अमेज़न प्राइम की पॉपुलर वेबसीरीज 'फॉर मोर शॉर्ट्स प्लीज' का दूसरा सीजन आने वाला है. ये सीरिज फैंस के बीच काफी लोकप्रिय हैं. यह डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सबसे प्रसिद्ध भारतीय शो में से एक है. पहले सीज़न की भारी सफलता के बाद, निर्माता अब इसके दूसरे सीज़न के लिए भी तैयार हैं. कीर्ति कुल्हारी, मानवी गगरू, बानी जे और सयोनी गुप्ता की वेबसीरीज 'फोर मोर शॉट्स प्लीज सीजन 2' हिंदी, तेलुगु और तमिल सहित कई भारतीय भाषाओं में अमेजन प्राइम वीडियो पर 17 अप्रैल को स्ट्रीम होगी. इस वेबसीरीज की चर्चा इसलिए भी ज्यादा हो रही है क्योकिं सीरीज में महिला कैरेक्टर्स अपनी सेक्सुअल पसंद या कामुकता को छिपाने से डरती नहीं हैं, जो अपनी मर्जी से ज़िंदगी जीना चाहती हैं और समाज की उन बेड़ियों को तोड़ने के लिए तैयार रहती हैं जो महिलाओं को सेट और पैटर्न वाले बक्से में कंपार्टमेंट करने की कोशिश करती हैं.
PeepingMoon.com के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कीर्ति कुल्हारी, सयानी गुप्ता, मानवी गगरू और डारेक्टर नूपुर अस्थाना ने वेबसीरीज में दिखाई गई कामुकता के बारे में बात की, जिसने समाज के एक निश्चित वर्ग असहज हो जाता है. 'फोर मोर शॉट्स प्लीज 2' में पर्याप्त मात्रा में सेक्स को दिखाया गया है, जिसमें केवल समलैंगिकता ही नहीं, बल्कि बाइसैक्सुअलिटी भी शामिल है, जिसमें बहुत से लोगों ने अपनी भौंहों को ऊपर उठाया था. इस एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में स्टार्स और निर्देशकों ने शो से जुड़े मिथकों को दूर करने की कोशिश की और समाज में महिलाओं को कैसे चित्रित किया गया है ? यह पूछे जाने पर कि क्या 'फोर मोर शॉट्स प्लीज 2' सेक्स को महत्वहीन बना रहा है, जिसपर सयानी ने बहुत ही सटीक जवाब दिया.
सयानी ने कहा, 'ये ऐसी एजेंसियां हैं जो अपने जीवन पर नियंत्रण रखती हैं हिंदी सिनेमा में, हमेशा महिलाओं को एक चीज की तरह ही दिखाया गया हैं. महिलाओं को उनके पिता, पति, भाई के संरक्षण या आश्रय में रखा जाता है. भले ही वह फिल्म का लीड कैरेक्टर क्यों ना हो. लेकिन वह अभी भी एक माध्यमिक चरित्र है. सैक्चुअल विषय की बात आती है तो महिलाओं को अब तक हमनें फिल्मों में या तो वर्जन या तो वाइल्ड रूप में ही देखा है. लेकिन यहां हमारे पास ऐसी महिलाएं हैं जो अपने जीवन पर नियंत्रण रखती हैं, वो जो करना चाहती है करती हैं, वह खुद के लिए एक स्टैंड लेती है. इस बात पर टकटकी लगाई जाती है कि आप महिलाओं को किस तरह से देखते हैं और कैसे वे अपने जीवन का जीना चाहती है और हमने यही कोशिश की है कि सच्चाई, महिलाओं की नॉर्मल लाइफ और पसंद नापसंद को दिखा सकें. और हां सेक्स उनके लिए नहीं किया जाता है, वे चुनती हैं कि वे किसके साथ रहना चाहती हैं और कैसे उनके साथ रहना चाहती हैं और ये चीज लोगों को पसंद नहीं आती है और उनकी भौहें चढ़ जाती है. उसे ऑब्जेक्टिफाई नहीं किया जा रहा है लेकिन उसके पास अपनी जिंदगी जीने का खुद का नजरिया है.
वही इस पर कीर्ति कहती है कि, 'समाज के कुछ लोगों को यही नहीं जमता है क्योंकि वे लोग इतने लंबे समय से महिलाओं को दबाए हुए हैं क्योंकि ऐसे लोगों ने कभी फील ही नहीं किया कि महिलाओं को आखिर क्या चाहिए. पर हां ऐसे लोग अंदर से सच्चाई जरूर जानते है, लेकिन यह इतने लंबे समय ये यही चलता आ रहा है तो इसे तोड़ना मुश्किल है.
मानवी कहती हैं कि,'वेबसीरीज में दिखाए गए सेक्स सीन्स अलग हैं. हर करेक्टर का सेक्स से निपटने का अपना एक अलग तरीका है. इसलिए लोगों को इस तथ्य को स्वीकार करने में समय लगेगा कि समलैंगिक और बाइसैक्सुअलिटी चरित्र के साथ-साथ एक फिल्म या एक वेबसीरीज हो सकती है. वेब सीरीज में ज्यादा एपिसोड और अधिक समय होता है. इसीलिए इन शो में आपको डीप में जाना होता है और ज्यादा मुद्दों को अच्छे से उठाना होता है.'
आप इंटरव्यू यहां देख सकते हैं.
(Transcribed by: Varsha Dixit)