23 दिसंबर को, सिद्धार्थ मल्होत्रा की अपकमिंग फिल्म 'मिशन मजनू' का फ़र्स्ट लुक रिवील कर दिया गया है. जासूसी थ्रिलर में तेलुगु और कन्नड़ फिल्म एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना अपना बॉलीवुड डेब्यू कर रहीं हैं. फिल्म को शांतनु बागची डायरेक्ट करेंगे. वहीं मेकर्स ने खुलासा किया कि 'मिशन मजनू' भारत के सबसे बड़े प्रतिष्ठित ऑपरेशन पर आधारित है. सत्तर के दशक में स्थापित इस कहानी में सिद्धार्थ रॉ एजेंट के किरदार में दिखेंगे. हालांकि आधिकारिक तौर पर फिल्म को लेकर ज्यादा खुलासा नहीं किया गया, लेकिन पीपिंगमून अपने रीडर्स के लिए एक्लूसिव जानकारी लाया है कि मिशन मजनू फिल्म की कहानी रॉ एजेंट रविंद्र कौशिक के जीवन पर आधारित होगी.
ब्लैक टाइगर के नाम से जाने जाने वाले रवींद्र 23 साल की उम्र में भारतीय खुफिया एजेंसी के अंडरकवर एंजेट बन गए थे. उन्हें भारत का सबसे बड़ा जासूस माना जाता था. रविंद्र कौशिक उर्फ टाइगर की दास्तां खतरों से भरी हुई थी. रविंद्र कौशिक को पाकिस्तान में एक रेजिडेंट एजेंट के तौर पर भेजा गया था. कौशिक का काम था हिंदुस्तान के खिलाफ पाकिस्तानी साज़िश का सुराग हासिल करना. कहते हैं रविंद्र कौशिक का पहला मिशन बेहद कामयाब रहा जिसके बाद 1975 में उसे एक और बड़े मिशन के लिए भेजा गया. रविंद्र कौशिक ने एक के बाद एक कई मिशन को अंजाम दिया था.
पाकिस्तान में घुसने के बाद नबी अहमद शाकिर यानी रविंद्र कौशिक ने धीरे-धीरे अपनी पैठ बनानी शुरु की. अपने रहने के लिए ठिकाना चुना लाहौर को. मिशन बहुत बड़ा था लिहाज़ा रविंद्र कौशिक ने लोगों की नज़रों से बचने के लिए लाहौर के एक बड़े कॉलेज में दाखिला भी ले लिया. कहते हैं कि कॉलेज में दाखिला मिलते ही उसके आधार पर जाली दस्तावेज़ बनवाए और उसी कॉलेज से एलएलबी की डिग्री भी हासिल की. एक हिन्दुस्तानी पाकिस्तान में ना सिर्फ अपनी पहचान छिपा रहा था बल्कि वहां की एकेडमिक डिग्री भी हासिल कर रहा था. ज़ाहिर है एक हिंदुस्तानी के लिए पाकिस्तान में ये काम कतई आसान नहीं था. पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात अमानत नाम के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी की बेटी से हुई. उन्होंने शादी कर ली और एक बच्ची के पिता बने. कथित तौर पर, रवींद्र ने 1979 से 1983 तक भारतीय रक्षा बलों को महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से ब्लैक टाइगर की उपाधि प्राप्त की थी.
नबी अहमद उर्फ रविंद्र कौशिक की असलियत पता चलते ही पाकिस्तानी फौज ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. फिर लगातार कौशिक को टॉर्चर किया गया था. बताया जाता है कि इस दौरान कौशिक को पाकिस्तानी सेना के सियालकोट सेंटर में रखा गया था और उनसे राज उगलवाने की कोशिश की गई थी. 1985 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई जिसे बाद में आजीवन कारावास में बदल दिया गया. वर्षों तक जेल में बिताने के बाद, वह कथित तौर पर अपनी खराब स्थिति और आघात के बारे में भारत में अपने परिवार को पत्र भेजने में कामयाब रहे. कथित तौर पर, उनके परिवार और रॉ ने उनके साथ सभी संबंध तोड़ लिए.
जेल में कैद के दौरान रविंद्र कौशिक दिल की बीमारी और टीबी से पीड़ित हो गए थे, जिसके चलते साल 2001 में उनकी मौत हो गई.
मिशन मजनू को रॉनी स्क्रूवाला और अमर बुटाला द्वारा निर्मित किया जाएगा. फिल्म फरवरी 2021 में फ्लोर पर जाएंगी.