सिनेमा को जब समाज का आईना माना जाता है तो यह आशा की जाती है कि वह समाज की यथार्थ स्थिति दिखाते हुए उन वर्गों की आवाज को समाज के अन्य हिस्से तक पहुँचाएँ जिन्हें दबाने की कोशिश की गई, या जिन्हें कभी इस काबिल माना ही नहीं गया कि वे भी अन्य लोगों की तरह जीवन व्यतीत कर सकें. हमारे समाज में ट्रांसजेंडर ऐसा ही एक समूह है जिसपर कई बार बेहतरीन फिल्मे बनी. लेकिन ट्रांसजेंडर लोगों का जीवन, उनकी समस्याओं, उनकी सामाजिक स्थिति, समाज का उनके प्रति नजरिया, उनके प्रति किए जा रहे अमानवीय व्यवहारों को कभी भी मुकम्मल तरीके से व्यक्त करने की कोशिश नहीं की गई है. आमतौर पर वे हमेशा कैरीकेचर किए जाते हैं और स्क्रीन पर कुछ समय के लिए आते हैं. हिंदी फिल्मों में इनकी भूमिका जन्मोत्सव, विवाहोत्सव में बधाई देने, नाचने-गाने तथा भीख माँगने तक ही सीमित रही. लेकिन जब उन्हें फिल्मों में एक पूरी तरह से अहम किरदार मिलता है, तो उनके कैरेक्टर को आमतौर पर निगेटिव दिखाया गया और उनका मजाक उड़ाया जाता है. समाज की कठोर संरचना को चुनौती देने वाली इन लोगों की वेदना को प्रदर्शित करने की कभी आवश्यकता ही महसूस नहीं की गई.
अक्षय कुमार की आगामी फिल्म लक्ष्मी’ शायद पहली हिंदी फिल्म है जिसमें मुख्य लीड ने एक ट्रांसजेंडर का किरदार है और उनका मजाक नहीं उड़ाया गया है. हालाँकि फिल्म को रिलीज़ होना बाकी है, लेकिन ट्रेलर में अक्षय की भूमिका ने दर्शकों के बीच एक पॉजिटिव सोच बनाई है. अपनी को-स्टार कियारा आडवाणी के साथ सुपरस्टार अक्षय अपने फैंस और फॉलोइर्स से ’लाल बिंदी’ अभियान के साथ तीसरे लिंग को सम्मान देने की अपील करने के लिए आगे आए हैं. फिल्म में सुपरस्टार अक्षय ने परदे पर एक लाल साड़ी, एक बन और एक लाल बिंदी में हिजड़ों के लिए कहानी को बदलते हुए देखने से पहले हम आपको बताते है कि सिनेमा के इतिहास की उन कुछ फ़िल्मों के बारे में जहाँ ट्रांसजेंडर ने एक अहम किरदार निभाए है लेकिन स्टीरियोटाइप फैशक के हिसाब से.
कुँवारा बाप (1974)
इस फ़िल्म महमूद का किरदार रिक्शावाला खूब फेमस हुआ. फ़िल्म को महमूद ने डायरेक्ट किया था. महमूद की ड्रामा-कॉमेडी फिल्म में पहली बार हिजड़ों की ताली और डांस पर रौशनी डाली गई. फिल्म में नवजात शिशु को आशीर्वाद देने वाला पहला गीत था. ये गाना 'सज रही गली मेरी माँ सुनहरी गोटे में...' आज भी काफी फेमस है और इसे मुहम्मद रफी द्वारा गाया गया था.
सड़क (1991)
संजय दत्त की मूवी सड़क तो आप को याद होगी. इसे सफल और एक यादगार फिल्म बनाने में अगर सबसे बड़ा योगदान सदाशिव अमरापुरकर. सदाशिव ने इस मूवी में महारानी नाम के एक किन्नर का रोल निभाया था. इस किरदार ने दर्शकों के दिमाग़ पर एक अमिट छाप छोड़ दी थी. ये किरदार असल जिंदगी के इंसान पर आधारित था. सदाशिव को इस फिल्म के लिए बेस्ट विलेन का फिलमफेयर अवार्ड भी मिला.
दायरा (1996)
अमोल पालेकल की इस फिल्म में समलैंगिक नर्तक और एक औरत के बीच की प्रेम कहानी को दिखाया है. यह फिल्म प्यार करने के पारंपरिक विचारों को चुनौती देती है. इस फिल्म की जान निर्मल पांडेय का अभिनय था. जो कि एक किन्नर के किरदार में थे. इस मूवी को नेशनल अवार्ड भी मिल चुका है और टाइम मैगजीन की 10 सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म्स में भी ये जगह पा चुकी है. फिल्म के लिए निर्मल पांडे को पेरिस में बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला था.
दरमियां (1997)
इस फिल्म में एक अभिनेत्री की कहानी है जिसे पता चलता है कि उसका बेटा एक किन्नर है. इसमें किन्नर का किरदार आरिफ जकारिया ने निभाया है. आरिफ को नेशनल अवॉर्ड के लिए नामित भी किया गया था.
तमन्ना (1997)
1997 में आई महेश भट्ट की फिल्म तमन्ना में परेश रावल ट्रांसजेंडर के किरदार में दिखाई दिए थे. फिल्म में किन्नर की ज़िंदगी को सकारात्मक तरीके से दिखाया गया था. इसमें किन्नर टिक्कु की भूमिका परेश रावल ने निभायी थी. इस किरदार को उन्होंने बखूबी पर्दे पर उतारा. सामाजिक मुद्दे पर बनने वाली इस मूवी को उस साल नेशनल अवार्ड भी मिला था.
संघर्ष (1999)
तनुजा चंद्रा द्वारा निर्देशित इस साइकोलॉजिकल एक्शन हॉरर फिल्म में अक्षय कुमार और प्रीति जिंटा ने अभिनय किया था. फिल्म में आशुतोष राणा की लज्जा शंकर पांडे नाम के ट्रांसजेंडर की भूमिका ने थिएटर में धमाका ही कर दिया था. फिल्म में किन्नर बने आशुतोष बच्चों को पकड़कर उनको मार दिया करते थे. आशुतोष का ये किरदार बहुत खौफनाक था. हिंदी फिल्मों के इतिहास में आशुतोष राणा का विलेन वाला ये किरदार आज भी डरा देता है. इस किरदार ने आशुतोष राणा को बेस्ट विलेन का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी दिलाया था.
अप्पू (2000)
तमिल फिल्म 'अप्पू' हिन्दी फिल्म 'सड़क' की रीमेक थी और इसमें प्रकाश राज ने महारानी नाम के एक ट्रांसजेंडर का रोल निभाया था. जो एक वेश्यालय की मालिक होती है.
शबनम मौसी (2005)
यह फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है. शबनम मौसी बानो 1998 से 2003 तक मध्य प्रदेश राज्य विधान सभा की निर्वाचित सदस्य थी. वह सार्वजनिक पद के लिए चुनी जाने वाली पहली ट्रांसजेंडर भारतीय है. इस फिल्म में शबनम मौसी का किरदार आशुतोष राणा ने निभाया था.
एक चालीस की लोकल ट्रेन (2007)
स्नेहल डाबी फिल्म में एक ट्रांसजेंडर के किरदार में थी. जो एक दलाल है और अपने ग्राहकों को कॉल गर्ल प्रदान करती है. स्नेहल ने फिल्म में एक सराहनीय काम किया, लेकिन यह सिर्फ यह बताता है कि ट्रांसजेंडर समाज में सम्मानजनक काम से रहित हैं. अभय देओल और नेहा धूपिया द्वारा स्टारर ये हिंदी सीनेमा की कल्ट फिल्मों में से एक है.
पेज 3/ट्रैफिक सिग्नल/फैशन
मधुर भंडारकर ने अपनी इन फिल्मों में ट्रांसजेंडर के किरदारों को गढ़ा तो जरूर है पर लेकिन गहराईयों में जातर दिखाया नहीं. ट्रांसजेंडर मुद्दों को उठाने वाले इन कुछ फिल्मों में ट्रांसजेंडर के किरदारों को मजबूती से पेश नहीं किया गया.
क्वींस ! डेंसिटी ऑफ डांस (2011)
क्वींस! डेस्टिनी ऑफ डांस का निर्देशन डेविड एटकिन्स ने किया और सीमा बिस्वास ने गुरु अम्मा का किरदार निभाया था. फिल्म में रियल लाइफ ट्रांसजेंडर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, राज जुत्शी, अर्चना गुप्ता और दक्षिण भारतीय अभिनेता विनीत जिन्होने मुक्ता का किरदार निभाया था. फिल्म ने अंतरराष्ट्रीय सर्किट में कई पुरस्कार जीते पर कमाने के मामले में फिल्म विफल रही.
मर्डर (2011)
अभिनेता प्रशांत नारायणन ने कई यादगार भूमिकाएं की हैं. फ़िल्म मर्डर 2 में ट्रांसजेंडर का उनका रोल कभी नहीं भुलाया जा सकता. प्रशांत ने इस फ़िल्म में एक ऐसे शख़्स की भूमिका निभाई थी जो लड़कियों को टॉर्चर करता है और उनका क़त्ल कर देता है. इस फ़िल्म में प्रशांत ने इतनी दमदार एक्टिंग की थी कि लोग उनका ये रोल देखकर डर गए थे.
बुलेट राजा (2013)
तिग्मांशु धूलिया की इस फिल्म में एक्टर रवि किशन ने भी किन्नर का किरदार निभाया था. फिल्म में रज्जों में उनके किन्नर अवतार को काफी पसंद किया गया. रवि किशन ने फिल्म में दोहरी भूमिका निभाई थी. सैफ अली खान फिल्म में लीड रोल में थे.
रज्जो (2013)
महेश मांजरेकर ने रज्जो फिल्म में बेगम का किरदार निभाकर दर्शकों को हैरान कर दिया था. फिल्म में महेश मांजरेकर को साड़ी पहने और किन्नर बने देख हर कोई तालियां बजाने के लिए मजबूर हो गया था. इस फिल्म में निभाए गए महेश मांजरेकर के किरदार के लिए उनको खूब सराहना मिली थी.
सुपर डीलक्स (2019)
तमिल सुपरस्टार विजय सेथुपथी की इस फिल्म में एक ट्रांसजेंडर की भूमिका में दिखे थे. फिल्म सुपर डिलक्स में उनके अलावा फेहाद फसिल, समंथा अक्किनेनी और अन्य कलाकर अपने किरदार में थे. वहीं, विजय फिल्म की कहानी के मुताबिक अपना जेंडर परिवर्तन करवाकर किन्रर बन जाते हैं. फिल्म में उनके इस किरदार की बड़े-बड़े फिल्म मेकर्स ने तारीफ भी की थी. विजय ने फिल्म में एक शिल्पा नामक किन्नर का किरदार निभाया है जो सर्जरी से अपना जेंडर बदलवा लेता है. फिल्म में समाज के कई मुद्दों पर रोशनी डालने का प्रयास किया गया है.