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Mission Mangal Review: सिनेमाघर में गूंज उठी तालियां जब इतिहास रच गईं इसरो की ये नारियां

फिल्म- मिशन मंगल 

कास्ट- अक्षय कुमार, विद्या बालन, तापसी पन्नू, सोनाक्षी सिन्हा, नित्या मेनन, कीर्ति कुल्हाड़ी, शरमन जोशी 

निर्देशक- जगन शक्ति 

मून- 4.5 

अंतरिक्ष, स्पेस, इसरो, साइंटिस्ट्स, रॉकेट अब तक यह शब्द या तो हमने न्यूज़ चैनल्स में देखा था या फिर स्कूल में साइंस और जियोग्राफी की किताबों में पढ़ा था. हम इतना तो जानते थे कि अंतरिक्ष में जाना या रॉकेट को भेजना आसान काम नहीं है लेकिन इसके पीछे वैज्ञानिकों की कितनी मेहनत होती है कैसे वो रॉकेट को अंतरिक्ष में भेजने के लिए  दिन- रात एक करते है यह निर्देशक जगन शक्ति ने 'मिशन मंगल' में बताया है. 

फिल्म की कहानी बेंगलुरु शहर (2010 ) से शुरू होती है. आमतौर पर एक शादी शुदा महिला का जीवन पति और बच्चों के बीच जिसतरह शुरू होता है, विद्या बालन भी पर्दे पर उसी तरह घर के सारे काम निपटा इसरो के ऑफिस पहुंचती नजर आती हैं, जहां GSL फैट बॉय को लॉन्च करने की तैयारी हो रही होती है लेकिन किन्ही कारणवश वह मिशन असफल हो जाता है. इसके बाद राकेश धवन (अक्षय कुमार) विद्या बालन के साथ मिलकर 'मंगलयान' लॉन्च करने का सपना देखते है. अब यह अकेले तो मुमकिन है नही इसके लिए उन्हें एक अच्छी अनुभवी टीम चाहिए होती है. टीम के रूप में राकेश धवन को कम अनुभवी लोगों के नामों की लिस्ट थमा दी जाती है. सभी किरदारों के इंट्रोडक्शन अच्छे से कराया गया है. GSL फैट बॉय के असफल होने के बाद सरकार मंगलयान के लॉन्च के लिए फंड देने से इंकार कर देती है. राकेश धवन के टीम की यह परेशानी कैसे सुलझती है, यह खूबसूरती से दिखाया गया है. धीरे- धीरे कहानी अपनी रफ्तार से आगे बढ़ती है. फर्स्ट हाफ देखते समय आप 1 सेकंड के लिए उबेंगे नही. हर एक दृश्य कुर्सी से बांधे रखने का प्रयास किया है. कब इंटरवल होता है और आधी फ़िल्म खत्म हो जाती है आपको पता ही नही चलता. एक हिंदुस्तानी नारी घर और ऑफिस दोनों कैसे बखूबी संभाल सकती है, विद्या ने इसका अच्छा उदाहरण दिया है. विद्या के साथ नित्या मेनन, सोनाक्षी सिन्हा, तापसी पन्नू और कीर्ति भी एक मिसाल के रूप में सामने आती है. 

फर्स्ट हाफ देखने के बाद सेकंड हाफ के लिए एक्साइटमेंट और बढ़ जाती है. भारतीय जनता को देखते हुए फिल्म में सिर्फ एक गाना रखा गया है और जरूरी भी है. क्योंकि हम इस तरह की फ़िल्म देखने के आदि नही है और शायद जनता बोर भी हो जाती. समय- समय पर पंचेस भी है. हंसाने की कोशिश भी की गई है और निर्देशक जगन शक्ति उसमें कामयाब भी हुए है. सभी किरदारों ने बखूबी अपनी भूमिका निभाई है.  

फिल्म देखकर शायद आपको महाभारत की लड़ाई याद आ जाए. जैसे पांडव मिलकर कौरवों की सेना को परास्त कर धर्म की स्थापना करते है. उसी तरह इसरो की पांच महिलाएं मिलकर मार्स पर मंगलयान को भेजने का इतिहास रचती हैं.

सोनाक्षी सिन्हा, कीर्ति कुल्हारी, नित्या मेनन, तापसी पन्नू और शरमन जोशी ने अपने किरदारों के साथ न्याय करने की पूरी कोशिश की है. सिनेमेटोग्राफी कमाल की है. वीएफएक्स की टीम ने अपनी भूमिका निभाने में कोई कमी नही छोड़ी. अगर आप भारत की इस ऐतिहासिक विजय के बारे में जानना चाहते हैं और इसरो की महिला शक्ति के गौरव को देखना चाहते हैं तो फिल्म जरूर देखें. अंत में तालियां बजाने का मन जरूर करेगा. 

(Source: Peepingmoon)

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