वैसे तो बॉलीवुड मेगास्टार अमिताभ बच्चन का जन्म 11 अक्टूबर, 1942 को हुआ था. लेकिन उनके मुताबिक, उनका पुर्नजन्म 2 अगस्त, 1982 को हुआ. यह वहीं दिन था जब फिल्म 'कुली' के दौरान हुए हादसे के कई महीनों बाद अमिताभ बच्चन की तबीयत में सुधार आया था और लंबी बीमारी के बाद उन्होंने जिंदगी की जंग जीत ली थी.
इसी दिन को याद करते हुए उन्होंने बीती देर रात ट्वीट कर लिखा, 'कुली एक्सीडेंट के बाद मिली रिकवरी मेरा दूसरा जन्म है. मेरे दूसरे बर्थडे 2 अगस्त पर मुझे विश करने के लिए आप सभी का शुक्रिया. सभी के मेसेज का रिप्लाई करना मेरे लिए मुश्किल होगा, लेकिन मैं इतना जरूर जानता हूं कि आप लोगों की प्रेयर ने ही मुझे मौत के मुंह से बचाया था.'
https://twitter.com/SrBachchan/status/1024787330949894148
फिल्म 'कुली' उनकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के लिए बेहद अहम रही, यही वो फिल्म है जिसकी शूटिंग के दौरान अमिताभ मौत के मुंह में बच कर निकल आए थे. 24 जुलाई, 1982 को फिल्म के एक सीन की बेंगलुरु में शूटिंग के दौरान एक्टर पुनीत इस्सर का घूंसा अमिताभ के मुंह पर पड़ते ही वह स्टील की टेबल पर गिरे और लुढ़कते हुए दूसरी ओर जा गिरे. सीन काफी रियल लगा, इस पर उन्हें तालियां मिली. अमिताभ भी मुस्कुराए, लेकिन तभी उनके पेट में हल्का दर्द शुरू हुआ. कुछ देर बाद अमिताभ ने बताया कि टेबल का कोना उनके पेट में बुरी तरह चुभा है.
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अमिताभ सहित सभी को ये चोट मामूली लग रही थी, क्योंकि खून की एक बूंद भी नहीं निकली थी. शुरुआती जांच में कुछ नहीं निकला, फिर 27 जुलाई, 1982 को डॉक्टर्स ने ऑपरेशन का फैसला कर जब उनका पेट चीरा तो हैरान रह गए. अमिताभ के पेट की झिल्ली (जो पेट के अंगो को जोड़े रखती है और केमिकल्स से उन्हें बचाती है) और छोटी आंत फट चुकी थी. 28 जुलाई को ऑपरेशन के एक दिन बाद अमिताभ को निमोनिया भी हो गया. उनके शरीर में जहर फैला और खून पतला हो रहा था. ब्लड डेंसिटी को सुधारने के लिए बेंगलौर में सेल्स मौजूद नहीं थे, जिन्हें मुंबई से बुलवाए गए.
फिर एयरबस के जरिए अमिताभ को 31 जुलाई की सुबह मुंबई जाया गया. उन्हें ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल के स्पेशल विजिलेंस वॉर्ड में रखा गया. 1 अगस्त उनकी तबीयत में सुधार था जबकि 2 तारीक को अचानक अमिताभ की कंडीशन फिर बिगड़ गई. शरीर में जहर फैलने की वजह से डॉक्टर्स ने दोबारा ऑपरेशन कियो, जो 3 घंटों तक चला. बिग बी की हालत काफी गंभीर थी, उन्हें दवाओं के साथ दुआओं की भी जरूरत थी. इसलिए देशभर के लोगों ने उनके लिए प्रार्थनाएं शुरू की.