'गोलमाल अगेन' को 200 करोड़ के क्लब में शामिल कराने में बंटी नेगी ने भी निभाई महत्वपूर्ण भूमिका. एडिटर बंटी नेगी जिन्होंने इस साल की सुपरहिट फिल्म 'गोलमाल अगेन' की एडिटिंग की है. निर्देशक रोहित शेट्टी और फिल्म से जुड़े कुछ एक्सपीरियंस बंटी ने पीपिंग मून. कॉम के साथ शेयर किए.
'गोलमाल अगेन' 200 करोड़ के क्लब में शामिल हो गई है कैसा लग रहा है?
ये हमारे लिए बहुत बड़ी कामयाबी है और मुझे खुशी हो रही है कि फिल्म ने 200 करोड़ कमा लिए है. रोहित शेट्टी के साथ काम करके बहुत अच्छा लग रहा है.
फिल्म का ट्रेलर बनाते वक्त एक एडिटर किन बातों को ध्यान में रखता है?
फिल्म का ट्रेलर उसके जॉनर पर डिपेंड करता है. जैसे 'गोलमाल अगेन' बहुत बड़ी फिल्म है और उसकी फ्रेंचाइजी अभी से नहीं काफी सालों से बन रही है तो जिस हिसाब से उसके पहले के ट्रेलर बने है और दर्शकों को पसंद आए हैं, उन सब बातों को ध्यान में रखकर हमने 'गोलमाल अगेन' का ट्रेलर बनाया था. हमने निर्देशक रोहित शेट्टी से बात की कि कैसा बनाना है ट्रेलर और आप यकीन नहीं करेंगे कि पांच दिन में हमने ट्रेलर तैयार किया.
फिल्म में जब बड़े स्टार्स नहीं हो और बजट भी कम हो, उस वक्त ट्रेलर बनाने में किन बातों को दिमाग में रखा जाता है?
फिल्म में बड़े स्टार्स हो या ना हो लेकिन ट्रेलर बहुत जरूरी होता है. उसके कॉन्सेप्ट, उसकी स्टोरी के ऊपर कि हम क्या दिखाना चाहते है, क्यूंकि हम जो दिखाएंगे वही देख कर दर्शक फैसला ले लेते है कि ये फिल्म हम देखना चाहते है या नहीं. एक एडिटर के तौर पर हमारा काम है कि ट्रेलर देख दर्शक सिनेमाहॉल में आए और फिल्म देखें. अगर फिल्म अच्छी होती है तो सराहना होती है और अगर फिल्म ठीक-ठाक होती है तो औसतन प्रतिक्रिया मिलती है तो सबकुछ दर्शक पर निर्भर करता है.
गोलमाल एडिटिंग आपने 'वैनिटी वैन' में बैठकर की है तो सारी चीजें कैसे मुमकिन थी?
गोलमाल बहुत जगह एडिट हुई है. हैदराबाद में वैनिटी लगा के हमने एडिटिंग की है. स्पेन में जब 'खतरों के खिलाड़ी' शूट किया जा रहा था, उस वक्त हर लोकेशन में जहां रोहित सर जा रहे थे वहां वैनिटी लगाकर मैंने एडिटिंग की है. करीब डेढ़ महीने तक में उनके साथ रहा. ऐसा भी हुआ है कि मैंने रोहित सर की वैनिटी में बैठकर एडिटिंग की है. 'फिल्मिस्तान', महबूब स्टूडियो में सेट हमने एडिटिंग की.
रोहित शेट्टी के साथ आपका रिश्ता कैसा है, एक निर्देशक के तौर पर क्या वो सख्त हैं?
क्रिएटिवली तो हर निर्देशक सख्त होता ही है, अगर उन्हें अपना विजन दिखाई नहीं दे रहा है तो वो सख्त तो होंगे. एक एडिटर और निर्देशक के बीच थोड़ी दूरी तो होती ही है. रोहित सर को मैं 1994 से जानता हूं जब वो अस्सिस्टेंट डायरेक्टर थे. मैंने उनकी पहली फिल्म 'जमीन' की भी एडिटिंग की है फिर 'दिलवाले' और फिर 'गोलमाल अगेन'.
फिल्म के ट्रेलर को अगर अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिलती तो क्या उसके लिए एडिटर को दोषी ठहराया जाता है?
इसमें किसी को दोषी नहीं ठहरा सकते. ये एक क्रिएटिव चीज होती है जिसके लिए कोई किसी को दोषी नहीं ठहरा सकता. मैं निर्देशक को दोषी नहीं ठहरा सकता और डायरेक्टर अपनी परफॉरमेंस को ब्लेम नहीं कर सकता. ये एक क्रिएटिव चीज होती है जिसका फैसला ऑडियंस लेती है.
फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स पर आप लोग कितना काम करते हैं?
गोलमाल में तो बहुत स्पेशल इफेक्ट्स है. जब हम एडिट कर रहे थे तो हमें ही नहीं पता था कि क्या स्पेशल इफेक्ट्स आने वाले है. जब हमने देखा तब पता चल कि ये सारी चीजें आने वाली है. बहुत सारी चीजें है जो वीएफएक्स में ऐड की गई है.