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Yeh Saali Aashiqui Review : आशिकी में ट्विस्ट और थ्रिल भी होता है, ये बता रहे हैं वर्धन पुरी और शिवालिका ओबेरॉय

फिल्म: ये साली आशिकी 

स्टार कास्ट : वर्धन पुरी, शिवालिका ओबेरॉय, रुसलान मुमताज 

डायरेक्टर: चिराग रुपरेल 

सनकी आशिकी बहुत खतरनाक होती है और इसका अच्छा खासा सबूत है चिराग रुपरेल के डायरेक्शन में बनी फिल्म 'ये साली आशिकी'. लीड रोल निभा रहे वर्धन पुरी और शिवालिका ओबरॉय की डेब्यू फिल्म है. अमरीश पुरी प्रोडक्शन हाउस में बनीं ये फिल्म रोमांटिक थ्रिलर कही जा रही थी, मगर हमें लगता है कि यह फिल्म पूरी तरह से सनकी आशिकी की कहानी है. फिल्म की शुरुआत होती है वर्धन पुरी जो कि इस फिल्म में साहिल मेहरा का किरदार निभा रहे हैं, एक पागलखाने में होते हैं. इसके बाद फिर यह फिल्म आपको ले जाएगी वर्तमान समय से कुछ महीने पहले जब साहिल शिमला में होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहा है. यहां उसकी मुलाकात होती है शिवालिका ओबरॉय यानी की मिति से. मिति और साहिल दोनों एक दूसरे से प्यार कर बैठते हैं, लेकिन मिती के नजर में साहिल किसी बैंक अकाउंट से कम नहीं है! जी हां , मिती का प्यार साहिल नहीं बल्कि उसके पैसे होते हैं. अब कैसे मिती साहिल के पैसे ऐंठती है और कैसे उसे पागल करार करके मेंटल असायलम भेज देती है. इसी बीच यह भी पता चलता है कि साहिल जब 14 साल का था तब उसने अपने माता पिता की हत्या कर दी थी.

इसके बाद कहानी में आता है एक ट्विस्ट जिसके लिए आप यह फिल्म देखने जरूर जाएं. इसी तरह साहिल पागलखाने से निकलकर मिति तक पहुंचता है और उसका जीना दुशवार करके उससे बदला लेकर फिर उसे भी पागलखाने पहुंचा देता है. इस बीच बहुत सारे ट्विस्ट आएंगे जो आपको चौका देंगे. यकीन मानिए प्यार के थ्रिल से शुरुआत होती है, इंटरवल आपको सोचने पर मजबूर करेगा कि आगे क्या होगा और क्लाइमैक्स... इसे देखने के बाद आप कहेंगे 'क्या फिल्म बनाई है'.

वर्धन और शिवालिका की डेब्यू फिल्म है, इसलिए इनकी एक्टिंग के बारे में भी बात हो! शिवालिका कई कई जगह फीकी दिखाई दी, मगर जब साहिल उसे डराता है, उसे टॉर्चर करता है और जब वह साहिल को टॉर्चर करती है, वहाँ शिवालिका के एक्सप्रेशन देखने लायक होते हैं. वर्धन जिनका बैकग्राउंड थिएटर से है, यह सिल्वर स्क्रीन पर भी साफ दिखाई दे रहा है. उनकी एक्टिंग काफी मंझी हुई है और बिल्कुल नहीं लग रहा कि यह उनकी पहली फिल्म है. वर्धन के किरदार के अलग-अलग शेड्स हैं और जिस शेड में वर्धन नेगेटिव रोल निभा रहे थे वह वाकई तारीफ के काबिल हैं. अगर हमने आपको नहीं बताया तो, आपको बता दें कि मिति के किरदार को सिर्फ पैसे से प्यार होता है. वह बहुत सारे लोगों के साथ रिलेशनशिप में रहती है, सिर्फ पैसों के लिए! उनके बहुत सारे एक्सेस होते हैं जिसमें से एक होता है रुसलान मुमताज, जिनसे मिति सगाई तक कर लेती है. लेकिन अंत में पैसों के लिए नीति की यह साली आशिकी ही उन्हें ले डूबती है.

फिल्म में 3 गाने लेकिन तीनों ही सिचुएशनल है और ठीक ठाक हैं! फिल्म के डायलॉग जो कि वर्धन और चिराग ने मिलकर लिखे हैं काफी अच्छे हैं लेकिन कहीं कहीं इंटेंस डायलॉग भी आपको हंसा देंगे। जो सी फिल्म का माइनस पॉइंट है. एक सीन है जहां वर्धन कबूतरों को दाना डाल रहे हैं और अपने दादाजी अमरीश पुरी की तरह कह रहे हैं 'आओ-आओ' यह सीन देखकर आपको हंसी भी आएगी और अमरीश पुरी की याद भी. पहले हाफ की बात की जाए तो यह फिल्म थोड़ी धीमी है इसे क्रिस्प किया जा सकता था. कई जगह ऐसा भी लगा कि बहुत कुछ एक ही बार में बताने की कोशिश की गया है. दूसरे हाफ में इसकी कहानी जोर पकड़ती है.

पीपिंगमून 'ये साली आशिकी' को 2.5 मून्स देता है!

(Source: Peepingmoon)

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