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क्या गुंजन सक्सेना के समय में सियाचिन की महिला पायलट ने IAF में हुए सेक्सिस्ट टिप्पणी और अभद्र भाषा के अनुभव को भुला दिया है?

भारतीय वायु सेना (रिटायर्ड) की विंग कमांडर नमृता चांदी जिन्होंने जान्हवी कपूर की फिल्म 'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' की आलोचना की है, लगता है 20 साल पहले रक्षा सेवा में अपने खुद के अनुभव की भूल गयी हैं. 

नम्रता सियाचिन में 18, 000 फ़ीट की ऊंचाई स्थित दुनिया के सबसे ऊंचे लैंडिंग ग्राउंड में उड़ान भरनेवाली और लेह में तैनात होने वाली भारतीय वायुसेना की पहली महिला हेलीकॉप्टर पायलट थी. उन्होंने एक ओपन लेटर में लिखा, मैंने खुद एक हेलिकॉप्टर पायलट के रूप में काम किया है और मैंने कभी भी इस तरह के दुर्व्यवहार का सामना नहीं किया है जैसा कि फिल्म में चित्रित किया गया है. वास्तव में वर्दी में पुरुष सच्चे सज्जन और पेशेवर होते हैं' 

लेकिन जनवरी-मार्च 2013 में यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया की पत्रिका में जिसे 1870 में स्थापित किया गया था और यह राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा सेवाओं के कला, विज्ञान और साहित्य को लोकप्रिय बनाता है, इसमें चांदी ने उसी सेक्सिस्ट मुद्दों के बारे में बात की है जिसका जो कि फिल्म में जान्हवी कपूर का किरदार फ्लाइट लेफ्टमेंट गुंजन सक्सेना फिल्म में अनुभव करती हैं. 

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आश्चर्य की बात यह है कि विंग कमांडर नमृता चांदी यह बात भूल गयी कि उन्होंने खुद एक पॉडकास्ट और ब्लॉग में लिखा था कि हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में उनके समय में सेक्सिस्ट टिप्पणी और अभद्र भाषा  का प्रयोग होता था. अब जान्हवी कपूर की फिल्म में उनका उल्लेख करने पर उन्हें आपत्ति क्यों है?

धर्मा प्रोडक्शन की फिल्म 'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल'[ की रिलीज से कुछ महीने पहले मार्च में नम्रता ने बेस्टसेलिंग ऑर्थर सोमदत्त सरकार की पॉडकास्ट  ‘Intensify Humanity’ में इस बात को कबूल किया है कि भारतीय वायुसेना में सेक्सिस्ट टिप्पणी और अभद्र भाषा का प्रयोग होता था.

ओपन लेटर में नम्रता कहती हैं, ' मेल ऑफिसर ज्यादा प्रोफेशनल और जेंटलमैन होते हैं' और करण जौहर की फिल्म वायुसेना के चित्रण को झूठा दिखा रही है लेकिन गुंजन ने कभी पुरुष अधिकारियों के बारे में चुटकी नहीं ली और अपने प्रतिनिधित्व या फिल्म में कोई गलती नहीं पाई. 

चंडी यह भूल जाती हैं कि उनकी तरह गुंजन को भी प्रोफेशनली खुद को साबित करना था. क्यूंकि उन्हें करीब से देखा जा रहा था. उनकी योग्यता का अंदाजा अंदाजा लगाया जा रहा था. दोनों को ही पुरुष शौचालय और चेंजिंग रूम साझा करना था अगर वे टीम के हिस्से के रूप में स्वीकार की जाती.  

जान्हवी कपूर ने क्यों फिल्म स्वीकार की और करण जौहर ने फिल्म बनायीं, अगर 'हम महिलाओं' को लेकर उनके मन में 'घटिया और दयनीय छाप' है, जैसा कि नम्रता चंडी ने बताया. 

प्रोफेशनली गुंजन को कारगिल में एक हेलिकॉप्टर पायलट के रूप में तैनात किया गया थाऔर घायल सैनिकों, परिवहन आपूर्ति और निगरानी में सहायता के लिए 40 खतरनाक युद्ध मिशनों में उन्होंने उड़ान भरी थी. नम्रता ने सियाचिन ग्लेशियर में उड़ान भरने के बाद अपने सार्वजनिक ब्लॉग में इस बात का अफ़सोस जताया था कि 'वह ग्लेशियर कैप्टन बनने के लिए सक्षम नहीं थी. क्यूंकि महिला पायलट के लिए ग्लेशियर कैप्टन के IAF नियमों के खिलाफ था. 

चांदी का मानना है कि यह फिल्म करने के बाद जान्हवी हम हम महिलाओं के की गरीब और दयनीय छाप बनकर बाहर आयीं हैं. उन्होंने ऐसा क्यों मान लिया ? और क्या गुंजन सक्सेना 'हम महिलाओं' में से एक नहीं थी? क्या एक अभिनेत्री, एक बुद्धिमान लड़की इस भूमिका को स्वीकार कर सकती है अगर उसके मन में कारगिल युद्ध के दिग्गज की ऐसी छाप है? 

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