फिल्मकार प्रकाश झा की नई फिल्म ‘परीक्षा: द फाइनल टेस्ट’ सीधे ओटीटी पर रिलीज हो चुकी है. फिल्म में आदिल हुसैन, प्रियंका बोस, शुभम झा, संजय सूरी लीड रोल में हैं. लेकिन असल में देखा जाए तो फिल्म की कहानी एक पिता और उसके सपनो की है, जो किसी भी हाल में अपने बेटे को पढ़ा कर गरीबी की दलदल से बाहर निकालना चाहता है. ऐसे में फिल्म में पिता की भूमिका निभा चुके आदिल हुसैन ने PeepingMoon से की गयी खास बातचीत में बताया की किस तरह से उन्होंने इस फिल्म को करना पसंद किया और उन्होंने अपने किरदार के लिए कैसे रिक्शा चलाना सीखा.
फिल्म करने के फाइल्स के बारे में बात करते हुए आदिल कहते हैं, "मुझे नहीं पता मुझे बस एहसास हुआ. यह मुझे गहराई से छू गया क्योंकि मैंने इसे पहचान लिया था और मैं बहुत से लोगों को जानता हूं जिसमे मैं भी शामिल हूं. मैं एक बहुत ही विनम्र परिवार में पला बढ़ा हूं और मेरे पिता ने मुझे पढ़ाई करने के लिए हर महीने केवल 250 रूपये दिए, जब मैं कॉलेज में था. और फिर उन्हें वह भी रोकना पड़ा. मैंने गुवाहाटी के एक सरकारी कॉलेज में पढ़ाई की, इसलिए मुझे ज्यादा भुगतान करने की जरूरत नहीं थी, लेकिन ठहरने और अन्य चीजों में सभी पैसे खर्च होते थे. इसलिए यह कहानी मेरी यात्रा के साथ भी मेल खा रही थी. मैंने सोचा की इस कहानी को हमें दिखाने की जरुरत है."
रिक्शा चलाना सिखने के बारे में एक्टर ने बात करते हुए कहा, "मैं असम के एक छोटे से शहर गौलापार में पलाबढ़ा, जहां परिवहन का सामान्य साधन रिक्शा था. मेरे पास वाले झोपड़ी में एक रिक्शा चालक किराए पर रहता था, जब भी उसकी रिक्शा खाली रहती थी तब वह मुझे उसे चलाने के लिए देता था. मुझे उनकी बॉडी लैंग्वेज, पसीना और गंध याद है. मेरे लिए इस किरदार में आना बहुत मुश्किल नहीं था लेकिन सबसे मुश्किल हिस्सा रिक्शा को खींचना था. मैंने भूमिका की आर्थिक और सामाजिक स्थिति की पहचान की और वह आसान हिस्सा था."