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सलमान खान के पापा सलीम खान हैं पायलट, जानें ये Exclusive ड‍िटेल्‍स

मुंबई का मशहूर गैलेक्सी अपार्टमेंट अभी तक बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान के नाम से ही जाना जाता रहा है, लेकिन हाल ही में इस खान परिवार के मुखिया सलीम खान से जुड़ी एक ऐसी खबर सामने आई है जिस पर शायद कई लोग विश्वास भी नहीं करेंगे.

बॉलीवुड के दबंग खान सलमान खान के पिता सलीम खान असल मायनों में रीयल लाइफ से लेकर स्टंट्स के मामले में भी उनके बाप हैं और इस उम्र में भी उनसे चार कदम आगे हैं. आपको शायद जानकार हैरानी होगी लेकिन सच यह है कि पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित सलीम खान (उम्र 82 वर्ष) - जो कि एक उम्दा फिल्म स्क्रीनराइटर रह चुके हैं सलमान के साथ साथ अरबाज़, सोहेल, अल्वीरा और अर्पिता खान के पिता हैं - अपनी जवानी के दिनों में इंदौर में एक ट्रेन्ड पायलट हुआ करते थे.

अपनी ऊंची उड़ानों के दिन और यादें ताजा करने का मौका सलीम खान को मिला जब उन पुराने दोस्त और सिविल एविएशन के पूर्व डायरेक्टर जनरल डॉक्टर यशराज टोंगिआ हाल ही में 'खान खानदान' से मिलने आये. अपनी विजिट के दौरान डॉक्टर यशराज टोंगिआ ने गैलेक्सी अपार्टमेंट्स से ही अपनी और सलीम खान की पुराने दिनों की कुछ फोटोज़ भी शेयर कीं. दोनों ने अपनी मुलाक़ात के दौरान हज़ारों बातें कीं और साथ डिनर भी किया.


यही नहीं, सलीम खान ने डॉक्टर यशराज टोंगिआ से मुलाक़ात के दौरान अपना बरसों पुराना प्राइवेट पायलट लाइसेंस भी निकालकर दिखाया - जिसके बारे में शायद उनके बच्चों को कोई खबर भी नहीं थी. यह लाइसेंस उन्हें 3 फरवरी 1958 को उस समय के सिविल एविएशन डायरेक्टर जनरल पी एस सांघवी द्वारा नई दिल्ली में दिया गया था.

सलीम खान ने बताया कि उन्होंने इस लाइसेंस को उतने ही प्यार और गर्व के साथ संभाल के रखा है जिस तरह उन्होंने "ज़ंजीर" फिल्म का ओरिजिनल स्क्रीनप्ले संभाल के रखा है - जिसे उन्होंने जावेद अख्तर के साथ साल 1973 में लिखा था और जिसके ज़रिये दोनों ने अमिताभ बच्चन का करियर बतौर 'एंग्री यंग मैन' लॉन्च किया था. सलीम खान, जो साल 1958 में महज़ 22 साल के थे, बहुत छोटी उम्र में ही पूर्ण रूप से एक कमीशन्ड पायलट बन चुके थे और '1930 का डि हवीलैंड डीएच 82 टाइगर मॉथ बाईप्लेन' उड़ाया करते थे.

पीपिंगमून डॉट कॉम से अपनी एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान डॉक्टर यशराज टोंगिआ ने इस राज़ का खुलासा किया, 'सलीम खान की उड़ान की कहानियों में एक किस्सा ऐसा भी है जो रोंगटे खड़े कर देता है. 1958 में जब सलीम साहब टाइगर मॉथ उड़ा रहे थे तब प्लेन के इकलौते इंजन का खतरे का अलार्म बजने लगा. उन्हें महसूस हुआ कि इंजन फेल हो चुका था और उन्होंने तुरंत एयरक्राफ्ट को मोड़ा. बहुत शान्ति से और विवेक का पूरा इस्तेमाल करते हुए सलीम साहब ने टाइगर मॉथ को सुरक्षित रूप से फ़ोर्स-लैंड किया. उसके बाद वो किसी को भी मज़े के लिए ऐसी उड़ान पर नहीं ले गए लेकिन अपने प्राइवेट पायलट लाइसेंस का उन्हें आज भी गर्व है - जो कि काफी पहले एक्सपायर हो चुका है.'

 

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