एक म्यान में दो तलवार नहीं रह सकतीं! कुछ ऐसी ही तीखी तलवार थे एक ज़माने में अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा. 70 के दशक में बॉलीवुड में शत्रुघ्न और अमिताभ का राज़ चलता था. जब दोनों एक साथ स्क्रीन पर आते थे तो दर्शकों को मानों एक टिकट पर दो फिल्मों का डबल एंटरटेनमेंट मिलता था. लेकिन, ऑफ स्क्रीन अमिताभ और शत्रुघ्न के रिश्ते में खटास आने में भी वक़्त नहीं लगा. दो महानायक सिल्वर स्क्रीन पर राज नहीं कर सकते और ऐसे में दोनों के बीच काफी मतभेद हुए, जलन और ईर्ष्या हुई और यह कहीं ना कहीं आज भी बरकरार है! 9 दिसम्बर को अपना जन्मदिन मना रहे शत्रुघ्न ने अमिताभ के साथ अपने इस खट्टे रिश्ते के कुछ अंश अपनी बायोग्राफी 'एनीथिंग बट खामोश' में भी लिखें हैं.
शत्रुघ्न के जन्मदिन के ख़ास मौके पर हम आपके साथ यह किस्सा साझा करते हैं, जिसे पढ़कर आप समझ जाएंगे अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा के बीच कैसा था यह 'ख़ामोशी' का रिश्ता!
शत्रुघ्न ने अपनी बायोग्राफी में लिखा है कि फिल्म 'काला पत्थर' के समय अमिताभ ने उनकी जमकर पिटाई की थी. वो उन्हें लगातार पीट रहे थे और उन्होंने तब तक उन्हें पीटा जब तक शशि कपूर बीच में नहीं आ गए. बाद में पता चला कि यह उस फिल्म एक सीन था जिसे काफी ओरिजिनल टच की जरूरत थी इसलिए शत्रुघ्न को इस बारे में बताया नहीं गया था. 'परवाना', 'दोस्ताना', 'यार मेरी ज़िन्दगी', 'नसीब' जैसी फिल्मों में साथ का करने वाले शत्रुघ्न और अमिताभ की जोड़ी को दर्शकों ने बहुत पसंद किया था मगर, शत्रुघ्न ने अपनी बायोग्राफी में यह लिखा है कि मेरी परफॉरमेंस अमिताभ पर हावी पड़ती थी. लोग मेरी तारीफें करते थे जिसके चलते अमिताभ उनसे जलते थे.
बायोग्राफी में शत्रुघ्न ने यह भी लिखा है कि, काला पत्थर के सेट पर न ही कभी उन्हें अमिताभ बच्चन के बगल वाली कुर्सी ऑफर हुई. न ही कभी अमिताभ बच्चन का छाता उन्हें दिया गया. उन्होंने कहा कि शूटिंग लोकेशन से अमिताभ और उन्हें एक ही होटल में जाना होता था लेकिन अमिताभ अकेले अपनी गाड़ी में बैठकर होटल चले जाते थे.
यही नहीं शत्रुघ्न ने यह भी लिखा है कि उन्होंने कई सारी फ़िल्में अमिताभ की वजह से छोड़ भी दी थी. साइनिंग अमाउंट लेकर भी उन्होंने फिल्म को मना कर दिया था. इसमें प्रकाश मेहरा की फिल्म 'पत्थर के लोग' भी शामिल थी, जिसे सलीम-जावेद ने लिखी थी. शत्रुघ्न ने कई फिल्मों में अमिताभ को रिकमेंड भी किया था.
मैंने उन्हें एक दोस्त के रूप में देखा है, सहकर्मियों के रूप में एक साथ काम किया है, अच्छे समय और बुरे समय में हम एक साथ थे, मेरे पास अच्छी यादें भी हैं. लोग जया बच्चन के बारे में भी कहते हैं कि छोटी-मोटी बात पर भड़क जाने वाले स्वभाव की है, पर कभी भी मुझे जया बच्चन के खिलाफ एक शब्द भी कहते हुए नहीं सुना होगा... इसके अलावा, अमिताभ के साथ मेरी झड़प हमेशा किसी मुद्दे पर आधारित रही है. अगर मुझे उनका कोई परफॉरमेंस पसंद आता है, तो मैं उनकी प्रशंसा करूंगा. उदाहरण के लिए, मैंने 'पा' में उनके अभिनय की आलोचना की. पर मैं 'पा' जैसी भूमिका करने के उनके साहस के लिए उनकी प्रशंसा करूंगा, वह अपनी भूमिका निभाने के लिए घंटों तक बैठे रहें, जिसके लिए एक महान अभिनेता की आवश्यकता थी. दूसरी ओर, मुझे लगा कि वह संजय लीला भंसाली की 'ब्लैक' में शानदार रहे हैं.
(Source: Peepingmoon)