अभिषेक बनर्जी अपने हाल ही में रिलीज हुए अमेज़न प्राइम वेब शो 'पाताल लोक' की सफलता को एन्जॉय कर रहे होंगे. वहीं हाल ही में अनुष्का शर्मा के बैनर तले बने वेब शो ‘पाताल लोक’ की कास्टिंग को लेकर सवाल उठे हैं. अनुष्का संग ‘सुई धागा’ में काम कर चुके एक्टर महेश शर्मा ने इस शो में विलेन का रोल कर रहे अभिषेक बनर्जी और अन्य कलाकारों पर कास्टिंग एजेंसी का नाजायज फायदा उठाने के आरोप लगाए हैं. महेश का कहना है कि, 'शो के लिए दिए गए उनके और बाकी कलाकारों के ऑडिशन को संबंधित निर्माता-निर्देशकों के पास भेजा ही नहीं गया. उनके बजाय खुद कास्टिंग एजेंसी के मालिक और एजेंसी में काम करने वाले असिस्टेंट्स को ही कास्ट कर लिया गया. महेश ने इंडस्ट्री के बाकी कास्टिंग डायरेक्टर्स मुकेश छाबड़ा और जोगी पर भी संगीन आरोप लगाए हैं... लेकिन वहीं अभिषेक बनर्जी, जिन्होने शो में 'हथोड़ा त्यागी' की भूमिका निभाई है. उनके लिए ये सवाल उठना गलत है. क्योंकि उनका काम शो में काबिल ए तारिफ हैं. उनका नियम सरल है, 'ये इंडस्ट्री जुनून के बारे में है' इसलिए यदि आप प्रतिभाशाली और भावुक हैं, तो कोई भी आपके काम को नहीं छीन सकता है.
'पाताल लोक' के क्रिएटर सुदीप शर्मा ने शो की रिलीज़ से पहले पीपिंगमून से शो की कास्टिंग प्रक्रिया के बारे में बात की थी. सुदीप ने कहा था कि, 'अभिषेक casting bay के साथ हमारे पास आए थे. पहले हमने कहा था कि हम मीटिंग और बाकी चीजे देखेंगे फिर कुछ तय करेंगे लेकिन अभिषेक को देखकर कुछ अलग लगा...मैंने उनसे कहा था कि आपके अंदर एक पागल आदमी है और उसी को हम तलाश रहे हैं और फिर हमने उनसे ऑडिशन देने के लिए कहा. वह काफी एक्साइटेड थे, लेकिन वह थोड़ा घबरा भी गए थे...क्योंकि अभिषेक को पहले नहीं लगता था कि हम उन्हे ये शो का हिस्सा बनाएंगे.....लेकिन उनका ऑडिशन इतना अच्छा था कि जिस पल उन्होने ऑडिशन दिया, हमने तय कर लिया.' वहीं पूरे मुद्दे पर अभिषेक को इस विवाद के बारे में स्पष्टीकरण देना गलत लगता है, उन्हें लगता है कि लोगों को समझना चाहिए कि मुंबई में काम करने के लिए कास्टिंग डायरेक्टर दूसरे शहरों से भी आते हैं...पीपिंगमून ने 'पाताल लोक' के 'हथोड़ा त्यागी' के साथ बातचीत की...जिसमें फिल्म इंडस्ट्री, कास्टिंग प्रक्रिया, नेपोटिज्म को लेकर चर्चा की.
सवाल- 'पाताल लोक' के साथ, इंटरनेट पर एक बहस शुरू हो गई है कि कास्टिंग निर्देशक अभिनेता क्यों बन रहे हैं?
जवाब- यह सवाल ईमानदारी से निर्देशक से पूछा जाना चाहिए...क्योंकि संयोग से अगर मैंने वास्तव में खुद को कास्ट किया है, तो मैं 'ना' कहूंगा...मैंने कड़ी मेहनत की, मैंने 'हथोड़ा त्यागी' की भूमिका के लिए ऑडिशन दिया. यह सवाल जो उठाया जा रहा है, वह वास्तव में 'कास्टिंग डायरेक्टर्स' से अधिक 'डायरेक्टर्स' के लिए है... जैसे अगर डायरेक्टर्स केवल किसी को कास्ट करते हैं क्योंकि वे उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते हैं या यह कलाकारों के काम या क्षमता के कारण है...मैं इसे मुझ पर हमले के रूप में नहीं लेता, मैं इसे सुदीप शर्मा या प्रोसित रॉय या अविनाश अरुण पर हमले के रूप में लेता हूं...अगर मैंने फिल्म 'बाला' में जहां कास्टिंग भी की है और एक्टिंग भी किया है, तो उस स्थिति में निर्देशक अमर कौशिक से पूछताछ की जानी चाहिए...क्योंकि फिल्म 'स्त्री' को अन्य कास्टिंग डायरेक्टर्स द्वारा लिया गया था.
सवाल- क्या आपको लगता है कि इस तरह के विवाद केवल इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि 'पाताल लोक' अब एक सफल शो बन गया है?
जवाब- यह वास्तव में दूसरे की सफलता का आनंद लेने के लिए दया का मानवीय स्तर लेता है और यह स्वीकार करता है. मुझे इंडस्ट्री से बहुत सारे कॉल आएं हैं, लेकिन यह अभिनय के बारे में नहीं था, यह मेरे अच्छे काम के बारे में था. जो लोग इतने लंबे समय से इंडस्ट्री में हैं और उन्होंने मेरी कड़ी मेहनत देखी है, वे मेरे काम की तारीफ कर रहे हैं. सही कहूं तो 'हम जानते हैं कि यह क्या है, हम जानते हैं कि आपने इसे कैसे किया और हम बहुत खुश हैं.' उदाहरण के लिए, मैं राजकुमार राव की फ़िल्में देखा करता था, मैंने उनकी फिल्म 'शाहिद', 'ट्रैप्ड' देखी थी...तब मैं एक कास्टिंग डायरेक्टर था पर मेरे अंदर एक एक्टर भी था, इसलिए मैं हमेशा उन्हें फोन करके कहता था, 'क्या प्यारा काम है'. भारत में समस्या यह है कि लोग सोचते हैं कि अगर किसी ने कुछ सफलतापूर्वक किया है तो उसने कुछ जुगाड़ के माध्यम से किया है...लेकिन यह संभव नहीं है, कोई आसान तरीका नहीं है.
सवाल- क्या कास्टिंग डायरेक्शन एक्टिंग का शॉर्टकट है?
जवाब- बीच में, मैंने वास्तव में सोचा था कि मुझे बाहर आना चाहिए और इस बारे में बात करनी चाहिए, लेकिन फिर मुझे लगा कि सभी को ऐसा लगेगा कि मैं एक स्पष्टीकरण दे रहा हूं या बचाव कर रहा हूं...लेकिन अब मैं क्या कहूं? देखिए, फिल्म 'स्त्री' को मेरे द्वारा कास्ट नहीं किया गया था....यह कुछ अन्य कास्टिंग डायरेक्टर्स द्वारा कास्ट की गई थी. दिनेश विजान, अमर कौशिक, और राज और डीके ने मुझे चुना था. फिल्म 'ड्रीम गर्ल' के दौरान नंदिनी श्रीकांत कास्टिंग डायरेक्टर थीं.
सवाल- आपकी कंपनी ने जोगी मलंग को क्यों चुना जो कास्टिंग डायरेक्टर भी हैं?
जवाब- जोगी मलंग एक शानदार अभिनेता हैं...उन्होंने 'पिंक' में एक पुलिस वाले की भूमिका निभाई थी. उन्होंने कई अन्य काम भी किए हैं. वह एक ट्रेंड एक्टर हैं.
सवाल- क्या आपको लगता है कि यह भी एक प्रकार का नेपोटिज्म है क्योंकि कास्टिंग डायरेक्टर की इंडस्ट्री में आसान पहुंच है ?
जवाब- लोगों को यह भी समझने की जरूरत है कि कास्टिंग डायरेक्टर 'पाताल लोक' या 'धरती लोक' से नहीं आए हैं, वे ऐसे लोग भी हैं जो 10 साल पहले बिहार, दिल्ली, यूपी आदि से आए हैं, लेकिन उन्हें काम नहीं मिला. इतने सारे महत्वाकांक्षी एक्टर.. असिस्टेंट डायरेक्ट बन जाते हैं ताकि निर्देशक उन्हें काम दे...इसलिए यदि डायरेक्ट 10 साल बाद अपने असिस्टेंट डायरेक्टर को काम देता है, तो क्या आप कहेंगे कि ये नेपोटिज्म है. मेरे ख्याल से ये उसका अधिकार है.
सवाल- महेश शर्मा, जो कास्टिंग डायरेक्टर्स से सवाल कर रहे हैं, उन्होंने उन फिल्मों में भी काम किया है जिनके लिए उन्होंने गीत लिखे हैं...कितना उचित है?
जवाब- मेरे पास उनके खिलाफ कुछ भी नहीं है, जाहिर है, वह गीत लिख सकते हैं और इसमें अभिनय भी कर सकते हैं...गीत लिखने के साथ-साथ उन्होंने 2-3 भूमिकाएं भी की होंगी, तो क्या, इसमें कुछ गलत नहीं है...जैसे सिल्वेस्टर स्टेलोन ने 'रॉकी' को लिखा और उसमें एक्टिंग भी कि.
सवाल- क्या आपको लगता है कि यह महत्वाकांक्षी एक्टर्स के लिए अनुचित है?
जवाब- यदि आप एक अभिनेता हैं, तो आपको काम मिलेगा, कोई भी रोक नहीं सकता है. अनुराग कश्यप इतने सालों तक इतने बड़े निर्देशक भी हैं लेकिन जब उन्हें फिल्म 'अकीरा' में रोल मिला...तब उन्होंने ये रोल किया भी. वह यह नहीं कहेगे कि 'नहीं, मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि मैं एक निर्देशक हूं.'. करण जौहर ने भी कई रोल्स किए है. इंडस्ट्री में कई लोगों ने ऐसा किया है और जो कुछ भी वे कर सकते हैं कोशिश की है. इंडस्ट्री जुनून के बारे में है. जो कोई भी प्रतिभाशाली है उसे काम मिलेगा. कोई भी इसे उनसे नहीं छीन सकता है.
(Transcripted By: Varsha Dixit)
(Source: PeepingMoon)