एक खूबसूरत चेहरे के साथ पर्सनालिटी में हीरो वाला चार्म, एक्टर जो एक्शन, डांस, रोमांस...सबकुछ कर सकता है! जिसे देखते ही लड़कियों की दिल की धड़कने बढ़ जाया करती थीं... हम बात कर रहे हैं 1960 से लेकर 2007 तक बॉलीवुड के हैंडसम हंक रहे फिरोज खान की. जिन्होंने एक तरफ, गाने 'क्या खूब लगती हो, बड़ी सुंदर दिखती हो' से अपना रोमांटिक साइड लोगों के सामने पेश किया, वहीं दूसरी तरफ 'अपराध' और 'धर्मात्मा' जैसी फिल्मों में अपना रॉयल काऊबॉय लुक से सभीं को दिल जीता. इसलिए उन्हें बॉलीवुड के 'Cowboy Star' भी कहा जाता है!
फिरोज खान आज होते तो 80वां जन्म दिवस मना रहे होते. उनका जन्म 25 सितंबर, 1939 को बेंगलुरु में हुआ था. अफगानी पिता और ईरानी मां के बेटे फिरोज बेंगलुरु से हीरो बनने का सपना लेकर मुंबई पहुंचे. उनके तीन भाई संजय खान (अभिनेता-निर्माता), अकबर खान और समीर खान (बिजनेस मेन)हैं. उनकी एक बहन हैं, जिनका नाम दिलशाद बीबी है. फिरोज की भतीजी और संजय खान की बेटी सुजैन की शादी रितिक रोशन के साथ हुई थी. बॉलीवुड में फिरोज खान ने अपने करियर की शुरुआत 1960 में बनी फिल्म ‘दीदी’ से की थी.
शुरुआती कुछ फिल्मों में अभिनेता का किरदार निभाने के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए खलनायक के रोल्स भी निभाये. 1962 में फिरोज ने अंग्रेजी भाषा की एक फिल्म 'टार्जन गोज टू इंडिया' में काम किया. इस फिल्म में नायिका सिमी ग्रेवाल थीं. 1965 में उनकी पहली हिट फिल्म 'ऊंचे लोग' आई. फिरोज जितने सशक्त अभिनेता थे, उतने ही काबिल निर्देशक और प्रोड्यूसर भी थे. फिरोज खान बतौर डायरेक्टर अपनी पारी शुरू कर चुके थे. 1972 में उन्होंने 'अपराध' से बतौर डायरेक्टर डेब्यू किया. इसके बाद 'धर्मात्मा' और 'क़ुर्बानी' जैसी शानदार और बेहद कामयाब फिल्में दीं.
अभिनय के लिहाज से उनके लिए 70 का दशक यादगार रहा. ‘आदमी और इंसान’ (1970) में अभिनय के लिए फिरोज को फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का पुरस्कार मिला. 70 के दशक में उन्होंने ‘आदमी और इंसान’, ‘मेला’, ‘धर्मात्मा’ जैसी बेहतरीन फिल्में दीं. 1998 में फिल्म 'प्रेम अगन' से उन्होंने अपने बेटे फरदीन खान को फिल्मों में लाने का काम किया पर उनके बेटे उनकी तरह शोहरत बटोरने में विफल रहे. 2003 में उन्होंने अपने बेटे और स्पोर्ट्स प्यार के लिए फिल्म 'जानशीं' बनाई पर फिल्म में अभिनय करने के बाद भी वह अपने बेटे को हिट नहीं करवा सके. फिरोज ने आखिरी बार फिल्म 'वेलकम' में काम किया. इस फिल्म में भी उनका वही बिंदास स्टाइल नजर आया जिसके लिए वह जाने जाते हैं. उनका यह डायलॉग तो आपको याद ही होगा - 'हम अभी जिन्दा है', यकीनन वो बॉलीवुड प्रेमियों के दिलों में अब भी जिन्दा हैं.
साल 2010 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट का खिताब दिया गया था. फिरोज कैंसर से पीड़ित थे और मुंबई में उनका लंबे समय तक इलाज चला. 27 अप्रैल, 2009 को उन्होंने बेंगलुरु स्थित अपने फार्म हाउस में अंतिम सांस ली.