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ऋषि कपूर ने कहा, छाती पर पत्थर रखकर आरके स्टूडियो बेचने का फैसला लेना पड़ा

बॉलीवुड इंडस्ट्री को कई शानदार फिल्में दे चूका 70 साल पुराना मशहूर आरके स्टूडियो अब बहुत जल्द बेचा जाने वाला है. आपको बता दें कि इसकी वजह पिछले साल लगी भीषण आग है, जिसमे स्टूडियो का एक बड़ा हिस्सा जल गया. वहीं जब इसकी मरम्मत की बात आई तब कपूर खानदान ने इस चीज को आर्थिक रूप से प्रैक्टिल नहीं समझा और इसे बेचने का फैसला कर लिया.

पिछले साल की बात करें तो ऋषी कपूर ने स्टूडियो को नई टेक्नोलोजी के साथ फिर से तैयार कराने की इच्छा जताई थी. लेकिन उनके बड़े भाई रणधीर कपूर ने कहा कि यह प्रैक्टिल नहीं था. रणधीर कपूर ने पीटीआई से बात करते हुए कहा, "हां, हमने आरके स्टूडियो को बेचने का फैसला किया है. यह बिक्री के लिए उपलब्ध है. स्टूडियो में आग लगने के बाद उसे फिर से बनाना व्यवहार्य नहीं था...इसे फिर से बनाना आर्थिक रूप से प्रैक्टिल नहीं था."

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वहीं फिलहाल की बात करें तो परिवार की तरफ से ऋषि कपूर ने कहा, "कपूर परिवार इस फैसले को लेकर काफी इमोशनल है.' उन्होंने बताया कि हम लोग तो इससे काफी अटैच्ड हैं लेकिन आने वाली पीढ़ी का कुछ पता नहीं. ऋषि ने कहा, 'छाती पर पत्थर रखकर यह फैसला लेना पड़ रहा है."

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आपको बता दें कि इंडस्ट्री में शोमैन के नाम से जानेजानें वाले राजकपूर ने 1948 में मुंबई के उपनगरीय इलाके चेंबूर में इसकी स्थापना की थी. वहीं इस स्टूडियो में उन्होंने कई फिल्मों को बनाया था. जैसे ‘आग‘, ‘बरसात‘, ‘आवारा‘, ‘श्री 420‘, ‘जिस देश में गंगा बहती है‘, ‘मेरा नाम जोकर‘, ‘बॉबी’, ‘सत्यम शिव सुंदरम’, ‘राम तेरी गंगा मैली’ आदि शामिल हैं. आरके बैनर के तले बनी आखिरी फिल्म ‘आ अब लौट चलें’ थी.

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