फिल्म- 'बाला'
स्टार कास्ट - आयुष्मान खुराना, भूमि पेडनेकर , यामी गौतम , जावेद जाफरी, सौरभ शुक्ला,सीमा पाहवा
रेटिंग - 4 Moons
'बाला' के रिव्यू की शुरुआत हम करेंगे आयुष्मान खुराना से जिन्होंने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि वह लीग से हटकर फिल्में बनाने में माहिर हैं. समय से पहले झड़ जाने वाले बालों की समस्या वैसे तो काफी आम है, मगर इसे पर्दे पर इस तरह उतारना वाकई तारीफ के काबिल है. कन्नड़ भाषा फिल्म Ondu Motteya Kathe की यह ऑफिशल रिमेक के रिलीज के पीछे काफी जद्दोजहद हुई थी. सभी जानते हैं कि इस फिल्म की भिड़ंत इसी कन्नड़ भाषी फिल्म के एक और रीमेक उजड़ा चमन के साथ होने वाली थी. काफी खींचतान के बाद मेकर्स ने 'उजड़ा चमन' को 'बाला' से पहले रिलीज कर दिया. अमर कौशिक जो कि इस फिल्म के डायरेक्टर हैं और इन्होंने इस कहानी को बेहतरीन ढंग से पेश किया है. नीरेंद्र भट्ट को फिल्म के एक-एक डायलॉग का श्रेय जाता है. हर लाइन, हर शब्द बहुत कमाल लिखे हैं और इन्हें डिलीवर करने वाले हर एक एक्टर ने उनकी इस मेहनत के साथ इंसाफ किया है.
'बाला' सिर्फ गंजेपन ही नहीं बल्कि, बॉडी शेमिंग के बारे में भी बात करती है. फिल्म की शुरुआत होती है बचपन के आयुष्मान ( बाल मुकुंद शुक्ला ) से जिसे आपने लहराते बाल बहुत पसंद थे और स्कूल की हर लड़की इस मिमिक करने वाले 'बाला' से बहुत इंप्रेस होती थी. इनके क्लास में एक और लड़की थी जो रंग में काली थी और ये थीं इस फिल्म की जान भूमि पेडनेकर (लतिका) जो बचपन से कालेपन के लिए किए गए कॉमेंट्स से परेशान थी. लेकिन उसने कभी अपने बारे में गलत नहीं सोचा. फिल्म आगे बढ़ती है बाला के बाल झड़ने से, 25 साल की उम्र में बाला के बाल झड़ने शुरू होते हैं और वो इन्हे बचाने के तकरीबन 132 नाकाम इलाज करवाता है. इसके बाद एंट्री होती है यामी (परी) की को एक मॉडल का किरदार निभा रही हैं, जिसके लिए लुक्स ही सबकुछ हैं. कैसे बाला परी से शादी करता है फिर इस बात को समझता है कि सेल्फ लव कितना जरूरी है. और यह बात कोई और नहीं बल्कि पेशे से वकील बनीं लतिका बाला को समझाती है. इस बीच आप बहुत हंसेंगे, बाला पर तरस खाएंगे और परी की तकलीफ समझेंगे और लतिका की बेबाकी पर तालियां बजाएंगे.
फिल्म में अन्य कलाकार सौरभ शुक्ला, सीमा पाहवा, अभिषेक बैनर्जी, जावेद जाफरी ने भी कमाल की एक्टिंग की है. किसी किरदार से कोई शिकायत नहीं होगी क्योंकि हर किरदार आपको एंटरटेन करेगा . फिल्म में टिक टॉक ऐप को भी बहुत ही मजेदार तरीके से इस्तेमाल किया गया है. सचिन जिगर के गाने भी फिल्म के साथ मेल्ट होते हैं. अंत में बादशाह का गाना डोंट बी शाय माय हनी भी आपको गाना देखे बिना बाहर निकलने नहीं देगा.
कुल मिलाकर फिल्म की कहानी, परफॉर्मेंस, कास्टिंग, गाने और वन लाइनर डायलॉग परफेक्ट थे. 131 मिनट की यह फिल्म दूसरे हाफ में हल्की सी स्लो लगी मगर कहानी से आप बोर नहीं होंगे. फिल्म का अंत फिल्मी नहीं रखा गया है , यह पूरी फिल्म की तरह रियलिस्टिक है और इसके लिए भी राइटर नीरेन भट्ट की तारीफ बनती है.
(Source: Peepingmoon)