मिर्जापुर के फैंस का इंतजार खत्म हो गया है. वेब सीरीज का ट्रेलर मेकर्स ने जारी कर दिया है. 23 अक्टूबर को यह सीरीज Amazon Prime पर स्ट्रीम होगी. मिर्जापुर 2 में पंकज त्रिपाठी, अली फज़ल दिव्येंदु, विजय वर्मा श्वेता त्रिपाठी शर्मा रसिका दुगल, हर्षिता शेखर गौर, अमित सियाल, अंजुम शर्मा, शीबा चड्ढा, मनु ऋषि चड्ढा, और राजेश तैलंग एंटरटेनमेंट का तड़का लगाते नजर आने वाले हैं. ऐसे में अब PeepingMoon को दिए खास इंटरव्यू में अमित सियाल और अंजुम शर्मा ने शो के दूसरे सीजन के बारे में खुलकर बात की है.
बता दें कि शो में अमित सियाल ने आरएस मौर्य की भूमिका निभाई है, तो अंजुम शर्मा ने शरद शुक्ला का किरदार निभाया है.
नीचे पढ़ें इंटरव्यू:
आप लोग मिर्जापुर 2 को लेकर कितने उत्साहित हैं?
-मैं इस बारे में फिलहाल ज्यादा नहीं सोच रहा हूं. बल्कि खुद को फिलहाल शांत रख रहा हूं.
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इस सीजन में आप दोनों के किरदार कितने स्ट्रांग होने वाले हैं और इसमें क्या नयापन दर्शकों को देखने मिलेगा?
मुझे नहीं लगता कि हम दोनों इस सवाल का जवाब दे पाएंगे. लेकिन हमें उम्मीद है कि जो कुछ भी हमने पिछले सीजन में दर्शकों से पाया उससे कहीं ज्यादा इस सीजन में पाने की उम्मीद है. लेकिन उम्मीद... उम्मीद तो यार एक पंछी है कभी इस डाल दो कभी उस डाल समझ रहे हो आप बाकी ऑडियंस ही बताएगी की ओले पड़ेंगे की जूते पड़ेंगे की प्यार मिलेगा.
शो के किरदार इतने स्ट्रांग है ऐसे में आप या फिर आपके रिलेटिव्स कितने बड़े फैन हैं मिर्जापुर के, या फिर लाइफ कितनी चेंज हुई है मिर्जापुर के सक्सेस के बाद?
अमित (मुस्कुराते हुए अंजुम से कहते हैं कि इसका जवाब वही दें जिस पर बात करते हुए अंजुम कहते हैं) 'मैं तो आया था अपनी शक्ल दिखाई और फिर उन्होंने कहा कि फिर आना.' जिस पर अमित, अंजुम से कहते हैं कि 'तुम्हें भी तो लोग कहते होंगे ना कि मिर्जापुर में क्या करने वाले हो? क्या होगा? क्या नहीं? लाइफ तो चेंज हुई होगी ना आपकी भी.' जिसके जवाब में अंजुम कहते हैं कि 'देखिए शो में ऐसी कई चीजें हैं जो लोगों के मन में घर कर गई हैं और फिर जहां तक शरद का सवाल है, उसका एक बढ़िया एक इंट्रोडक्शन हुआ और फिर वह वहां जगह पर आकर ठहर गया. जिसके बाद यह चीज जरूरी हो गयी कि क्या होगा... क्या करेंगे... इतनी ज्यादा पैदा हो गया है कि उसके आसपास के लोग आप ही से पूछने लगे हैं कि आप थोड़े दिन के लिए आए थे लेकिन अब बताते जाइए कि क्या होगा... अब आप क्या करेंगे... आप यह बदला लेंगे... आप वह बदला लेंगे... अब यह चीज बताती है कि अच्छे कंटेंट की पावर की गूंज कितनी ज्यादा होती है. शो के छोटे से किरदार के लिए भी लोगों के मन में इतनी जिज्ञासा है. जाहिर तौर पर यह एक बदलाव है और लोग शो को लेकर बेहद उत्साहित हैं. वह जानना चाहते हैं कि किस किरदार का ग्राफ कितना होगा, कैसा करेगा. तो हां, मैंने पहली बार अनुभव किया है और शायद इसी लिए कहा जाता है कि क्वांटिटी मायने नहीं रखती बल्कि उसकी क्वालिटी मायने रखती है. अगर आपका एक सीन और कहानी में आपका एक सिग्नीफिकेंट सीन्स भी हैं, तो वो पूरी कहानी और दर्शकों पर असर डालता है.
वहीं, इस सवाल का जवाब देते हुए अमित कहते हैं, "सच बताऊ तो यार लोग बहुत परेशां करते हैं. फिर उन्हें बताना पड़ता है कि भाई एक चीज होती है कॉन्ट्रैक्ट उस कॉन्ट्रैक्ट को हमसे साइन कराया जाता है कि आलतू-फालतू बात करने की जरुरत नहीं है. और अगर हम कॉन्ट्रैक्ट नहीं मानेंगे तो हमारे ऊपर बहुत बड़ी मुसीबतें आ सकती हैं और असल में वो अनैतिक या अनुचित भी है, क्योंकि हमारी टीम, प्रोडक्शन टीम है जो इसके पीछे बहुत मेहनत करती है. इस तरह से उनके द्वारा बनाया गया उत्साह बनाये रखना चाहिए. लेकिन बहुत अच्छा लगता है, मुझे एक बार नासिर साहब (नसीरुद्दीन शाह) ने एक बहुत बढियां बात कही थी, तुम्हारे किरदार को लोग तभी याद रखेंगे जब सारा का सारा प्रोडक्ट जो उन्होंने देखा है वो अच्छा हो और उनकी ये बात सही है. मैंने और भी बहुत सारे काम किये हैं, लेकिन घूम-फिर के बात मिर्जापुर और इनसाइड एज पर ही आ जाती है. क्योंकि जिस तरह से इन दोनों किरदार को दर्शकों द्वारा रिसीव किया गया वो कमाल का था. और मुझे नहीं लगता कि हम में से किसी ने सोचा था कि ऐसा कुछ होगा और हो रहा है. इस तरह से हमें लोगों की उत्सुकता और उत्साह का सम्मान करना चाहिए.'
मिर्जापुर में श्वेता, अली और पंकज सर के साथ काम करने से आपने क्या सीखा है अब दूसरी सीजन में आपकी उनके साथ केमिस्ट्री और बॉन्डिंग कितनी बढ़ गई है?
अमित कहते हैं, पंकज त्रिपाठी साहब जो है वह एक बहुत ही उम्दा कलाकार हैं और मैंने उनके साथ बहुत साल पहले एक स्टेज प्ले किया था और उन्होंने उस में जो अपना एक निभाया था वह देख कर पता चल जाता था कि यह आदमी यूनिक है. और अब उनकी वही यूनीकनेस लोगों को अच्छी लग रही है. अली के साथ भी मैंने कुछ छोटा सा शुरू किया था लेकिन वह पूरा नहीं हो पाया. लेकिन वह एक चार्मिंग बॉय हैं. मुझे लगता है कि उसने इस शो में सबसे ज्यादा मेहनत की है. अगर मैं गलत नहीं हूं तो अली की एक लवर बॉय टाइप की इमेज थी. लेकिन उसे बाहर निकलकर लड़के ने जो मेहनत की है वह उन्होंने बहुत अच्छे से किया है. और श्वेता को तो सब जानते ही हैं असल में सच्चाई यह है कि हम सभी एक्टर हैं और सभी बहुत टाइम से लगे हुए हैं और किसी को फेम जल्दी मिल जाता है और किसी को बाद में. हम सब इस तरह के एक्टर हैं जो फेम के पीछे नहीं भागते हैं बल्कि अपना काम ईमानदारी से करते हैं. वह एक बहुत ही खूबसूरत बॉन्डिंग रखती थी सब लोग फ्री हैं अपने-अपने स्पेस में अपने अपने कैरेक्टर के जोंस में अपना अपना काम करना कोई बेकार की बातें नहीं और उसका बहुत सारा श्रेय डायरेक्टर्स को भी जाता है राइटिंग में भी इतनी अच्छी तरह से चीज़ लिखी हुई थी कि कुछ ओवर करने की जरूरत ही नहीं पड़ी. असल में कंटेंट ने खुद को ड्राइव किया और हम उसके साथ बहे और उसका नतीजा आपके सामने हैं.
सोशल मीडिया पर कोई भी शो बहुत जल्दी ट्रोल हो जाते हैं, तो आपके मुताबिक ये चीजे कितना एफेक्ट करती हैं, तो आप आज कल के युथ को क्या कहना चाहते हैं?
अमित कहते हैं, यार देखो ऐसा है सब स्वतंत्र भारत के स्वतंत्र नागरिक हैं और किसी को कुछ लगता है तो उसे बोलने का अधिकार है और वह बोल रहा है. अगर उससे आगे जाकर उसे भद्दी बातें करनी है, या फिर बॉयकॉट करना है, जो भी करना है. अभी हम ऐसी जगह पर रह रहे हैं, ऐसे माहौल में रह रहे हैं और ऐसे टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट के ऐज में रह रहे हैं कि टेक्नोलॉजी जब एडवांस होती है ना तो बहुत जल्दी होती है, तो आपका दिमाग जो है वह उतनी जल्दी एडवांस हो नहीं पाता है, तो यह जो भी हो रहा है वह मेरे ख्याल से एक ट्रेंड के हिसाब से हो रहा है और जैसे हम कपड़े बदलते हैं, वैसे ही ये फैशन में है. ऐसा करें कि अपने विचारों को 10 हजार बार सोच कर व्यक्त करें तो अच्छा होगा. लेकिन व्यक्तिगत रूप से मुझे ऐसे लेता है कि यह मेरे हाथ में है कि मुझे क्या बुरा लगवाना है और क्या नहीं लगवाना है. तो बुरा तो वही लगेगा जो मैं बुरा लगवाना चाहूंगा. तो आपको अगर कोई कुछ कहना चाहता है, क्या करना है कहने दो. तो कुछ लोग अच्छा बोलेंगे तो कुछ लोग बुरा बोलेंगे, यही जीवन है और ऐसा ही चलता रहेगा, आप अपना काम करते रहो. अगर इमानदारी से आपने अपना काम किया है तो उसे सराहा जाएगा और अगर आपके ही अंदर करप्शन है तो उसका असर आप को ही भुगतना होगा. तो आप जो सोचना चाहते हो सोच सकते हो बोलना चाहते हो बोल सकते हो. इन सभी चीजों को भला बुरा मानने की कोई जरूरत नहीं है.
अब थेटर्स खुलने लगे हैं लेकिन लॉकडाउन के बीच लोग वेब सीरीज ज्यादा से ज्यादा देखने लगे हैं. ऐसे में थेटर्स का खुलना किस तरह से सिचुएशन को मुश्किल बनाएगा?
अंजुम जवाब देते हुए कहते हैं, यह बहुत ज्यादा हो गया है कि क्या होगा अगर यह होगा अगर वह होगा. तो पिछले छह-सात महीने से हम सब एक तरह के समय से गुजर रहे हैं, ऐसे में अब इंसान धीरे-धीरे स्थिति एस मनोर स्थिति से इस परिस्थिति से धीरे-धीरे निकल रहा है. इस तरह से वह अपने जीवन की तरफ बढ़ रहा है, जिंदगी एक अलग तरह से करवट ले रही है. ऐसे में अब हमें देखना है कि धीरे-धीरे चीजें जैसे थिएटर खुलेंगे लोग फिल्में देखेंगे, तो हर दिन हमें एक बेबी स्टेप्स लेकर उन चीजों पर वापस जाना है. ऐसे में बाकी चीजें धीरे-धीरे होनी है वैसे ही यह भी होगा और आराम से चीजों को लेते हुए धीरे-धीरे एक-एक कदम बढ़ाएंगे और कोई चीज है खुलेंगे और उसी का फिर मजा लेंगे और फिर फिल्में भी आएंगी देखेंगे लोग लेकिन धीरे-धीरे. लेकिन इस समय सिर्फ यह कह देना कि हां यह हो जाएगा वह हो जाएगा मेरा यह मानना है कि सिर्फ बात पर नहीं बल्कि इंसान को थोड़ा दिमाग से काम लेना चाहिए तो सारी चीजें ठीक हो जाएंगी और इस तरह से सब चीजें धीरे-धीरे चलेंगी.