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ये है फिल्म 'मुल्क' की असली कहानी, ऋषि कपूर बने हैं वो पिता जिन्हें पहले आतंकी कहा गया फ‍िर पूरे देश सलाम करने लगा

अनुभव सिन्हा की फिल्म 'मुल्क' का ट्रेलर सोमवार को रिलीज कर दिया गया है. ट्रेलर को देखकर ही लग रहा है फिल्म एक्शन और थ्रिलर से भरपूर है. दावा किया जा रहा है की फिल्म असली कहानी पर आधारित है. तो आपको बताते हैं की वो असली कहानी क्‍या थी जिसने फिल्म मेकर अनुभव सिन्हा को प्रेरित किया.

शायद आपको वो किस्सा याद होगा जब एक बाप ने अपने ही बेटे की लाश लेने से मना कर दिया था. सामने बेटे की लाश पड़ी थी और वो ये कहते हुए वहां से निकल गया की ये मेरा बेटा कैसे हो सकता है जिसने देश से गद्दारी की है. ये कहानी एक ऐसे ही बाप की जिसने ना सिर्फ़ ऐसा कहा, बल्कि बेटे की लाश को हाथ तक लगाने से इनकार कर दिया. यकीनन जीते-जी इस बेटे ने अपनी बाप को ऐसी चोट पहुंचाई थी कि मौत के बाद भी गांठ पड़ चुके कलेजे से मुहब्बत नहीं फूटी. आंखों से दो बूंद आंसू तक नहीं छलके. लेकिन आज तक इस बाप को पूरा हिंदुस्तान सलाम कर रहा है. जानते हैं क्यों?
क्योंकि वो एक गद्दार आतंकी का देशभक्त बाप है.

'मुल्क' सरताज खान और उनकी लड़ाई लड़ने वाले वकील शोएब अहमद की कहानी है. फिल्म में सिर्फ एक बदलाव दिखाई देता है शोएब का किरदार क‍िसी मेल एक्टर से ना कराकर तापसी पन्नू से कराया गया है. इस फिल्म में दिखाया गया है क‍ि एक बाप अपने बेटे की हरकतों का विरोध करता है फिर भी समाज उसे आतंकी साबित करने की कोशिश करता है. लोग उसका दाना पानी तक बंद कर देते हैं. उनका सड़क पर निकलना तक मुश्किल हो जाता है. लेकिन एक बाप ने अपने अकेले अदालत में साबित किया की उनका बेटा आतंकी था लेकिन वो देश भक्त है और उनका पूरा परिवार आज भी हिंदुस्तान पर जान देने को तैयार है.

ये है असली सरताज की कहानी
अनुभव सिन्हा की ये फिल्म सरताज अहमद पर बनी फिल्म है. सरताज अहमद यानी उसी आतंकी सैफ़ुल्लाह के पिता हैं, जिसे यूपी एटीएस ने लखनऊ में एनकाउंटर के दौरान मार गिराया था. सैफुल्लाह को मारने के लिए उत्तर प्रदेश की पुलिस को कई घंटे तक ऑपरेशन चलना पड़ा था. करीब ग्यारह घंटे तक दोनों तरफ़ से रह-रह कर हुई गोलीबारी हुई थी जिसके बाद आतंकवादी सैफ़ुल्लाह को यूपी एटीएस ने मार गिराया था. लेकिन इस पूरे मुठभेड़ के बाद जो बात सबसे ज़्यादा चर्चा में थी वो ये क‍ि जैसे ही लोगों को ये पता चला की सैफुल्लाह, सरताज अहमद का बेटा है पूरे समाज ने उन्हें घेर लिया था उनके पूरे परिवार को आतंकवादी घोषित कर दिया गया था. घर पर पत्थर फेंके जाने लगे उन्हें पाकिस्तानी आतंकी घोषित कर दिया गया. मगर सरताज अहमद ने वो किया जिसके उम्मीद किसी ने की थी.

सरताज अहमद, सैफ़ुल्लाह के पिता ने ना सिर्फ़ अपने मरे हुए बेटे का मुंह तक देखने से इनकार कर दिया, बल्कि ये भी कह दिया कि उन्हें और उनके परिवार को अब अपने बेटे की लाश तक की ज़रूरत नहीं है. क्योंकि बेटे ने मुल्क से गद्दारी की है. बेटे ने देश के खिलाफ़ काम किया है. कानपुर के इस परिवार का दर्जा एक आतंकवादी से ताल्लुक रखने के बावजूद सबकी निगाहों में बहुत ऊपर हो गया है. कुछ इतना ऊपर कि देश के तमाम आम लोगों और सियासतदानों से होता हुआ, ख़ुद देश के गृहमंत्री तक इस परिवार और इस बाप को सलाम कर रहे हैं. इनसे सहानुभूति जता रहे हैं.

फिल्म की कहानी बनारस शहर की है और यह फिक्शन न होकर एक सच्ची कहानी पर आधारित है. इसके बाद धीरे-धीरे कहानी आपके सामने आती है. ऋषि कपूर एक ऐसे शख्स का किरदार निभा रहे हैं जिस पर देशद्रोही होने का आरोप लगा है. इन आरोपों के बाद उनकी जिंदगी बदल जाती है.लोग उन्हें पाकिस्तान जाओ जैसे ताने सुनाते हैं. प्रतीक बब्‍बर  सैफ़ुल्लाह का क‍िरदार नि‍भाते नजर आ रहे हैं.

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