंस करते कि उन्हें 118 साल तक जिंदा रहकर सबसे ज्यादा उम्र तक जिंदगी जीने का रिकॉर्ड बनाना है लेकिन बाबू का जिंदगी के लिए नीरस रवैया उनके लिए खतरा बन रहा है और इस वजह से खुशदिल पिता अपने बेटे को वृद्धाश्रम भेजने की ठानते हैं.
राज़ी: मई 11 को आई इस फिल्म की डायरेक्टर मेघना गुलजार थीं जो इससे पहले तलवार जैसी सशक्त फिल्म बनाकर तारीफें बटोर चुकी हैं.फिल्म की कहानी वैसे तो हरिंदर सिक्का के उपन्यास ‘कॉलिंग सहमत’ पर आधारित है, लेकिन जिस तरह से इसका स्क्रीनप्ले और सिलसिलेवार घटनाएं लिखी गई हैं, वह काबिले-तारीफ है.फिल्म में आलिया भट्ट ने एक इंडियन जासूस का रोल निभाया जो पाकिस्तान जाकर जासूसी करती है .
परमाणु:द स्टोरी ऑफ़ पोखरण: 25 मई को रिलीज़ हुई इस फिल्म में जॉन अब्राहम मेन लीड में थे.फिल्म सत्य घटनाओं पर आधारित है. 1998 में भारत में परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका के साथ-साथ आस-पास के देश भी हिल गए थे.1998 पोखरण परमाणु टेस्ट पर बनी ये फिल्म परीक्षण के पीछे की कहानी को दिखाने की कोशिश की है. डायरेक्टर अभिषेक शर्मा इस कहानी को दिखाने में कई हद तक सफल भी हुए हैं. फिल्म लगभग दो घंटे दस मिनट की है. ये फिल्म आपको पूरी अवधि में सीट से बांधकर रखेगी. फिल्म में जॉन अब्राहम एक देशभक्त आईएएस ऑफिसर अश्वत राणा के रोल में है.
जून
वीरे दी वेडिंग: यह 1 जून को रिलीज़ हुई थी.इस फिल्म करीना कपूर खान, सोनम कपूर, शिखा तलसानिया, स्वरा भास्कर के एकसाथ नजर आए हैं. ये एक एडल्ट कॉमेडी है.फिल्म की कहानी दिल्ली के एक ही स्कूल में पढ़ने वाली चार लड़कियों से शुरू होती है.फिल्म की कहानी इनकी जिंदगी की उलझनों से वाकिफ कराती है.फिल्म की कहानी चार दोस्तों की है जो आधुनिक युग में जिंदगी को पूरी तरह से जीने की कोशिश करती हैं. फिल्म की लिखावट बढ़िया है साथ ही साथ जिस तरह से कहानी आगे बढ़ती है पता ही नहीं चलता.
संजू: 29 जून को रिलीज़ हुई और राजकुमार हिरानी के निर्देशन में बनी फिल्म ‘संजू’ का इंतजार दर्शकों के साथ-साथ फिल्म जगत के लोगों को भी था. हिरानी की इस फिल्म में ‘संजू’ का किरदार रणबीर कपूर निभाया. फिल्म के लिए रणबीर कपूर ने अपनी चालढाल और वेशभूषा पर काम करने के अलावा, अपने वजन पर भी काफी काम किया.उनकी मेहनत रंग लायी और फिल्म चल निकली.इस फ़िल्म में संजय दत्त की लाइफ के कई अहम पहलुओं को रोचक अंदाज में पेश किया गया है.