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बच्‍चों का पहला बर्थडे मनाकर कुछ ऐसा महसूस कर रहे हैं करण जौहर

फिल्ममेकर करण जौहर आज कुछ ऐसा कर रहे हैं जो पहले कभी उन्होंने नहीं किया. आज वो अपने जुड़वां बच्चों रूही और यश के बर्थडे सेलिब्रेशन की तैयारियों में जुटे हुए हैं. समय की चाल भी कितनी तेज है. लगता है जैसे अभी हाल की ही बात थी जब करण को पिता बनने की खुशी मिली थी, और आज उनके बच्चे अपना पहला बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं.

सुपरस्टार फिल्ममेकर और सेलिब्रेटेड टीवी चैट शो होस्‍ट करण ने इस बर्थडे पार्टी के लिए घर पर ही इंतजाम किए हैं. उनके मेहमानों की लिस्ट में कुछ चुनिंदा और विशेष लोग ही शामिल हैं. बॉलीवुड में करण के खास दोस्तों के कुछ बच्चे (जो करण के बच्चों की ही उम्र के हैं) इस पार्टी में होंगे. पार्टी शाम को करीब 4 से 6.30 के बीच रहेगी और इसका इंतजाम पाली हिल स्थित करण के तिमंज़िला अपार्टमेंट की 11वीं मंजिल पर है. लेकिन करण जौहर के लिए तो यह पार्टी पूरे दिन और पूरी रात चलने वाली है.

पीपिंगमून डॉट कॉम के साथ अपनी एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान करण ने बताया, 'बच्चे अब एक साल के हो गए हैं. मुझे पहचानते हैं और जब मैं घर में घुसता हूं तो एक बड़ी मुस्कराहट के साथ मेरा स्वागत करते हैं. और वो प्यारी स्माइल मेरे साथ साथ मेरी मां और मेरे उन करीबी दोस्तों को भी मिलती है जो अक्सर मेरे घर आते हैं. जैसे आलिया भट्ट, जो कि पार्टी में भी आने वाली हैं. जब दोनों बच्चे महज़ दो महीने के थे, तो मैं हर शख्स से उनकी मुलाक़ात उनका नाम लेकर करवाता था. मैंने उन्हें एक परिवार का टैग दिया. मैं चाहता था कि मेरे बच्चे यह जानें कि उनका परिवार कितना बड़ा है. यह परिवार सिर्फ मेरे या मेरी मां तक सीमित नहीं हैं. इसमें 'आलिया बुआ' से लेकर 'वरुण चाचा', 'सिद्धार्थ चाचा' और कई सारे लोग हैं. मुझे आज भी वो दिन याद है जब दोनों बच्चे सांताक्रूज के सूर्या मदर एंड चाइल्ड सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर आये थे. इन्होने वाकई मेरी जिंदगी बदल दी.'

जब यश और रूही सिर्फ ढाई महीने के थे, उस समय करण शायद पहले ऐसे इंसान थे जिन्होंने अपने बच्चों की देखभाल के लिए अपने काम से 'पैटर्निटी लीव' ली थी. हालांकि इस बात को कोई नहीं झुठला सकता है कि करण बॉलीवुड के सबसे व्यस्त फिल्ममेकर्स में से एक हैं. हमेशा उनके पास बड़े बजट की मल्टी-स्टारर फिल्में होती हैं और उसके अलावा धर्मा प्रोडक्शंस के तमाम प्रोजेक्ट्स भी लगे ही रहते हैं. लेकिन फिर भी करण ने अपने बच्चों के लिए इन
सब चीजों से हमेशा वक्‍त निकाला. बकौल करण, 'मैंने कुछ समझौते किए. ये बच्चे बहुत ही प्यारे हैं. इस समय उनकी उम्र भी ऐसी है कि जब भी वो मुझे देखते हैं वो बहुत उत्साहित हो जाते हैं और फिर मुझे छोड़ना नहीं चाहते. लेकिन काम पर जाना पड़ता है, तो सुबह के टाइम को हमने 'से टा-टा टू पापा टाइम' का नाम दिया है. ढेर सारी मुस्कुराहटों के साथ मैं सुबह घर से विदा लेता हूं. फिर पूरे दिन मेरी मां मुझे बच्चों के बारे में अपडेट देती रहती हैं और व्हाट्स ऐप पर उनकी फोटोज भेजती रहती हैं.'

यश और रूही ने करण को कई खुशियां दी हैं. करण बताते हैं, 'बच्चों ने अभी बोलना शुरू नहीं किया है, लेकिन अपनी तोतली भाषा में वो मुझे समझाते हैं कि वो क्या चाहते हैं. मुझे बड़ी बेसब्री से उस दिन का इंतजार है जब वो मुझे 'पापा' या 'डैड' कहकर बुलाएंगे. अभी वो घुटनों के बल चलते हैं और बिना किसी सहारे के खुद खड़े भी हो जाते हैं. जल्दी ही वो चलने भी लगेंगे. मैं उन्हें अपनी बिल्डिंग के ग्रीन लेवल में लेकर जाता हूं जहां उनके लिए बैटरी से चलने वाली सफेद रंग की एक कार है, मैं उनकी सीट-बेल्ट बांधता हूं और वो फिर वो अपनी कार खुद ड्राइव करते हैं. उन्हें इसमें बहुत मजा आता है. मैंने यश और रूही के लिए अभी कोई बर्थडे गिफ्ट नहीं खरीदा है क्यूंकि मैं हर समय ही उनके लिए कुछ न कुछ खरीदता रहता हूं. कई ऐसी चीजें भी खरीदता रहता हूं जिनकी जरुरत शायद इस उम्र में उन्हें है भी नहीं. पर अक्सर आप अपने बच्चों के लिए कोई चीज नहीं खरीदते हैं, कई बार आप वो चीजें अपने लिए खरीदते हैं क्यूंकि उन चीज़ों के साथ आपको अपने बच्चे बहुत प्यारे लगते हैं. कई बार ऐसा हुआ है कि मैं उनके लिए महंगे से महंगे खिलौने खरीद कर लाया हूं, लेकिन यश और रूही उसे इग्नोर कर देते हैं... उन्हें एक मामूली प्लास्टिक के टुकड़े के साथ खेलने में ही मजा आता है! पितृभाव एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आप बहुत कुछ सीखते हैं.'

करण आज 7 अप्रैल 2017 का दिन याद करते हैं जब उनके मन के भाव खुशियों की पराकाष्ठा को पार करते हुए शब्दों के जरिये बाहर आए थे. उस समय करण ने कहा था:

  • 'यह मेरा सबसे बड़ा ब्लॉकबस्टर है. मुझे अभी तक यकीन ही नहीं हो रहा है कि मेरे साथ यह हुआ क्या है. ये महज दो महीने के हैं. ये सिर्फ खाते हैं, सोते हैं, डकार लेते हैं और पॉटी करते हैं. कभी खुशी, कभी गम! मैं सिर्फ बैठकर उन्हें निहारता रहता हूं. मुझे यह यकीन ही नहीं हो रहा है कि ये मेरे हैं.'
  • 'इन्होंने आकर मेरी ज़िंदगी के खालीपन को नयी ऊर्जा से भर दिया है. इन्हें देखते ही मेरी आंखें नम हो जाती हैं.'
  • 'मन में तमाम मिक्स्ड इमोशन्स हैं. रात को अचानक ही उठकर अब ख्याल आता है कि साथ वाले कमरे में एक ज़िंदगी सांस ले रही है जिसकी पूरी ज़िम्मेदारी मेरे ऊपर है.'
  • 'मैंने सोच लिया है कि रूही और यश थोड़े बड़े हो जाएं तो उनका स्कूल शुरु होने से पहले मैं उन्हें अपने साथ ऑफिस लेकर जाऊंगा. वो धर्मा प्रोडक्शंस की प्रस्तुति हैं. मैं चाहता हूं कि उनकी मौजूदगी हर जगह हो. मैं यहां डिज़्नीलैंड जैसा एक शिशु-गृह बनाऊंगा. जब मैं शूटिंग के लिए जाया करूंगा तो वो मेरे साथ ट्रेवेल किया करेंगे. करीना का बेटा तैमूर रूही और यश से कुछ महीने बड़ा है और हम अभी से साथ में हॉलिडे के प्लान्स बना रहे हैं.'
  • 'पितृभाव एक लाजवाब रोलरकोस्टर राइड की तरह है. मैं अपने बच्चों के लिए सही चीजें करना सीख रहा हूं. जब इन बच्चों को कन्सीव किया गया था तब मैं बहुत उन्मादपूर्ण था, लेकिन मैंने खुद से कहा कि मैं एक ज़िम्मेदार पिता बनूंगा, न कि एक पागल मां. फिर प्री-मैच्योर बर्थ की विषमतायें सामने आईं. उन्हें इन्क्यूबेटर में देख मेरा दिल दुखता था. लेकिन मुझे स्वामित्व की मजबूत भावना महसूस होती थी कि इन पर मेरा अधिकार है. यह मेरा ज़िंदगी भर का सपना था जो पूरा हुआ था. बस मैं उन्हें अपनी गोद में लेने को उतावला था. और जब पहली बार मैंने ऐसा किया, तब जो भावनाएं मेरे मन में थीं उनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. मेरी ज़िंदगी की सबसे बेहतरीन पारी शुरु हो चुकी थी.'
  • 'मुझे हजारों सुझाव दिए गए - बाल रोग विशेषज्ञों और नर्सों के बारे में, कैसे बच्चों के हिसाब से नर्सरी को अनुकूल बनाया जाए, बच्चों के लिए कैसा संगीत बजाय जाए, उन्हें कैसे डकार दिलवाई जाए, कैसे उनका बॉडी टेम्परेचर मॉनिटर किया जाए, कब कब उन्हें इंजेक्शंस दिलवाये जाएं, उनका रोना कैसे बंद किया जाए और अगर उन्हें नैप्पी रैश हो जाएं तो क्या किया जाए. मैं पागल माताओं को एक मास्टर क्लास दे सकता हूं!'
  • 'लोग जानना चाहते हैं कि क्या मैं अपने बच्चों की नैप्पीज चेंज करता हूं. मुझे यह सवाल ही सही नहीं लगता है. मुझे मेरे माता-पिता की वो झलक याद नहीं जब उन्होंने मेरी नैप्पी चेंज की थी, मुझे खुद को उनके गले लगाना याद है. लेकिन मैंने एक बार नैप्पी चेंज की क्यूंकि मुझे लगा कि अगर मैं उनकी गंदगी साफ कर सका तो यह अच्छा होगा.'

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