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Exclusive: अपने ऑनस्क्रीन पर्सनालिटी से बिलकुल अलग थे अमरीश पुरी, इनकी भी थी एक लव स्टोरी... जानिए ये कहानी उनके पोते वर्धन पुरी की जुबानी

'अमरीश पुरी', यह नाम जब भी कहीं भी कहीं सुनाई देता है तो एक भारी-भरकम आवाज कानों को सुनाई देती है और एक बेहतरीन पर्सनालिटी आंखों के सामने आ जाती है. बॉलीवुड को एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्में देने वाले अमरीश पुरी की आज यानि 22 जुलाई जन्मतिथि है. आज भले ही अमरीश पुरी हम सभी के बीच में नहीं है मगर, उनकी यादें, उनकी आवाज और फिल्मों में उनके अभिनय ने उन्हें आज भी हम सभी के जहन में जिंदा रखा है. अमरीश पुरी का चार्म कभी आंखों से ओझल नहीं हो सकता. इस खास मौके पर पीपिंग मून की बात उनके पोते वर्धन पुरी से हुई. वर्धन जो खुद जल्द ही अपना बॉलीवुड डेब्यू करने वाले हैं, ने हमें अमरीश पुरी से जुड़ी बहुत ही दिलचस्प बातें बताई. हमें यकीन है कि हमारी यह रिपोर्ट पढ़ने के बाद आप अमरीश पुरी को और करीब से जान जाएंगे.

वह अमरीश पुरी जो बॉलीवुड सिनेमा में विलन बनते थे, वह रियल लाइफ में बिल्कुल विपरीत थे

सबसे पहले बात करते हैं अमरीश पुरी की लव स्टोरी की. जी हां, इनकी बहुत प्यारी लव स्टोरी है. इनकी लव स्टोरी आपने पहले कभी नहीं सुनी होगी. वर्धन पुरी ने हमें अपने दादा दादी की लव स्टोरी से अवगत कराया है. वर्धन ने बताया "क्योंकि दादी (उर्मिला पुरी) और उनके दादाजी जिन्हें वह प्यार से दादू कहकर पुकारते हैं, वह पहली बार एक इंश्योरेंस कंपनी में मिले थे. जहां अमरीश क्लर्क की नौकरी करते थे. यहीं अमरीश पुरी को मिला अपना पहला और आखिरी प्यार. इसी कंपनी में काम करती थी उनकी पत्नी उर्मिला भी. दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे थे और साथ में बैडमिंटन भी खेलते थे. लेकिन हर कहानी की तरह इस कहानी में भी ट्विस्ट आया! जहां अमरीश शिमला के पंजाबी मुंडे थे वहीं उनकी पत्नी उर्मिला साउथ इंडियन. परिवार वालों को जब यह बात पता चली कि दोनों एक दूसरे को पसंद करते हैं तो बहुत सारी आनाकानी हुई मगर, वक्त चलते दोनों ने अपने परिवार वालों को मना लिया और शादी कर ली." इनका प्यार भी उतार-चढ़ाव के साथ ऊपर नीचे होता रहा. पहले परिवार से लड़े और फिर अमरीश के स्ट्रगल डेज से. वर्धन ने अमरीश के स्ट्रगल डेज के बारे में भी बात की और कहा, "दादू ने बहुत स्ट्रगल किया है. सभी जानते हैं कि वह इंडस्ट्री में हीरो बनने आए थे मगर बन गए विलन. लेकिन, इस जर्नी में उनका साथ दिया मेरी दादी ने. दादू हमेशा कहा करते थे कि मैं हीरो बनूं या ना बनूं मगर, मेरे परिवार की हीरो मेरी पत्नी है. जब दादू फिल्मों में अपना पैर जमाने का स्ट्रगल कर रहे थे तब दादी ने ओवरटाइम करके घर संभाला क्योंकि दादू को सक्सेस की पहली सीढ़ी 41 वर्ष की उम्र में मिली और ऐसे में घर चलाना काफी मुश्किल था लेकिन मेरी दादी ने बहुत ही अच्छी तरीके से पूरे परिवार को संभाला."

अब बात करते हैं विलन अमरीश पुरी की पर्सनल लाइफ के बारे में 

पर्सनल लाइफ में वह विलन नहीं बल्कि एक ऐसे दादाजी से जो पूरे घर की रौनक बने हुए थे. जो 18 20 घंटे तक शूटिंग करने के बाद घर आकर अपने पोते और पोती को हंसाते थे. इस बारे में वर्धन ने अपने पुराने दिन याद करते हुए बताया, "दादू जब भी घर आते थे तो एक अलग ही माहौल होता था. वह चाहे कितने भी थके हो लेकिन देर रात तक मुझे और मेरी बहन को हंसाते रहते थे. वह अपने किरदारों के डायलॉग हमारे सामने बोलते थे. वह अलग अलग तरह से चल कर,  बैठ कर, अलग अलग तरह की आवाज निकाल कर हमें हंसाते थे. और हमे पूछते भी थे कि मैं ये सही कर रहा हूं ना या कुछ और किया जाए? मैं उन रातों को कभी नहीं भूल सकता उन्होंने हमें अपना बहुत सारा समय दिया है.
 

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