11 अक्टूबर को यानी बुधवार को सुपरस्टार अमिताभ बच्चन 75 साल के हो गए हैं. हालांकि, उन्होंने पहले ही यह साफ कर दिया है कि इस बार वो अपना बर्थडे सेलिब्रेट नहीं करेंगे. फिर भी अमिताभ बच्चन मंगलवार को अपने पूरे परिवार के साथ मुंबई एयरपोर्ट पर नजर आये. अमिताभ बच्चन साहब से हमने कुछ समय पहले बातचीत की थी, पेश है, उसी के मुख्य अंश...
11 अक्टूबर आपके लिए कितना खास है?
11 अक्टूबर मेरे लिए उतना ही खास है, जितना की आपको अपनी पैदाइश का दिन खास है. एक जीव का जन्म, इस संसार में अपने आप में एक अद्भुत प्रक्रिया होती है और फिर जब वो एक मानस रूप में हो, तो किसी भी चमत्कार से कम नहीं होता. आप और मैं, ईश्वर (यदि आप ईश्वर में विश्वास रखते हैं) के इस चमत्कार का स्वरुप हैं और मेरा ऐसा मनना है कि हम भाग्यशाली हैं कि ईश्वर ने हमें मानस रूप में इस संसार में उत्पन्न किया.
आपके जन्म के विषय में कभी मां जी या बाबूजी ने कोई बात बताई हो, जो आज के दिन आप शेयर कर सकें?
मां बाबूजी ने हमेशा सुख, शांति और हमारी मंगल कामना की प्रार्थना की. यही हमारे जीवन की सब से बड़ी उपलब्धि और पूंजी है.
बचपन में आपका जन्मदिन कैसे मनाया जाता था ?
जिस तरह आपका मनाया जाता होगा, उसी तरह हमारा भी मनाया जाता था. बधाई देना, कुछ उपहार - जितना भी संभव हो सके भेंट में देना, नए वस्त्र , कुछ मेरे मित्रों को आमंत्रित करना, कुछ मिष्ठान, कुछ खेल कूद और बस.
किसी स्कूल या कॉलेज के दोस्त के द्वारा दिया हुआ गिफ्ट याद आता है?
अधिकतर- एक कोई अच्छी पुस्तक, कोई खिलौना, कलम, पुष्प यही याद आता है.
आजकल केक चेहरे पर लगा दिया जाता है, इस प्रथा को आप कैसे देखते हैं ?
केक की प्रथा के बारे में मेरा दृष्टिकोण कई बार आपको बता चुका हूं. इस प्रथा की शुरुआत कहां और कैसे हुई, इसके बारे में मुझे पता नहीं. यदि आपको कोई जानकारी हो तो मुझे सूचित कीजियेगा. साथ ही, इस खासे गाढ़े मिष्ठान को, चेहरे पर क्यों पोत दिया जाता है, उसके बारे में भी मुझे सूचित कीजियेगा, नजर उतारने के और बहुत से सम्मानित तरीके होते हैं.
कोई ऐसा यादगार बर्थडे जो आपने फिल्म के सेट सेलिब्रेट किया हो?
कोई ऐसा यादगार लम्हा तो याद नहीं आ रहा. हां, कुछ ऐसे अवसर थे, जब मेरा जन्मदिन फिल्म सेट पे मनाया गया, क्योंकि मैं उस दिन काम कर रहा था. तो वही गाढ़ा मिष्ठान प्रस्तुत किया गया, उस पर जितनी मेरी उम्र थी, मोमबत्तियां लगाई गईं, उन्हें जलाया गया, फिर फूंक कर उन्हें बुझाने को कहा गया, तालियां बजीं, एक गान जो विश्व का सबसे प्रचलित और सबसे ज्यादा गाया हुआ गान है, अलग-अलग स्वरों में गाया गया, एक कत्ल करने नुमा चाकू पेश किया गया, मिष्ठान को फांकों में काटने को कहा गया वहां मौजूद लोगों को अपने हाथों से खिलाने को कहा गया, किसी वृद्ध या खासदार को अपने हाथों से मेरे मुख में पदार्थ डालने को कहा गया. बस हमारे जमाने में इसके पश्चात् लिपा-पोती की परंपरा, भाग्यवश, स्थापित नहीं हुई थी.
बाबूजी ने कभी 'जन्मदिन' से रिलेटेड पक्तियां लिखी हों, जो आज याद आती हो?
जी, प्रति वर्ष बाबूजी मेरे, या परिवार के किसी भी सदस्य के जन्मदिवस पे एक कविता लिखते थे, जिसमें वे बधाई और मंगल कामना की प्रार्थना व्यक्त करते थे. वो पंक्तियां मुझे याद हैं. लेकिन यहां आपको लिख के सुनाऊंगा नहीं, क्योंकि वो परिवार व्यक्तिगत हैं.
मां जी इस दिन कुछ खास खाना पकाया करती थी?
जी....खीर.
जया जी और पूरे परिवार की तरफ से बर्थडे पर दिया गया कोई सरप्राइज या उपहार याद आता है ?
जी याद आता है. सब याद आता है, अब उसे भी बताने के लिए न कहियेगा, क्योंकि मैं बताऊंगा नहीं.
आप मीठा तो खाते ही नहीं, इस दिन कैसे बचते हैं, क्योंकि केक मीठे से भरपूर होता है?
केक और कुछ और सम्बंधित सामग्री नहीं खाता हूं. पर ऐसा नहीं है की मीठा खाता ही नहीं हूं! केक जो भेजा जाता है, या जो उपहार के रूप में सामने आता है, उसे छूकर श्रद्धा आदर सहित प्रणाम कर लेता हूं.
आपका जन्मदिन पूरा विश्व मनाता है, हर रविवार को जलसा और प्रतीक्षा के बाहर जन सैलाब आता है, लेकिन बर्थडे के दिन कुछ खास ही नजारा होता है, इस बात को कैसे महसूस करते हैं ?
आभारी हूं उन सबका जो बधाई देने आते हैं, और उन्हें हृदय से धन्यवाद और प्रणाम करता हूं. ऐसा संभव तो नहीं हो पाता है की सबसे मिल सकूं, लेकिन इतना स्वीकारता हूं कि यदि आज मैं जीवित उनके सामने हूं, तो उनकी प्रार्थना और स्नेह की वजह से हूं.
आप इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा समय के पाबंद माने जाते हैं, इसके पीछे किसकी प्रेरणा है?
पता नहीं फिल्म उद्योग में मैं सबसे ज्यादा समय पाबंद हूं या नहीं. मैं इसे कोई खिताब के रूप में नहीं मानता. सैयम और अनुशासन किसी व्यक्ति की प्रेरणा नहीं होती, ये तो हर इंसान की अपनी अपनी परिकल्पना होती है, ऐसा मेरा मानना है. यदि कोई, किसी समय पे आपको बुलाता है, तो समय पे उपस्थित होना, उसका आदर करना, मैं मनाता हूं, वरना आप उस व्यक्ति का निरादर कर रहे हैं और मैं किसी का निरादर नहीं करना चाहता. क्यों करूं ? अगर निरादर ही करना है तो उसे आमंत्रित क्यों करूं या फिर उसका निमंत्रण ही क्यों स्वीकार करूं.
कोई खास मैसेज सदी के महानायक की तरफ से उनके चाहने वालों के लिए ?
अपने चाहने वालों को मैं अपनी तरफ से शीश नवा के नमस्कार करता हूं और आप जैसे पत्रकारों को हाथ जोड़ कर प्रार्थना करता हूं कि आप मुझे 'सदी' और 'महानायक' जैसे शब्दों से संबोधित न करें!! धन्यवाद!