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शाहिद कपूर ने 'बत्ती गुल मीटर चालू' में अपने किरदार के बारे में बताई ये खास बातें

बॉलीवुड एक्टर शाहिद कपूर को आखिरी बार हमें उनकी बॉक्स ऑफिस पर दमाकेदार कमाई करने वाली फिल्म 'पद्मावत' में देखा था. जिसके बाद वह अपनी अगली फिल्म 'बत्ती गुल मीटर चालू' की रिलीज के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. श्री नारायण सिंह द्वारा डायरेक्ट की गयी इस फिल्म की कहानी एक सोशल ड्रामा पर आधारित है. फिल्म में हमें छोटे शहरों में अधिक बिजली के बिल की समस्या जैसा मुद्दा देखने मिलेगा.

आने वाली फिल्म के बारे में बात करते हुए शाहिद ने खुलासा किया कि बत्ती गुल मीटर चालू एक ऐसी फिल्म है जो मुंबई से बाहर रहने वाले लोगों के लिए महत्वपूर्ण है. जिसके बारे में शाहिद ने आगे कहा, "हमारे इस फिल्म को बनाने का करण यह है कि इन शहरों से परे भी जनता है जो हमेशा बिजली की कमी का सामना करती है. लगभग 32 मिलियन लोगों के पास उनके घरों में एक बल्ब नहीं है. जब मुझे इसके बारे में पता चला, मेरे लिए तब यह किसी झटके से कम नहीं था."

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शाहिद ने फिल्म में अपने किरदार के बारे में बात करते हुए कुछ दिलचस्प बाते बताई, "फिल्म की शुरुआत में मैं एक कपटी वकील हूं जिसे सिर्फ अपने फायदे से मतलब रहता है. मेरा किरदार अक्सर अदालत के बहार केस का निपटारा करने में लगा रहता है ताकि वह जल्द पैसे कमा सके. लेकिन जब उसके दोस्त के साथ जब कुछ होता है तब उसे यह एहसास होता है कि उस समस्या के बारे में कुछ करना चाहिए जिसका सामना बहुत से लोग कर रहे हैं. जिसके बाद मैं एक ईमानदार व्यक्ति बन जाता हूं जो लोगों के लिए लड़ता है."

शाहिद ने अपने किरदार के बारे में आगे बात करते हुए कहा, "जब में लाइन्स की प्रैक्टिस करता था जिसमें 'फैक्ट और फिगर' जैसे शब्द रहते थे तब मैं लोकल्स की तरह शब्दों को 'फक्ट्स' कहता था. मीरा (मेरी पत्नी) 'क्या आप अपने इस किरदार को लेकर निश्चित हैं? और तब में उसे बताता था कि यह शख्स जहां का है, और जो भाषा वह बोलता है, और ऐसी ही है."

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यह बात सभी जानते हैं कि इस फिल्म की शूटिंग पहले शहर में होने वाली थी. लेकिन बात में स्क्रिप्ट पर काम कर उनकी शूटिंग एक स्माल टाउन में की गयी ताकि फिल्म की कहानी के मुताबिक सभी चीजे असल लग सके. "फिल्म की कहानी एक ऐसे शख्स की है जो अधिक बिल, बिजली चोरी और निजीकरण के खिलाफ लड़ने का विकल्प चुनता है. बिजली उन स्थानों तक नहीं पहुंचती है जहां उसकी सबसे ज्यादा जरुरत है जैसे स्कूलों और अस्पतालों में. तो, यह एक जमीनी स्तर का विषय है. वहीं मीरा का कहना है कि मुझे इसे कर के दिखाना है."

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