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Exclusive: संजय दत्त के साथी कैदियों ने की 'संजू' फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग की मांग

एक्टर संजय दत्त की ज‍िंदगी पर बनने वाली फिल्म 'संजू' का इंतजार लोग बेसब्री से कर रहे हैं. इस बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका इस फिल्म और संजय दत्त से गहरा नाता है. उनका कहना है की संजय दत्त की ज़िंदगी पर बानी ये फिल्म उनके बगैर अधूरी है. इस लिए ये फिल्म हमें सबसे पहले दिखाई जाए. बाबा हमें भूल सकता है लेकिन हम बाबा को नहीं भूल सकते हमने साथ में कई महीने गुज़ारे हैं. जब बाबा के पास उनका स्टारडम नहीं था तो हम थे जिसने संजय दत्त को संभाला नहीं तो शायद संजय दत्त आज हमारे साथ नहीं होते.

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संजय दत्त की वजह से ही आज आर्थर रोड जेल की रौनक बदली है. जब बाबा पहले बार जेल आए थे तो वहां न तो ठीक से बिजली थी और न ही पंखा. जेल के बैरक की दीवारें भी स्याह थी. लेकिन जब संजू बाबा ने इसकी जानकारी अपने पिता को दी तो उन्होंने सिर्फ अपने बेटे नहीं पूरे जेल में पंखे के साथ-साथ टीवी भी लगवा दिए थे.

अब जब 29 जून को दुनिया भर में संजय दत्त की ज़िंदगी पर बनी फिल्म 'संजू' रिलीज़ होने वाली है तो आर्थर रोड जेल में बंद कई आरोपियों ने ये मांग रखी है कि, जेल के अंदर फिल्म 'संजू' का विशेष स्क्रीनिंग रखी जाए. क्यूंकि इस फिल्म के एक बड़े हिस्से में बाबा की जेल में बिताई ज़िंदगी को भी दिखाया गया है. वो चाहते हैं की उन्हें भी पता चले की संजय दत्त की ज़िंदगी पर बनने वाली फिल्म में उन्हें कितनी जगह मिली है. इसके लिए कई बंदियों ने जेल प्रशासन से गुहार लगाईं है. वहीं 93 धमाके वो आरोपी जिनका ट्रायल चल रहा है उन लोगों ने भी रणबीर कपूर और राज कुमार हिरानी को खत
लिखा है.

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मुंबई के आर्थर रोड जेल में संजू बाबा के नाम पर एक ख़ास बैरक भी है. जिसे बाबा वार्ड कहा जाता है. आज उस वार्ड में बीस साल से कम उम्र के आरोपियों को रखा जाता है. इसी वार्ड में संजय दत्त ने 93 बम धमाके में गिरफ्तारी के बाद करीब 2 महीने निकाले थे. ये वार्ड ठीक आफ्टर वार्ड के ऊपर बनाया गया था. क्यूंकि इस बात का डर था की संजय दत्त पर राजन गैंग के लोग हमला कर सकते हैं. बाद में उन्हें बैरक नंबर दस में भेज दिया गया था. कहा जाता है की बैरक नंबर दस में उन्हें जगह मिलती है जिसे भाई चाहता है. यानी इस बैरक में सिर्फ डी गैंग के लोगों को रखा जाता था.

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