रवीन्द्रनाथ टैगोर की 1892 की कहानी 'काबुलीवाला' से प्रेरित फिल्म 'बायोस्कोपवाला' का हाल ही में ट्रेलर रिलीज किया गया था. फिल्म में डैनी डेंजोंग्पा, गीतांजलि थामा, टिस्का चोपड़ा और आदिल हुसैन लीड रोल में हैं. 'बायोस्कोपवाला' को सुनील दोषी ने प्रोड्यूस किया है और इसे देब मेधेकर ने डायरेक्ट किया है. 'बायोस्कोपवाला' को 25 मई को रिलीज किया जाएगा.
'बायोस्कोपवाला' के स्क्रिप्ट राइटर और प्रोड्यूसर सुनील दोशी ने पीपिंगमून से बातचीत में बताया, 'गुलजार साहब ने टैगोर के प्रति अपने आकर्षण के बारे में मुझे लगभग 15 साल पहले बताया था. उन्होंने बताया कि कैसे कैसे टैगोर भारत में एकमात्र लेखक हैं जो वास्तव में बच्चों और परिवार के अनुकूल कहानियां लिखते हैं. संयोग से गुलजार ने अपने करियर की शुरुआत बिमल रॉय के सहायक के तौर पर की थी जब वह कबुलीवाला बना रहे थे. फिल्म के हीरो थे बलराज साहनी और उसके गीत लिखे थे गुलज़ार ने. जब मैं कुछ साल पहले बायोस्कोपवाला की कहानी लेकर गुलज़ार साहब के पास गया तो वह स्क्रिप्ट से बहुत खुश थे और तुरंत इस फिल्म के दोनों गीतों को लिखने पर सहमत हो गए थे. फिल्म में दो गाने हैं.'
फिल्म का ट्रेलर यादों के पुराने गलियारे में ले जाता है, जहां एक बायोस्कोप में पूरी जादुई दुनिया सिमटी रहती थी. 'बायोस्कोपवाला' की कहानी वहां से शुरू होती है जहां 'काबुलीवाला' की कहानी खत्म होती है. 'बायोस्कोपवाला' कोलकाता में बच्चों को फिल्म दिखाता है और उनका मनोरंजन करता है. उसकी नन्हीं मिनी के साथ अच्छी दोस्ती हो जाती है क्योंकि मिनी में उसे अपनी बिटिया की झलक दिखती है. बायोस्कोपवाला की बेटी युद्ध की मार झेल रहे अफगानिस्तान में है. क्या वह अपनी बिटिया से दोबारा मिल पाता है और क्या मिनी बड़े होने पर उस बायोस्कोपवाले को ढूंढ पाती है. फिल्म बहुत ही मार्मिक और संवेदनशील है.
'काबुलीवाला' रवीन्द्रनाथ टैगोर की बहुत ही लोकप्रिय कहानी है जो इमोशंस से भरी है. यह काबुल से आने वाले एक पश्तून सौदागर की कहानी है जो भारत मेवे बेचने आता है. उसकी दोस्ती मिनी से हो जाती है जिसे देखकर उसे अपनी बेटी की याद आती है. 1961 में बॉलीवुड 'काबुलीवाला' शीर्षक से फिल्म भी बना चुका है, जिसमें बलराज साहनी ने काबुलीवाला का किरदार निभाया था.
साहित्य के लिए 1913 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए गए रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 में हुआ था.