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Movie Review 'Chhichhore' : लूजर बनो या ना बनो फाइटर बनना मत छोड़ो, बहुत कुछ सिखाएगी सुशांत सिंह राजपूत और श्रद्धा कपूर की ये फिल्म

फिल्म- 'छिछोरे'

कास्ट- सुशांत सिंह राजपूत, श्रद्धा कपूर, वरुण शर्मा, प्रतिक बब्बर, ताहिर राज भसीन

निर्देशक- नितेश तिवारी

रेटिंग्स- 4.5 Moons

लूजर बनों या ना बनों मगर फाइटर बनना मत छोड़ो! यह लाइन आपको नितेश तिवारी की इस 2 घंटे 27 मिनट की फिल्म देखने के बाद बहुत अच्छी तरह समझ में आ जाएगी. 'दंगल' के बाद नितेश तिवारी एक बार फिर अपने डायरेक्शन से आप सभीं को इम्प्रेस करेंगे.

फिल्म की शुरुआत होती है सुशांत सिंह राजपूत के किरदार अनिरुद्ध से जो 45 साल का है. यहीं आपको बता दिया जाता है कि अनिरुद्ध फिल्म की लीड एक्ट्रेस श्रद्धा कपूर यानी माया से शादी कर चुके होते हैं और इनका तलाक भी हो चुका होता है. दोनों का एक बेटा है जो अपने पिता अनिरुद्ध के साथ रहता है.

 बेटा ख़ास एग्जाम की तैयारियों में जुटा होता है. यह एग्जाम उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल देती है.एग्जाम में पास ना होने का दुख उसे आत्महत्या तक ले जाता है. अनिरुद्ध और माया का बेटा अपनी जान देने की कोशिश करता है. जान तो बच जाती है मगर उनका बेटा कोमा में चला जाता है. यहां से फिल्म का पहला पड़ाव शुरू होता है.

हॉस्पिटल की चार दीवारी से शुरू होती है 'छिछोरे' की कहानी, जो फ्लैशबैक की तरफ ले जाती है. यहां अनिरुद्ध और माया एक दूसरे से मिलते हैं. यहां सुशांत को वरुण शर्मा(सेक्सा), ताहिर राज भसीन(डेरेक), नवीन पॉलिशेट्टी(ऐसिड) सभी मित्र मिलते हैं. अनिरुद्ध कहानियां सुनाते हुए बताता है कि कैसे जूनियर होने के बावजूद वह सारे सीनियर्स के दोस्त बन जाते हैं. कैसे उसे उसकी मां माया से वो मिलते हैं. कैसे उसके दोस्त जो कभी उसे bully करते हैं, उसके साथ हर परेशानी में खड़े होते हैं. इसी बीच एंट्री होती है प्रतीक बब्बर(रैगी) की भी.

यहां शुरू होता है एक चैंपियनशिप!  यह चैम्पियनशिप आपको कहीं ना कहीं फिल्म 'जो जीता वही सिकंदर' की याद दिलाएगा।  इस चैंपियनशिप में अनिरुद्ध और उनके दोस्तों के ऑपोजिट खड़े होते हैं प्रतीक बब्बर जो सालोंस इ इस चैंपियनशिप को जीतते आ रहे हैं.

एक तरफ है इस चैंपियनशिप को हर साल जीतने वाले रैगी और दूसरी तरफ है स्पोर्ट्स में कम रुचि रखने वाले अनिरुद्ध, सेक्सा, एसिड और डेरेक. कैसे यह दोनों टीम आपस में लड़ती हैं, किसकी जीत होती है, किसकी हार होती है.... यह इस कहानी का सार है. क्या अनिरुद्ध का बेटा इस कहानी से कुछ सीख पाता है... यह आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा.

फिल्मों के एक एक किरदार ने अहम भूमिका निभाई है. वरुण शर्मा अपने सेक्सा किरदार में  आप सभी का दिल जीत लेंगे. ताहिर राज भसीन ने भी अपने प्रेजेंस से इस फिल्म में जान डाली है. श्रद्धा के पास परफॉर्म करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं था मगर जो भी उन्होंने किया वह वाकई बेहतरीन था. पूरी फिल्म 10-15 मिनट में पास्ट-प्रेजेंट में घूमती रहती है. सबसे खास, अगर किसी की तारीफ करनी चाहिए तो इसके कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबरा की, जिन्होंने किरदार के अनुसार सितारों को चुना जो बिल्कुल मेल खाते हैं.  2 घंटे 27 मिनट की 'छिछोरे' आपको 1 मिनट के लिए भी बोर नहीं होने देगी.

फिल्म के गाने भी सिचुएशन के हिसाब से है जो आपको कहीं अटपटे नहीं लगेंगे. स्क्रीनप्ले और  राइटिंग की बात की जाए तो नितेश तिवारी ने पियूष गुप्ता और निखिल मल्होत्रा के साथ सी फिल्म को लिखा है. हर एक डायलॉग पर आपको हंसी आएगी और अंत में आप तालियां बजाते हुए खड़े होंगे. 

पीपिंगमून 'छिछोरे' को 4.5 मून्स देता है.

 

(Source-Peepingmoon)

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