एक्टर मनोज बाजपाई ने आर्ट फिल्मों से अपनी जगह बनाई थी और फिर उसके बाद कमर्शियल सिनेमा की तरफ मुड़ गए.वह जल्द ही मिलाप जावेरी द्वारा निर्देशित मसाला एंटरटेनर सत्यमेव जयते में नजर आएंगे जो इंडियन सिस्टम में फैले करप्शन और अन्याय को उजागर करती है.हाल ही में एक एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने कई मुद्दों पर बातचीत की,मनोज ने कहा,सेंसरशिप वहां (अलीगढ़) में कैंची चला नहीं पाई,लेकिन कॉन्सेप्ट को लोगों ने ए-सर्टिफिकेट दे दिया.ऐसे माहौल में काम करना मुश्किल है,ऐसे सेंसरबोर्ड के रहते काम करना बहुत ही पिछड़ा है.यह फ्रस्टेटिंग है.
सेंसर के पास क्रिएटिव लोगों को सकारात्मक देने के लिए कुछ नहीं होता.ईरानी लोगों ने जबरदस्त क्रिएटिव काम किया है.ऐसे सेंसरशिप होनी चाहिए.लेकिन एक चीज है जो इतने सालों में सेंसर नहीं बदल पाया वो है उसकी हिस्ट्री.वह क्रिएटिव लोगों को ख़त्म कर सकता है लेकिन आर्ट को नहीं.यही इसकी खूबसूरती है.मनोज ने पहले सिनेमा को मीडियम ऑफ़ एक्सप्रेशन कहा था लेकिन अब उनका मानना है कि किसी को ये उम्मीद नहीं करना चाहिए कि फिल्में मोरल रिस्पोंसिबिलिटी उठाने के लिए बनेंगी.फिल्म्स का काम आर्ट के प्रति वफादार होना है,स्टोरीटेलिंग पर फोकस करना है लेकिन उनपर मोरल रिस्पोंसिबिलिटी नहीं है.
विवादों में सेलिब्रिटीज को टारगेट किये जाने पर मनोज बोले,एक्टर्स सबसे पॉवरलेस होते हैं.लोग उन्हें पसंद करते हैं,प्यार करते हैं बस यही हमारा पॉवर है,असल में हम पॉवरलेस होते हैं.इन दिनों कई सारे एक्टर्स डिजिटल वर्ल्ड में कदम रख रहे हैं मनोज भी इससे पीछे नहीं हैं.वह अमेज़न प्राइम की ओरिजिनल सीरीज द फैमिली मैन में नजर आएंगे.वेब सीरीज की शूटिंग अक्टूबर में खत्म होगी और इसकी स्ट्रीमिंग अप्रैल और अगले साल नवम्बर में होगी.इस बारे में उन्होंने कहा,राहत की बात है कि वेबसीरीज और डिजिटल वर्ल्ड में अभी सेंसरशिप नहीं है हालाँकि लोग डिजिटल सेंसरशिप के बारे में बात कर रहे हैं लेकिन देखते हैं क्या होता है.