हिंदी सिनेमा जगत को 'चांदनी', 'दिल तो पागल है', 'वीर जारा', 'सिलसिला' और 'जब तक है जान' जैसी फिल्मे देने वाले यश चोपड़ा भले ही आज हमारे बीच नहीं है लेकिन अपनी फिल्मों के माध्यम से वो हमेशा अपने चाहनेवालों के बीच जिंदा रहेंगे.
यश चोपड़ा का जन्म 27 सितंबर 1932 को पंजाब के लाहौर में हुआ था. यश इंजीनियर बनना चाहते थे लेकिन ऐसा कई बार होता है कि जैसा हम सोचते हैं वैसा होता नहीं. किस्मत ने यश चोपड़ा के लिए कुछ और सोचा था.
बड़े भाई बी आर चोपड़ा और आईएस जौहर के साथ उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की. 1959 में उन्होंने अपनी पहली फिल्म 'धूल का फूल' का डायरेक्शन किया और एक से बढ़कर एक सुपरहिट फिल्में दीं.
अपने फ़िल्मी करियर को उन्होंने पांच दशक से भी ज्यादा जिया. कुल मिलकर उन्होंने 22 फिल्मे डायरेक्ट की और 51 फिल्मो को प्रोड्यूस किया. इंडस्ट्री ने उन्हें कई अवॉर्ड्स से सम्मानित किया, जिसमें फिल्म फेयर पुरस्कार, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के अलावा भारत सरकार ने उन्हें 2005 में भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया. रोमांटिक फिल्मो में ही वो कुछ हटकर किया करते थे.
'कभी कभी', 'दाग', 'दीवार', 'त्रिशूल', 'सिलसिला', 'मशाल' 'विजय' उनकी यादगार फिल्मों में से एक है. ऋषि कपूर, विनोद खन्ना और श्रीदेवी स्टारर फिल्म 'चांदनी' ने सारे बॉक्स रिकॉर्ड तोड़ दिए. 'चांदनी' फिल्म के गाने आज भी लोगों की जुबान पर है.