मात्र 17 साल की उम्र में रुखसार रहमान ने साल 1992 में दीपक आनन्द की फिल्म 'याद रखेगी दुनिया' से बॉलीवुड में कदम रखा था. इसके बाद उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में काम किया, जिसने 'लव गेम्स', 'पीके', 'भेजा फ्राई', 'शैतान अल्लाह के बंदे', 'सरकार' समेत कई फिल्में शामिल हैं. रुखसार कई फेमस टीवी शोज का भी हिस्सा रहीं हैं. वहीं हाल ही में रिलीज हुई Voot Select की 'द गॉन गेम' में रुखसार के काम को काफी पसंद किया जा रहा हैं. इस सीरीज में उनके साथ श्वेता त्रिपाठी, अर्जुन माथुर, श्रिया पिलगांवकर, संजय कपूर और इंद्रनील सेन गुप्ता ने मुख्य भूमिका निभाई हैं. रुखसार रहमान ने पीपिंगमून के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान इंडस्ट्री में 90 के दशक के बाद क्या क्या बदलाब आए है इस पर बात की. साथ ही रामगोपाल वर्मा और दिवंगत एक्टर ऋषि कपूर के साथ काम करने के एक्सपीरियंस को शेयर किया.
सवाल- आपकी बेव सीरीज 'गॉन गेम' को शानदार रिस्पॉन्स मिला है, साल 1992 से लेकर अबतक फिल्म, टीवी और अब डिजिटल मीडियम का सफल आपने तय किया है, तो कितना बदलाव देखा है आपने ?
जवाब- अगर बदलाव की बात करें तब से लेकर अब तक बहुत बदलाव आ चुके हैं. सबसे बड़ा बदलाव तो टेक्नोलॉजी का है. 90s में इतनी टेक्नोलॉजी नहीं थी लेकिन अब कई चीजें आ गई है. अब इंडस्ट्री में बहुत ज्यादा लोग आ रहे हैं बहुत ज्यादा टैलेंटेड लोग आ रहे हैं क्योंकि अब बहुत ज्यादा काम करने को एक फिल्म है टीवी है वेब सीरीज है.
सवाल- आपने एक वक्त पर फिल्मों से ब्रेक ले लिया था. किस वजह से ये ब्रेक लिया और वापसी की तो भी आपने क्वालिटी फिल्मों पर फोकस किया, जरा इस बारे में बताएं ?
जवाब- जब मैं फिल्मों में आई थी तब मैं सिर्फ 17 साल की थी. उस समय मैंने दो फिल्मी की थी. मेरे पापा एक आईएएस ऑफिसर थे. मेरी फैमिली में मेरे दो छोटे भाई बहन भी हैं. तो घर में किसी ना किसी को रहना पड़ता अगर मैं अपना काम करती तो उससे पापा की सर्विस और परिवार सफर होता और उस टाइम एक्टिंग में मजा तो बहुत आता था लेकिन यह नहीं पता था कि इसमें करियर चुना जाए या नहीं और मैं उस समय आईएएस ऑफिसर की पढ़ाई भी कर रही थी. जब दो फिल्में कर ली तो घर वालों ने बोला चलो तुम्हारा एक्टिंग करने का शौक पूरा हो गया है तो अब घर वापस आ जाओ. फिर बस मैं भी वापस चली गई घर.
सवाल- आपने ऋषि कपूर साहब के साथ भी काम कर चुकीं हैं. अफसोस कि वो हमारे बीच नहीं रहे. हाल ही में ऋषि जी का जन्मदिन भी बीता है. कैसे याद करती हैं उनके साथ अपने तजुर्बे को ?
जवाब- मैंने अपनी दूसरी फिल्म ऋषि कपूर जी के साथ की थी और सच में यह बहुत अजीब बात है मुझे कहते हुए भी अजीब लग रहा है कि उनकी लास्ट फिल्म ' द बॉडी' में भी मैंने उनके साथ काम किया. जब 90s में मैंने ऋषि कपूर के साथ 'इंतेहा प्यार की' फिल्म की थी. उस समय ऋषि बहुत सारी फिल्में कर रहे थे. वो हमेशा अपने को स्टार्ट को गाइड करते थे. समझाते थे कि इस सीन को ऐसे करो और बेहतर होगा और उनको देखकर मैंने बहुत सारी चीजें सीखी भी थी क्योंकि वह ऐसे एक्टर्स में से थे जो बहुत ही नेचुरल एक्टिंग करते थे. वह आपके सामने होते थे आपको पता है वह एक्टिंग कर रहे हैं अपना डायलॉग बोल रहे हैं, लेकिन ऐसा फील होता था जैसे यह सब कुछ सच में हो रहा हो रहा है, ये बात हो रही हो हमारे बीच. और इसमें कोई शक नहीं है कि वह अपने को-स्टार को बहुत सपोर्ट करते थे. उनके अंदर कभी यह बात नहीं थी कि मैं इतना बड़ा स्टार हूं. जब मेरी उनसे 'द बॉडी' फिल्म के दौरान मुलाकात हुई थी तब बिल्कुल ऐसे ही थे उनके अंदर कोई बदलाव नहीं था. वो सेट पर किस्से सुनाते थे, सबको खूब हंसाते थे. मुझसे बहुत सारी चीजें पूछते थे कि सब कुछ ठीक है कहां हो कैसे हो मुझ से कहते थे कि, तू बिल्कुल वैसी ही है बिल्कुल चेंज नहीं हुई क्या करती है. मतलब वो एकदम अलग इंसान थे उनकी अपनी एक अलग दुनिया थी. मस्त मगन इंसान थे अपनी दुनिया के राजा थे और साथ ही क्या एक्टर थे.
सवाल- राम गोपाल वर्मा के साथ आपने काम किया है..टफ टास्क मास्टर माने जाते हैं. आपने अपना कमबैक करते ही उनके साथ काम किया..तो कैसा रहा आपका अनुभव ?
जवाब- उनके साथ काम करने का एक्सपीरियंस बहुत अच्छा रहा है. मेरा एक्सपीरियंस है कि वह अच्छे डायरेक्टर होने के साथ साथ अच्छी टेक्नीशियन भी हैं. फिल्म 'सरकार' में मैंने उनके साथ काम किया था. पेपर पर जो मेरा अमृता का कैरेक्टर था ऐसा नहीं था जैसा आप लोगों ने फिल्म में देखा. ये उनकी खासियत थी कि एक छोटे से कैरेक्टर को भी हो इतनी पावर और स्ट्रांग तरीके से दिखाते थे कि उस कैरेक्टर का रंग ही बदल जाता है. वैसे इसमें ऐक्टर का भी काम होता है लेकिन एक डायरेक्टर का भी उतना ही रोल होता है. फिल्म में अभिषेक बच्चन, अमिताभ बच्चन जी और रामगोपाल वर्मा जी के साथ काम करने का एक्सपीरियंस हमेशा के लिए यादगार रहेगा.
सवाल- टीवी की दुनिया में रियलिज्म कम है. जबकि सिनेमा या बेव शोज में आप ज्यादातर रियलिस्टिक कैरेक्टर निभाती आई हैं खासकर अपनी सेकेंड इनिंग में, तो कैसे बैलैंस बनाती है ?
जवाब- मुझे लगता है कि ऐसा तो नहीं है कि अब मुझे हीरोइन ही बनना है. तो मैंने कैरेक्टर पर काम करना शुरू किया. मुझे लगता है कि चाहे छोटा हो या बड़ा रोल हो पर अगर वह किरदार कहानी के लिए जरूरी हो तो करना चाहिए. इस बीच में मैंने दमदार कैरेक्टर्स पर बहुत काम किया है. क्योंकि मुझे लगता है भले ही छोटा किरदार हो अगर वह जरूरी है तो लोगों के मन में जरूर छाप छोड़ता है.
सवाल- कोरोना काल ने सभी की दुनिया बदली है. काम और मोटिवेशन दोनों की कमी है. आपके अपना एक्सपीरियंस बताइए ?
जवाब- लोक डाउन की शुरुआती दिनों की बात करें तो बहुत खराब थे. मुझे नहीं लगता कोई भी ऐसा इंसान होगा जिसके लिए शुरुआत के दिन अच्छे रहे हो और मोटिवेशन की तो बहुत ही कमी हो थी तब वैसे तो अब भी है. पर बेस्ट पार्ट यह है कि अगर आप फैमिली के साथ रहते हैं तो बहुत लोग होते है तो अच्छा लगता है. मेरा मानना है जो भी आप की हॉबी हैं . आपका कोई काम है...जो रुका हुआ हो उसमें लगे रहिए. अपने आप को व्यस्त रखिए. नई चीजें खोजिए और उसमें आगे बढ़ने की कोशिश करें. अपने माइंड को व्यस्त रखना ही सबसे अच्छा तरीका है. हर तरीके की सेफ्टी को अपनाएं. इस समय खुद की और दूसरों की हिम्मत बढ़ाने होगी और सब को बहुत स्ट्रांग रहना है. कहते हैं ना कि जब वो टाइम ही नहीं रहा तो यह टाइम भी नहीं रहेगा, थोड़ा वक्त लगेगा पर यह टाइम भी चला जाएगा.
सवाल- अपनी कुछ पसंदीदा फिल्में या बेव शोज के बारे में बताएं जो आपको इस बीच काफी पसंद आए ?
जवाब- वैसे तो मैं बहुत ज्यादा तो वैब शोज नहीं देखती हूं लेकिन किसी ने मुझसे कहा था कि एक वेब सीरीज है 'अनदेखी' वह देखो. तो मैंने फिर वह सीरीज देखी. सीरीज वाक्य में ही बहुत अच्छी है. हालांकि मैं थ्रिलर शोज बहुत ज्यादा नहीं देखती हूं. लेकिन ये सीरीज कमाल की है. सीरीज के एक्टर और जिसने यह कहानी लिखी सब कुछ बहुत कमाल का था मतलब यह सीरीज के लिए अगर मैं एक शब्द बोलूं तो 'अमेजिंग'. यह बहुत 'अमेजिंग' सीरीज है.