शाहरुख खान-काजोल की फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' की रिलीज को भले ही अब 25 साल हो चुके हैं, लेकिन इस फिल्म से जुड़ी यादें और फिल्म के लिए दर्शको का प्यार आज भी बरकरार है. आदित्य चोपड़ा द्वारा डायरेक्ट की गयी पहली फिल्म ने 90 के दशक में सभी रिकार्ड्स तोड़ अपना लोहा मनवाया था. फिल्म को आज एक सदाबहार प्रेम कहानी के रूप में देखा जाता है. यह कहना गलत नहीं होगा कि फिल्म में वो सब कुछ है जो एक रोमांटिक फिल्म में होना चाहिए, जैसे इमोशंस, ड्रामा, थोड़ा एक्शन और बहुत सारा प्यार.
फिल्म में भले ही शाहरुख और काजोल की अहम भूमिका है, लेकिन फिल्म के अन्य किरदार भी हैं जिनके बिना यह फिल्म अधूरी रहती. उन्ही किरदारों में से एक है सतीश शाह द्वारा निभाया गया अजीत सिंह का किरदार, जो कि कुलदीप के पिता और काजोल के होने वाले ससुर होते हैं.
आज, जब दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे के पूरे 25 साल हो रहे हैं, ऐसे में सतीश शाह ने फिल्म के बारे में PeepingMoon से बात की, साथ ही बताया है कि कौन सी चीज ने फिल्म को सफल बनाया और कब इसकी सिल्वर जुबली के लिए रीयूनियन करेंगे.
नीचे पढ़ें इंटरव्यू:
दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे एक क्लासिक है, रिलीज के 25 साल बाद भी, यह नया लगता है. क्या आपको इसकी उम्मीद थी?
जब मैं काम कर रहा होता हूं, मुझे कभी उम्मीद नहीं होती कि कोई फिल्म अच्छा करेगी या नहीं. जब तक यह पूरी नहीं हो जाती मैं फिल्म में पूरी तरह से शामिल हूं. फिल्म बनाना काफी मजेदार था. शाहरुख छोटे थे, मैं लंबे समय से आसपास था. यशजी (चोपड़ा) एक अद्भुत प्रोड्यूसर थे और आदित्य एक नए डायरेक्टर.
आपके अनुसार, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे की सफलता के किस चीज ने काम किया ?
जब भी मैंने इसे देखा, मैंने इसे हर तरह से एन्जॉय किया. इसमें एक अच्छी फिल्म के गुण है. बात करें इसके गाने, कहानी, खूबसूरत नए चेहरे और कहानी के प्रति एक नया दृष्टिकोण की. डायलॉग्स बोलचाल जैसे थे. फिल्म में कोई डायलॉग्स- बाजी नहीं थी. बहुत सरल. रूरल पंजाब बनाम शहर, विदेशी स्थानों आदि की संस्कृति का सही उपयोग किया गया. यह केवल इसलिए नहीं था क्योंकि एक गाना स्विट्जरलैंड मे करना था और चले गए. बल्कि इसे कहानी में अच्छी तरह से बुना गया था. दूसरी बात, यह बहुत स्मूथ था. फिल्म देखते समय कोई झटके नहीं थे.
स्क्रिप्ट पढ़ने पर आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी? आप ऑन-बोर्ड कैसे आए?
स्क्रिप्ट कौन पढ़ता है? कम से कम, मैंने नहीं किया. मुझे उस समय किरदार को करने के लिए कहा गया था, जब मैं फिल्मी चक्कर नाम के धारावाहिक को करने में व्यस्त था. प्रोडक्शन हाउस मेरे पास प्रस्ताव लेकर आया और कहा कि यश चोपड़ा के बेटे आदित्य अपना डायरेक्शनल डेब्यू करने जा रहे हैं. जब उन्होंने मुझे भूमिका समझाई, तो उन्होंने कहा कि शूटिंग भारत के बाहर होगी, लेकिन मेरी जरुरत वहां नहीं होगी. फिर मैंने हां कहा. मैं टीवी सीरियलों के लिए भी काम कर रहा था. YRF में तब तक किसी को रोल नहीं मिल सकता, जब तक वो खुद नहीं चाहते. यह एक ऐसा ऑफर था, जिसे मैं मना नहीं कर सकता था.
क्या आपको दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे के बाद टिपिकल रोल्स मिले ?
हर्गिज नहीं. दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में हर कोई भूमिकाओं के माध्यम से रवाना हुआ. यही इसके बारे में सबसे अच्छी बात थी. मैंने जो चुटकुले और वन-लाइनर्स क्रैक किए, वे मेरे लिए थे न कि स्क्रिप्ट में. आदित्य का धन्यवाद, उन्होंने मुझे अकेला छोड़ दिया और वह इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे कि स्क्रिप्ट और फिल्म कैसे आकार ले रही है.
क्या अपने खास किरदार को यादगार बनाना चुनौतीपूर्ण था?
यह चुनौतीपूर्ण नहीं था, यह अद्भुत था. बल्कि यह मजेदार था. अगर मुझे एक ऐसा किरदार निभाना होता जिसके लिए मुझे एक महीने तक भूखा रहना पड़ता, तो यह चुनौतीपूर्ण होता. मैं किरदार में ढल गया.
फिल्म से जुड़ा कोई किस्सा जो बहुतों को पता नहीं है ?
आज की सबसे बड़े हस्तियों में से एक करण जौहर उस समय कॉस्ट्यूम डिपार्टमेंट ने थे. हर सुबह, वह मेरे कपड़े उठाते थे और पूछते थे कि, 'सतीशजी आप यह या वह पहनना पसंद करेंगे.' तब मुझे पता चला कि वह यश जौहर के बेटे हैं. तब वह नए थे लेकिन वह हर तरह से व्यापार के गुण सीख रहे थे. मुझे इस बात की भी जानकारी नहीं थी कि वह आखिर में एक किरदार निभाने वाले थे. वह यूनिट का एक हिस्सा थे और फिर शाहरुख के गैंग का एक हिस्सा. जो मुझे फिल्म देखने के बाद पता चला.
नए एक्टर्स के साथ इसके रीमेक पर आपके क्या विचार हैं?
रीमेक हमेशा एक डिजास्टर रहता है. एक बार हिस्ट्री क्रिएट ही गयी ना, तब आपको फिजूल की कोशिश नहीं करनी चाहिए. वे जाने भी दो यारो का रीमेक बनाना चाहते थे लेकिन मैंने कड़ी आपत्ति जताई. वे एक सीक्वल बनाना चाहते थे, जो और भी बुरा था. वे ओरिजिनल कास्ट चाहते थे और नहीं रहे उन्हें रिप्लेस करना चाहते थे.
-मौजूदा समय में, अगर दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे को वेब शो में बनाया जाए, तो क्या यह विचार काम करेगा?
अगर हमें घर पर बैठकर टेलीविज़न और लैपटॉप स्क्रीन पर देखना है तो फिल्म देखने का क्या उद्देश्य है?
अभी भी अपने को-स्टार्स से क्या आप संपर्क में हैं?
अनुपम खेर एक अच्छे दोस्त हैं. मैं शाहरुख से लंबे समय तक नहीं मिला. हम जब मिलेंगे, तब हमने जहां छोड़ा था वही से शुरू करेंगे. COVID ने हमें लंबे समय से अलग कर दिया है. मैंने स्वेच्छा से काम करना लगभग बंद कर दिया है, इसलिए किसी से मिलने की संभावना कम है.
कोई रीयूनियन का प्लान ?
कुछ चल रहा है लेकिन मुझे अभी भी पता नहीं है. उन्होंने अभी तक मुझे डिटेल्स नहीं भेजा है लेकिन मैंने इसका हिस्सा होने के लिए हामी भरी है.